जानिए भीमा-कोरेगांव लड़ाई के बारे में, जिसके कारण महाराष्ट्र में तनाव फैला है

महाराष्ट्र में भीमा-कोरेगांव जंग की याद में शौर्य दिवस के दौरान दो समुदायों के बीच हिंसा फैल गई, जिसमें जमकर तोड़ फोड़ की गई, एक शख्स की मौत हो गई

New Delhi, Jan 02: महाराष्ट्र के पुणे में दो समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसा का असर अब राज्य के कुछ और इलाकों में देखा जा रहा है। दरअसल ये पूरा मामला ऐसा है जिसे पढ़ने के बाद आपको भी लगेगा कि ये बिना बात का विवाद है, जिसको जातीय रंग देने की कोशिश की जा रही है, भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में महार रेजिमेंट के शौर्य की याद में पिछले 200 साल से ये जश्न मनाया जा रहा है, जब आपको कोरेगांव की जंग के बारे में पता चलेगा तो आप भी हैरान रह जाएंगे, ये अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति की याद दिलाएगा। पहले आपको बताते हैं कि इस हिंसा का असर किन किन इलाकों में फैल रहा है, मुंबई के अलावा, हड़पसर और फुरसुंगी में भी हिंसा देखी गई है।

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इस हिंसा के कारण औरंगाबाद और अहमदनगर के लिए बस सेवाएं रोक दी गई हैं। पुणे के कोरेगांव में शौर्य दिवस मानाया गया था, जिसके बाद दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई, इस हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई, जिसके बाद इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फणनवीस ने कहा है कि वो हिंसा की निंदा करते हैं, ये सरकार को बदनाम करने की साजिश है, उन्होंने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश भी दे दिए हैं, साथ ही मृतक के परिजनों को 10 लाख रूपये का मुआवजा देने का एलान भी कर दिया है। फणनवीस ने लोगों से अपील की है कि वो शांत रहें, अफवाहों पर ध्यान ना दें। वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि इस घटना के पीछे दक्षिणपंथी लोग शामिल हैं।

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इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी हिंसा की निंदा करते हुए इसकी जांच की मांग की है। भीमा-कोरेगांव लड़ाई दरअसल 1818 में पुण के कोरेगांव में भीमा नदी के पास लड़ी गई थी। ये जंग अंग्रेजों की महार रेजिमेंट और पेशवा बाजीराव द्वितीय के सैनिकों के बीच लड़ी गई थी। इस लड़ाई में अंग्रेजों की तरफ से 500 सैनिक थे, जिसने 450 महार सैनिक थे, वहीं पेशवा की तरफ से 28 हजार सैनिकों की फौज थी, लेकिन महार सैनिको ने शौर्य का परिचय देते हुए पेशवा की सेना को हरा दिया था। उसी के बाद से इस जंग की याद में शौर्य दिवस मनाया जाता है। इस लड़ाई की याद में एक समराक भी बनाया गया है, जहां महार सैनिकों के नाम लिखे गए हैं। ये शौर्य दिवस महाराष्ट्र के दलित गर्व के रूप में मनाते आए हैं।

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इस स्मारक के बारे में कहा जाता है कि 1927 मं भीमराव अंबेडकर यहां पहुंचे थे, जिसके बाद से ये उनकी विचारधारा में यकीन रखने वालों के लिए एक प्रतीक स्थल के रूप में स्थापित हो गया है। इस बार भीमा-कोरेगांव जंग के 200 साल पूरे हो रहे हैं, इसके लिए बड़े पैमाने पर जश्न की तैयारी की गई थी। इसी जश्न के दौरान हिंसा फैल गई जो धीरे धीरे महाराष्ट्र के अन्य इलाकों तक पहुंच रही है। मुंबई में कुर्ला, मुलुंड, चेंबूर और ठाणे में सरकारी बसों पर पथराव किया गया औऱ जाम लगाने की कोशिश की गई। चेंबूर में तो एंबुलेस पर भी पथराव किया गया है। जनता से हम अपील करते हैं कि इस तरह की हिंसा से नुकसान जनता का ही होता है तो वो हिंसा को फैलने से रोकें, साथ ही उन अफवाहों को फैलने से रोकें जो हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं।