सारी उम्र जेल में रहेगा आशुमल

जोधपुर जेल में चार साल से बंद आसाराम को बुधवार को जोधपुर हाईकोर्ट ने आरोपी मानते हुए उम्रकैद की सजा का ऐलान किया है

New Delhi, Apr 30 : आशुमल सिंधी यानि आशाराम दोषी पाया गया, अभी सजा का एलान हुआ नहीं कि घबराहट में हाय हाय करने लगा, डॉक्टर आये और पाया कि अभी उसे अस्पताल ले जाने की जरुरत नहीं , सारी उम्र जेल में रहेगा आशुमल, उम्र कैद की सजा हुई . बापू खूब रोया कोर्ट में लेकिन जज ने कोई दया नहीं की . पास्को एक्ट में अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है — अपनी मौत तक आसुमल को जेल में रहना होगा, अब उसे कैदी के कपडे पहनने होंगे

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जोधपुर जेल में चार साल से बंद आसाराम को बुधवार को जोधपुर हाईकोर्ट ने आरोपी मानते हुए उम्रकैद की सजा का ऐलान किया है. इस फैसले के बाद जोधपुर की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. जज मधुसूदन शर्मा ने आसाराम बापू को 16 साल की मासूम लड़की से यौन उत्पीड़न के आरोप में दोषी करार दिया है. इस मामले में आसाराम के साथ शिल्‍पी और शिवा को भी दोषी करार दिया गया है. जबकि शरत और प्रकाश दोषी करार दिया गया है. आसाराम के सहआरोपी शिल्‍पी और शिवा को बीस-बीस साल की सजा सुनाई गई है. इस मामले में दो और आरोपी प्रकाश और शिवा को बरी कर दिया गया है.

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गौरतलब है कि 2013 अगस्त में एक 16 साल की लड़की ने आरोप लगाया था कि आसाराम ने जोधपुर आश्रम में उसके साथ यौन शोषण किया. asaram12दो दिन के बाद ही लड़की के पिता ने दिल्ली जाकर आसाराम के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई. पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल टेस्ट कराने के बाद केस राजस्थान पुलिस को ट्रांसफर कर दिया. राजस्थान पुलिस ने आसाराम को पूछताछ के लिए 31 अगस्त 2013 तक का समय देते हुए सम्मन जारी किया.

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पुलिस के समन के बावजूद आसाराम को कोई फर्क नहीं पड़ा और वो हाजिर नहीं हुए. जब वो हाजिर नहीं हुए तो दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ धारा 342, 376 और 506 के अन्तर्गत केस दर्ज किया. आरोप लगे कि आसाराम पुलिस से बचने के सारे हथकंडे अपनाते रहे. यहां तक कि ये भी आरोप लगा कि लड़की के परिवार को केस वापस लेने के लिए धमकाया गया. इंदौर में जब आसाराम प्रवचन देने पहुंचे थे, तब पुलिस पूरे फोर्स के साथ उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची, पंडाल के बाहर आसाराम के समर्थकों ने पुलिस से मारपीट भी की. भारी हंगामे के बीच 1 सितंबर 2013 को आसाराम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उन्हें जोधपुर जेल शिफ्ट कर दिया गया.

(वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)