2019 जैसे-जैसे नजदीक आएगा, दलित और मंदिर का खेल भरपूर गरमाएगा

अनशन का यह पत्ता कुछ ज्यादा इसलिए भी काम करेगा कि बीेजपी के अपने कई दलित सांसद उसकी बखिया उधेड़ने में लग गए हैं।

New Delhi, Apr 09 : राहुल गांधी दलितों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में सांकेतिक अनशन पर बैठेंगे. दरअसल यह मौजूदा माहौल में बीजेपी के खिलाफ उनका ऐसा दांव है जो दलितों में पैदा हो रहे या फिर पैदा किेए जा रहे असंतोष को हवा देकर उन्हें अपनी तरफ करने की कोशिश करेगा. अनशन का यह पत्ता कुछ ज्यादा इसलिए भी काम करेगा कि बीेजपी के अपने कई दलित सांसद उसकी बखिया उधेड़ने में लग गए हैं.

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दिल्ली के उदितराज से लेकर इटावा के अशोक दोहरे और राबर्ट्सगंज के छोटेलाल खरवार से लेकर बहराइच की सावित्री बाई फुले और नगीना के य़शवंत सिंह तक खुलकर कह रहे हैं कि pm modiमोदी सरकार में दलितों का भला नहीं हो सका है और २ तारीख के आंदोलन के बाद प्रशासन का अत्याचार दलितों पर बढा है.

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मायावती वैसे इन सभी सांसदों को खदेड़ रही है. इन्हें मतलबी कह रही है और ऐसा कहने के पीछे उनका अपना डर है. Rahul Gandhi2लेकिन राजनीति को जो लोग ठीक से समझ रहे हैं उनको पता है कि बीजेपी के इन सांसदों की खिचड़ी अंदरखाने कहां पक रही है. इस बार टिकट नहीं मिला तो जुगाड़ और दबाव दोनों पहले से बनाकर रखना जरुरी है.

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वैसे सच यह भी है कि मोदी को २०१४ में दलितों का जैसा थोकभाव समर्थन मिला, उसने जीत के सारे अनुमान फेल कर दिए थे. लिहाजा, विपक्ष इस बात पर जोर लगाए हुए है कि narendra modiकुछ भी हो जाए, दलितों की पिछली बार वाली भूमिका दोहराई नहीं जानी चाहिए. इसलिए जितना बंटे, जहां बंटे, बांट लो. २०१९ जैसे-जैसे नजदीक आएगा, दलित और मंदिर का खेल भरपूर गरमाएगा.

(India News के प्रबंध संपादक राणा यशवंत के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)