तो अब खुलने लगे हैं महाभारत के रहस्य, योद्धाओं के शवों के साथ किया गया था ऐसा काम

महाभारत में पांडवों ने संधि के दौरान जिन पांच गांवों की मांग की थी, उसमें जनपद बागपत के बरनावा, बागपत नगर और यमुना नदी के दूसरी ओर हरियाणा के सोनीपत और पानीपत नगर, ये चार गांव तो उन्होने खुद मांगा था।

New Delhi, Jun 19 : महाभारत में पांडवों के जान से मारने के लिये कौरवों ने लाक्षागृह बनवाया था, उसकी तलाश क्या शुरु हुई, बागपत के बरनावा के आस-पास के इलाकों में इतिहास की परतें खुलनी शुरु हो गई है। आस-पास के इलाकों में जब खुदाई की गई, तो चंदायन से लेकर सिनौली तक इसके सबूत मिले हैं। जब इन्हें गंभीरता से लिया गया, तो इतिहास के पन्ने में दफन महायोद्धाओं की वीरगाथा के प्रमाण भी सामने आने लगे हैं। हाल ही में सिनौली से करीब 100 प्रमाण ऐसे मिले हैं, जो इस पर मुहर लगा रहे हैं, इसके अनुसार पांच हजार साल पुरानी हमाभारत के ये अंश हैं, जिन्हें हम केवल इतिहास के पन्नों में पढते आये हैं।

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पांडवों ने मांगे थे ये गांव
प्राप्त जानकारी के अनुसार महाभारत में पांडवों ने संधि के दौरान जिन पांच गांवों की मांग की थी, उसमें जनपद बागपत के बरनावा, बागपत नगर और यमुना नदी के दूसरी ओर हरियाणा के सोनीपत और पानीपत नगर, ये चार गांव तो उन्होने खुद मांगा था, साथ ही पांचवां कौरवों की इच्छा से देने को कहा था। भौगोलिक रुप से भी ये सिद्ध होता है, कि ये इलाका कुरु जनपद का प्राचीन काल से एक केन्द्र रहा है, जिसकी प्राचीन राजधानी हस्तिनापुर और इंद्रप्रस्थ रही है।

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ताम्र धातु के मिले थे टुकड़े
इसी साल 15 फरवरी को सिनौली उत्खन्न स्थल पर स्थानीय इतिहासकारों ने एक ट्रायल ट्रेंच की मांग की थी, जिसके बाद पुराविद डॉ. संजय मंजुल और डॉ. अरविंद मंजुल के निर्देशन में खुदाई का काम शुरु हुआ। मालूम हो कि साल 2007 में सिनौली से ताम्र धातु के कुछ टुकड़े तीर के आकृति के प्राप्त हुए थे। जिस स्थान पर ग्रामीणों द्वारा मिट्टी हटाई गई थी, उसी जगह पर सिनौली का ये ऐतिहासिक ट्रेंच लगाया गया।

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योद्धाओं का एक रथ भी मिला
सिनौली में खुदाई से मिली पौराणिक वस्तुओं के विषय में पुरातत्व विभाग के निदेशक ने बताया कि यहां से 8 मानव कंकाल और उनके साथ तीन एंटीना सॉर्ड (तलवारें), काफी संख्या में मिट्टी के बर्तन और विभिन्न दुर्लभ पत्थरों के मनकें मिले थे। सबसे महत्वपूर्ण 5 हजार साल पुरानी मानव योद्धाओं के तीन ताबूत मिले थे, जो तांबे से सुसज्जित किये गये थे।

दोबारा लिखा जाएगा इतिहास
अभी कर विश्व के इतिहासकार भारतीय मानव सभ्यता के प्राचीन निवासियों को बाहर से आया हुआ बताकर उसे अन्य सभ्यताओं से कम आंकते रहे हैं। सिनौली से मिले सबूतों के बाद अब ये बदल जाएगा। सिनौली सभ्यता भारतीय संस्कृति एवं इतिहास को विश्व के पुरातत्वविदों को दोबारा लिखने के लिये मजबूर कर रहा है। यहां योद्धाओं के शव कते साथ उनके युद्ध रथ भी दफन किये गये हैं।

कार्बन डेटिंग से मिले प्रमाण
एक पुरातत्व विद के अनुसार रसायनिक विधियों से प्राप्त कार्बनडेटिंग भी यहां की सभ्यता को 4 से 5 हजार साल पुराना होने का प्रमाण देती है, सिनौली से 2005 में प्राप्त हुए सैकड़ों मानव शव महाभारत सभ्यता के निवासियों के होने की ओर इशारा करते हैं। हाल की खुदाई में प्राचीन ताबूत भी मिले हैं। जिससे पता चलता है कि भारत के प्राचीनतम शवाधान केन्द्रों की एक दुर्लभतम प्रक्रिया ताबूत में मानव शव को दफनाया जाना भी था।

2014 में मिला था तांबे का मुकुट
मालूम हो कि सिनौली सबसे अधिक महत्वपूर्ण और दुर्लभ साइट के रुप में साल 2005 की खुदाई में सामने आया था, महाभारत के रहस्यों की खोज कर रहे इतिहासकारों के लिये बागपत का बरनावा लाक्षागृह, सिनौली और चंदायन आकर्षण का केन्द्र बन गये हैं। साल 2014 में चंदायन गांव के करीब तांबे का एक मुकुट मिला था।