जरा इन्हें देखें और उनको लानत भेजें जो इन किसानों के दर्द में सियासत तलाशते हैं
बम्बई के मुस्लिम समाज ने पानी, कोल्ड ड्रिंक, बिस्कुट आदि का बहुत बड़ा जखीरा किसानों के विश्राम स्थल पर पहुंचा आकर स्वयं सेवकों को लगा दिया है।
New Delhi, Mar 13 : जहां दिल्ली में बैठे कुछ लोग महाराष्ट्र के किसान आन्दोलन के लाल झंडो पर घर बैठ कर आशंकाएं जता रहे हैं, वहीँ मुंबई ने किसानों का बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया, सनद रहे बम्बई में जाम ज्यादा लगता है क्योंकि वहाँ न तों दिल्ली की तरह चौड़ी सड़कें है और न ही वैकल्पिक रास्ते. इसके बावजूद बम्बई वालों ने किसानों का गर्मजोशी से स्वागत किया. राज्य सरकार ने भी बहुत सकारात्मक रूप से उनसे बातचीत, उनके स्वास्थ्य का ख्याल, पानी-शौच आदि की व्यवस्था की है .
बम्बई के मुस्लिम समाज ने पानी, कोल्ड ड्रिंक, बिस्कुट आदि का बहुत बड़ा जखीरा किसानो के विश्राम स्थल पर पहुंचा आकर स्वयं सेवकों को लगा दिया है, करीब 40 हजार से ज्यादा किसान मोर्चे में शामिल हुए हैं।
यह पहला मौका है जब किसान किसी आंदोलन में पूरे परिवार के साथ उतरे हों, अन्नदाता वाकई में कर्ज का बोझ कितना झेल रहे हैं कि इसका अंदाजा आप केवल इसी बात से लगा सकते हैं कि कई किसान नंगे पैर ही नासिक से लेकर मुंबई तक आ गए हैं। कइयों के तो पैरों से खून तक रिस रहा है।
एक किसान के फटे पैर की बिवाई और एक महिला किसान कि खुले मैदान में आराम के चित्र इंडिया टुडे के है, तनिक इन्हें देखें और उनको लानत भेजें जो इनके दर्द में सियासत तलाशते हैं, किसान की मांगें जायज है और हर सरकार उनसे धोखा करती रही है . लाल झंडा सत्ता हरण का नहीं, संघर्ष-गरीब-मजलूमों की आवाज़ और इन्कलाब का निशाँ है।