राहुल गांधी के बयान पर संघी बोले तो ठीक, लेकिन मीडिया वाले क्यों गुर्रा रहे हैं ?
कुछ लोग हो-हल्ला मचा रहे हैं कि राहुल गांधी ने अपनी डेमोक्रेसी पर मंडराते खतरे की तुलना पाकिस्तान या कुछ अफ्रीकी मुल्कों से करके भारत का अपमान कर दिया !
New Delhi, May 17 : कांग्रेस या उसके अध्यक्ष राहुल गांधी का मैं कभी समर्थक नहीं रहा ! कांग्रेस सरकारों के दौर में उनकी भी आलोचना करता था। जितना संभव था, अखबारों में लिखता था! लेकिन आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान में मुझे तो कुछ भी ग़लत नहीं लग रहा है!
राहुल ने मोदी-दौर में भारतीय लोकतंत्र का जो हाल बताया, उसमें ग़लत क्या है! कुछ लोग हो-हल्ला मचा रहे हैं कि राहुल ने अपनी डेमोक्रेसी पर मंडराते खतरे की तुलना पाकिस्तान या कुछ अफ्रीकी मुल्कों से करके भारत का अपमान कर दिया!
भाजपा-संघ वाले यह कहें तो बात समझ में आती है! डेमोक्रेसी की ‘ऐसी-तैसी’ तो वहीं कर रहे हैं न! लेकिन कुछ मीडिया वाले भी राहुल गांधी के बयान पर पता नहीं क्यों गुर्रा रहे हैं!
क्यों भाई, प्रेस फ्रीडम के अंतरराष्ट्रीय सूचकांक में भारत की महान् डेमोक्रेसी और कट्टरपंथ-सैन्य दबदबे वाले पाकिस्तान को किस नंबर पर रखा गया है?
सन् 2018 के सूचकांक में भारत 138 और पाकिस्तान 139 वें नंबर पर हैं! असमानता, जनतांत्रिकता और मानव विकास सूचकांक में भी दोनों देश बिल्कुल आसपास हैं! समाज की दशा देखिए, न्याय तंत्र, मीडिया, संसदीय-विधायी व्यवस्था और ब्यूरोक्रेसी का हाल गौर से देखिए; क्या आपको भारत एक प्रौढ़ लोकतंत्र की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है? अगर लोकतंत्र सिमटता नजर नहीं आ रहा है तो आपको अपने दृष्टिदोष पर गौर करना चाहिए!