बीजेपी अटल युग से भटककर ‘व्हीलर-डीलर्स’ गिरोह बनती जा रही है

शायद बीजेपी के तेज़ी से गिरता ग्राफ़ से उत्तर प्रदेश में किसी नए वैकल्पिक राजनीति के रास्ते खोले, जो होता है, अच्छे के लिए होता है !

New Delhi, Mar 15 : बीजेपी आज ‘अटल’ युग से भटक कर दलबदलुओं से भरी ‘नरेश अग्रवाल’ जैसे सौदेबाज़ ‘व्हीलर डीलर्स’ का गिरोह बनती जा रही है। अभी आने वाले राज्यसभा चुनाव में ख़रीद फ़रोख़्त नज़ारा भी देखने को मिलेगा ! उपचुनावों के परिणाम मुख्यमंत्री योगी और उपमुख्यमंत्री मौर्य की हार है, संगठन महामंत्री सुनील बंसल के भ्रष्टाचार की हार है, विरोधियों को अहंकारवश ‘सांप-छछून्दर’ कहना, हर बात पर व्यंग्यात्मक कुतर्क देना, भ्रष्टाचार में अपेक्षा के विपरीत ‘कम होने की जगह और बढ़ोतरी’ हो जाना, किसानों की बदहाली, क़र्ज़माफ़ी के नाम पर मज़ाक़, 15 पैसा, 45 पैसे तक के चेक, बढ़ती बेरोज़गारी, महंग़ाई की मार, रेता/बालू/मोरंग़ तक का टोटा, अल्प/मध्यवर्ग को निजी मकान तक बनाना तक दूभर, टीईटी, बीटीसी, शिक्षा मित्रों की समस्या पर ध्यान न देना। 

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नोटबंदी के कारण रियल स्टेट व्यवसाय समाप्त होने से दिहाड़ी मज़दूरों की बदहाली, पूंजीपतियों से सांठगांठ, अम्बानी/अड़ानी का वर्चस्व, मूल समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए गाय, मंदिर, धर्म, क्षद्म राष्ट्रवाद, बॉर्डर पर कुछ न कर पाना, पाकिस्तान समस्या/नक्सलवाद का राजनीतिक समाधान न खोजने के कारण शहीद होते युवाओं के गाँव/परिवारों का रोष, स्कूलों में पढ़ाई न कराके नक़ल रोकने के नाम पर ड्रामेबाज़ी। सांसदों द्वारा अंगिकृत गांवों की उपेक्षा Startup India, Standup India, मुद्रा योजना, कौशल विकास मिशन, स्मार्ट सिटी/गाँव, नमामि गंगे जैसी योजनाओं की नाकामी। असली भाजपा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर भ्रष्ट दलबदलू जातिवादी नेताओं को प्रश्रय देना। 

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अहंकारवश बड़बोलापन- कथनी/करनी में अंतर, वोट की राजनीति के लिए धार्मिक/जातिगत द्वेष फैलाना, कासगंज जैसे दंगे/ साम्प्रदायिक घटनाओं में लिप्त भाजपा नेताओं पर कार्यवाही न कर पाना। सहारनपुर जातीय दंगा, CM योगी का अपने भ्रष्ट मंत्रियों व नौकरशाहों पर नियंत्रण न होना, सुनील बंसल जैसे भ्रष्ट संगठन महामंत्री द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों को पैसे लेकर तैनाती कराना, पैसे लेकर टिकट देना, योगी सरकार का शराब माफ़िया पॉंटी चड्डा की चड्डी में लिपटे रहना, पंजीरी माफ़िया खंडेलवाल के चंगुल से बाहर न निकल पाना, प्रशासनिक अनुभवहीनता, भाजपा के कार्यकर्ताओं के ज़िला स्तर पर छोटे-२ काम तक भी न हो पाना। 

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दलित, अल्पसंख्यक़ों, पिछडे वर्ग के लोगों की उपेक्षा, महिला उत्पीड़न/ बलात्कारों पर लगाम लगने में नाकाम होना, किसान/मज़दूरों की बढ़ती दरिद्रता, कुल मिला कर झूठे सपने दिखाने वाली भाजपा सरकार जनअपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर पायी। यही सब रहा तो मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में निश्चित हार के लिए भाजपा को तैयार हो जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में CM योगी के ईमानदार होने के बावजूद भी काम नहीं कर पा रहे। वर्तमान भाजपा अटल युग से भटकती नज़र आती है, भाजपा आज दलबदलुओं के अधीन व्हीलर-डीलर्स की पार्टी बनकर रह गयी है !!
शायद भाजपा के तेज़ी से गिरता ग्राफ़ से उत्तर प्रदेश में किसी नए वैकल्पिक राजनीति के रास्ते खोले, जो होता है, अच्छे के लिए होता है !

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)