किसान को हांककर लानेवालों की नीयत चाहे जो कुछ हो मगर बदहाली के इस आलम को मत झुठलाइए

दिल्ली आनेवाले किसान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक संगठन के बुलावे पर पहुंचे थे और मुंबई में पहुंचनेवाले किसानों के हाथों में लाल झंडा है।

New Delhi, Mar 11 : हक मांगते पचास हज़ार किसानों के हाथ में यदि लाल झंडा देखकर आपको इनके राजनीति प्रेरित होने का संदेह है, तो याद दिला दूं कि पिछले साल आरएसएस के किसान संघ की अगुवाई में भी किसान दिल्ली आ चुके हैं. किसान भोला है. वो हक ही मांगना जानता तो कई सालों में एक बार प्रदर्शन ना करता. रोज़ फांसी ना लगाता।

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नेताओं की बातों में दशकों से फंसता ही ना रहता, वो तो इस संसद और विधानसभा पर कब का ताला मार कर बैठ चुका होता. Farmers Protest1उसे जगाने के लिए कोई ना कोई पॉलिटिकल पार्टी गांव देहात में जाती ही है.. बस फर्क इतना है कि वही पॉलिटिकल पार्टी जब सरकार में बैठ जाती है तो उसकी चाहत होती है कि अब किसान ना जागे.

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भले ही दिल्ली आनेवाले किसान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक संगठन के बुलावे पर पहुंचे थे और मुंबई में पहुंचनेवाले किसानों के हाथों में लाल झंडा है Farmers Protestलेकिन दिल पर हाथ रखकर खुद से पूछिए कि क्या आपके गांव में बैठा अन्नदाता वाकई खुश है?

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उसका खपरैल नकली है? उसकी खुदकुशी झूठी है? झंडों और संगठनों से मन को भ्रमित ना होने दें. Farmers Protest12किसान को हांककर लानेवालों की नीयत चाहे जो कुछ हो मगर बदहाली के इस आलम को मत झुठलाइए. ये सालों बाद बड़ी उम्मीद से आते हैं.

(टीवी पत्रकार नितिन ठाकुर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)