चंदन तस्करी : आ चल कि तुझे मैं ले के चलूं

मेरी चंदन की लकड़ियों, तेरी शीतलता, गंध और पवित्रता की क़द्र इस देश में कभी भी नहीं हुई। कभी ढोंगी बाबाओं ने तुझे इस्तेमाल किया तो कभी वीरप्पन जैसे तस्करों ने तुझे लूटा।

New Delhi, Mar 01 : योगगुरु स्वामी रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद द्वारा चीन भेजी जा रही लाल चंदन की लकड़ी की खेप को डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने जब्त किया है, इसे छुड़ाने के लिये पतंजलि ने हाईकोर्ट का रुख किया है। सूत्रों का दावा है कि डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस और कस्टम्स विभाग ने पतंजलि के कर्मचारी के साथ लगभग 50 टन लाल चंदन की लकड़ी और उससे संबंधित कागजात जब्त किये हैं। हालांकि अब मामला कोर्ट में पहुंच चुका हैं। इस पर ध्रुव गुप्त ने अपने फेसबुक पेज पर व्यंग्यात्मक लहजे में कुछ लिखा है। नीचे पढिये उन्होने क्या लिखा है।

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मेरी चंदन की लकड़ियों, तेरी शीतलता, गंध और पवित्रता की क़द्र इस देश में कभी भी नहीं हुई। कभी ढोंगी बाबाओं ने तुझे इस्तेमाल किया तो कभी वीरप्पन जैसे तस्करों ने तुझे लूटा। Chandanयहां के जंगलों में भी तुझे अपना प्यार कहां मिला ?

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प्यार के नाम पर सदियों से छोटे-मोटे भुजंग ही लिपटते-चिपटते रहे तुझसे। तू इससे कुछ ज्यादा की हकदार थी। चल छोड़ आता हूं तुझे चीन की सीमा के उस पार ! Chandan2वहां तुम्हारे सपनों का ‘अजगर’ तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है। तुम्हारा ग्रेड ए, बी या सी कुछ भी हो, वह बड़े प्यार से रखेगा तुझे। वहां तुझे लूटने के लिए न ढोंगी बाबा होंगे और न वीरप्पन जैसे डाकू।

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तुझे मुक्ति देने में मेरा अपना कोई स्वार्थ नहीं। तुझे सीमा पार कराने के जो चार पैसे मुझे मिलेंगे, उनसे सामान्य स्थितियों के लिए दो लंगोट खरीद लूंगा और आपातकाल के लिए दो सलवार। Chandan1मुझ जैसे ‘ब्रांडेड’ स्वदेशी फ़कीर को और चाहिए भी क्या !
तो जा चंदन, जी ले अपनी ज़िन्दगी !

(धुव गुप्त के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)