सफाईकर्मियों को IAS जितनी सैलरी मिलनी चाहिये, रिटायर्ड अधिकारी ने मंत्री को दिया जवाब
‘ सफाई कर्मियों का वेतन IAS अधिकारी के बराबर होना चाहिए’। ज़रूर होना चाहिए, भाई प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति के बराबर क्यों नहीं होना चाहिए ?
New Delhi, Apr 29 : आजकल ‘दलित-हित’ के ढोंग में नेतागण तलवे, पैर, थूक और भी न जाने क्या-क्या चाटने को आतुर हैं, और ग़रीब दलित भ्रमित है कि ये हो क्या रहा है। क्या ये सच है या फिर चुनावी स्टंट ? रामविलास पासवान ने कहा कि ‘ सफाई कर्मियों का वेतन IAS अधिकारी के बराबर होना चाहिए’। ज़रूर होना चाहिए, भाई प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति के बराबर क्यों नहीं होना चाहिए ? पासवान जी, आप सत्ता में हैं, क्यों नहीं ऐसा प्रस्ताव रखते हैं। यदि सरकार आपकी बात नहीं मानती तो दलित हित में अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए, क्या ऐसा करेंगे, ये मान्यवर।
आज कल दलित वोट के लिए ‘प्रतिस्पर्धा’ लगी है, राजनीतिक चलचित्र की इस पटकथा में कौन नेता कब कौन सा मुखौटा लगा ले, पता नहीं ? आप कल सब ‘दलित हितेषी’ का मुखौटा लगाने लिए आतुर हैं। तलवे, पैर, थूक और भी न जाने क्या-क्या चाटने की विलक्षण कला दिखा रहे हैं। Dignity of Labour की बात करने वाले पासवान साहब क्या अपने घर काम करने वाले किसी सफ़ाई कर्मी को अपने घर परिवार के साथ table पर बैठा कर कभी नाश्ता कराएँगे। नेतागणों में होड़ लगी है दलितों के घर जाकर भोजन करने की, उत्तर प्रदेश में लेखपाल के पैसे से दलितों के घरों में खाना बनवा रहे हैं, ज़िलाधिकारी, मंत्री/सन्तरी भोजन कर मस्त है, दलित बेचारा समझ नहीं पा रहा है कि हो क्या रहा है ? वास्तव में दलित प्रेम है तो वास्तविक ग़रीब दलित परिवार के घर सुखी रोटी/चटनी क्यों नहीं चखते नेता, बुंदेलखंड में जाकर घास की रोटी खा कर दिखाएँ, ढोंगी/पाखण्डी कहीं के !
दलितों को अनपढ़, नासमझ मान कर हो रहा है ये ड्रामा, दलित नेताओं ने ख़ुद दलितों को वोट के लिए मूर्ख बनाया है। पता नहीं कब जागेगी, ग़रीबों की ख़ुद्दारी, जब वोट के लिए ढोंग रचने वाले नेताओं को धक्के मार कर घर से बाहर निकालेंगे। पासवान जी ने तो अपनी दलित पत्नी, राजकुमारी देवी को शादी के २० साल के बाद दो बच्चियों के साथ divorce कर एक ब्राह्मण Air Hostess, रीना शर्मा से शादी कर लिया। यदि इतने दलित हितेषी थे तो क्यों छोड़ा एक देहाती दलित पत्नी को ? दल बदल-२ कर कुर्सी पर चिपके वाले, पासवान जैसे ‘तथाकथित’ दलित नेता का गिरगिटी रूप है, ये ही है, झूठ – झूठ और कोरा झूठ, पाखंड !
दलित राजनीति नाम पर पासवान जैसे दलित नेताओं ने कितना पैसा कमाया ? क्या पासवान जी के विभाग में बिना पैसे के कोई काम होता है, बताएँगे ? आज गाँवों में रखे गए सफ़ाई कर्मियों व नगरपालिकाओं में भी रखे जा रहे कितने ही सवर्ण सफ़ाई कर्मी तैनात हैं। लखनऊ में सफ़ाई कार्य/कूड़ा उठाने करने वाली Ecogreen संस्था में ९०% सवर्ण कर्मी हैं। व्यवस्था में बदलाव को समाज धीरे-२ स्वीकार कर रहा है। २०१९ के चुनाव से पहले की राजनीतिक नौटंकी में पासवान जैसे अनेक ‘झूँठे-जोकर’ नेतागणों के दोहरे-चरित्र वाले अनेक मुखोटे दिखायी देंगे …. देखते रहिए !!