मोदी पर कांग्रेस की कृपा बनी रहे

अखिलेश और मायावती ने भारत की सबसे पुरानी और महान पार्टी कांग्रेस को इस लायक भी नहीं समझा कि उससे चुनावी गठबंधन करें।

New Delhi, Mar 19 : कांग्रेस पार्टी के 84 वें महाअधिवेशन में से निकला क्या ? क्या उसमें से कुछ ऐसे सूत्र निकले, जिनसे देश को कोई आशा बंधे ? क्या कोई ऐसा नेता उसमें से उभरा, जो 2019 में देश का नेतृत्व करने लायक हो ? इन दोनों प्रश्नों का जवाब आप उस अधिवेशन में भाग लेने वाले कांग्रेसियों से ही पूछ लीजिए। वे सब भी हाथ मलते हुए घर चले गए।

Advertisement

यह 84 वां अधिवेशन भी किस वेला में हुआ है ? ऐसी वेला में जबकि पूर्वोतर में कांग्रेस का सफाया हो गया है और उत्तरप्रदेश में उसके दोनों संसदीय उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गई हैं। अखिलेश और मायावती ने भारत की सबसे पुरानी और महान पार्टी को इस लायक भी नहीं समझा कि उससे चुनावी गंठबंधन करें। अखिलेश ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था और उसका नतीजा देख लिया। हम तो डूबें हैं सनम, तुमको भी ले डूबेंगे।
इसमें शक नही कि कांग्रेस अभी भी एक पूर्ण अखिल भारतीय पार्टी है और इसका सशक्त रहना भारतीय लोकतंत्र के लिए शुभ ही होगा। लेकिन इसके पास न तो कोई नेता है और न ही नीति है। 2019 के चुनावों में देश के अन्य दल इसे अपना नेता क्यों मानेंगे, कैसे मानेंगे ? लोकसभा में इसके 50 सदस्य भी नहीं हैं और यह सिर्फ चार राज्यों में सिमटकर रह गई है। इसके पैसों के झरने भी सूखते जा रहे हैं।

Advertisement

सिर्फ नरेंद्र मोदी को अहंकारी और ड्रामेबाज कह देने से काम चल जाएगा क्या ? जनता को इससे क्या फर्क पड़ता है? मोदी क्या है, इसे आपसे ज्यादा संघ और भाजपा के लोग जानते हैं। narendra modiभारत की जनता भी जानने लगी है। इसका अंदाज हम-जैसे लोगों को पहले से था लेकिन फिर भी देश की मजबूरी थी कि आप की जगह उसको लाना पड़ा, क्योंकि देश की जनता भ्रष्ट और छद्म सरकार से तंग आ चुकी थी। इतनी तंग आ गई थी कि प्रधानमंत्री की कुर्सी पर मोदी तो क्या, किसी को भी बिठा सकती थी।

Advertisement

यह ठीक है कि आज चार साल में देश का मोहभंग शुरु हो गया है लेकिन देश का नेतृत्व बदलने के पहले कांग्रेस को अपने नेतृत्व पर विचार करना होगा। pm modiवोट डालने के लिए मशीनों के बजाय पर्चियों की मांग करना और लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाने की मांग का विरोध करना क्या है ? क्या यह बौद्धिक शून्यता का परिचायक नहीं है ? कांग्रेस की कृपा का ही परिणाम मोदी है और मोदी का यदि दुबारा आना हुआ तो वह भी कांग्रेस की कृपा से ही होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)