देश का ‘कीर्ति चक्र’ बन गया है चेतन चीता, ये वो नाम है जिससे आतंकियों की रुहें भी कांपती हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कश्‍मीर की बात की थी। लेकिन, चेतन चीता जैसे पराक्रमी फौजी की बात के बिना ये सब अधूरा है।

New Delhi Aug 15 : कश्‍मीर के बांदीपुरा के हाजिन में 14 फरवरी का वो एनकाउंटर मुझे आज भी याद है। सीआरपीएफ के कमांडेंट चेतन चीता को खबर मिली थी कि हाजिन में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं। वो अपनी टुकड़ी लेकर आतंकियों को घेरने के लिए रवाना हो चुके थे। कुछ ही देर बाद यहां पर एके 47 रायफलों ने आग उगलनी शुरु कर दी थी। हर ओर सिर्फ गोलियों और धमाकों का ही शोर था। सुरक्षाबलों के जवानों ने मोर्चा संभाल हुआ था। जिसकी कमान चेतन चीता के हाथ में थी। आतंकियों ने चेतन के शरीर में नौ गोलियां घुसा दी थीं। लेकिन, इस बंदे का हौंसला नहीं डिगा। आंख में गोली लगने के बाद भी एके 47 के ट्रेगर से चीता की ऊंगली नहीं हटी थी। घायल चीता ने 16 राउंड फायर किए थे और लश्‍कर-ए-तैयबा के कमांडर अबू हारिस को मार गिराया था।

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इसी के बाद चेतन चीता की जंग जिदंगी और मौत से शुरु हो गई थी। लेकिन, जीवट कमांडेट ने मौत को भी मात दे दी। आज सीआरपीएफ का ये कमांडेट देश का कीर्ति चक्र बन चुका है। स्‍वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चेतन चीता समेत सेना और अर्द्धसैनिक बलों के कुल 112 जवानों को इस साल के वीरता पुरस्कारों के लिए चुना। यकीन मानिए कश्‍मीर में चेतन चीता के नाम से आतंकियों की रुहें भी कांपती हैं। अगर आतंकियों को पता चल जाता है कि फलां एनकाउंटर की कमान चेतन ने संभाली हुई है तो उन्‍हें अपनी मौत का भी यकीन हो जाता है। उन्‍हें पता चल जाता है कि बचने की कोई गुुंजाइश नहीं है। सीआरपीएफ को अभी उनकी कमी खल रही है। लेकिन, उम्‍मीद की जा रही है कि उनका जलवा एक बार फिर घाटी में देखने को मिलेगा।

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कश्‍मीर में ऑपरेशन ऑल आउट की जो शुरुआत हुई है उसे खत्‍म चेतन चीता सरीखे जाबांज जवान ही करेंगे। सिर्फ चेतन ही नहीं बल्कि सेना का हर जवान असाधारण वीरता और जीवटता का परिचय देता है। इनकी बहादुरी को हम सिर्फ एक दिन में समेट नहीं सकते हैं। चाहें बात गोरखा राइफल के हवलदार गिरीश गुरंग की हो या फिर नगा रेजीमेंट के मेजर डेविड मेनलुन की। या फिर सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद कुमार की। इनमें और चेतन में बस इतना फर्क है कि चेतन को जीते जी कीर्ति चक्र से नवाजा जाएगा जबकि इन सभी को मरणोपरांत ये सम्‍मान मिलेगा। हिंदुस्‍तान के हर एक जवान की कीमत देश के लिए बेशकीमती है। हर हिंदुस्‍तानी ये कामना करता है कि हमारे सभी जवान सुरक्षित रहें। सलामत रहें।

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आतंकियों की रुह कांपाने वाला सीआरपीएफ का ये जांबाज सिपाही राजस्‍थान के कोटा का रहने वाला है। सारी पढाई लिखाई कोटा से ही हुई। चेतन अभी अपनी पत्‍नी उमा और बच्‍चों के साथ दिल्ली में रहते हैं। चेतन को दो बेटे और एक बिटिया है। चेतन अभी भी अपनी बटालियन में वापस जाना चाहते हैं। कश्‍मीर में आतंकियों से लोहा लेना चाहते हैं। लेकिन, मेडिकल ग्राउंड उन्‍हें इस बात की इजाजत नहीं होती। चेतन कहते हैं कि घाटी में सिर्फ तीस फीसदी लोगों ने ही माहौल खराब किया हुआ है। लेकिन, हम कहते हैं कि हमारी फौज का एक सिपाही ही इन तीस फीसदी गद्दारों पर भारी है। जब तक चेतन जैसे जांबाज सिपाही भारतीय सेना और अर्ध सैनिक बलों में भर्ती होते रहेंगे यकीन मानिए आतंकियों, दहशतगर्दों और गद्दारों का एक भी मंसूबा कामयाब नहीं होगा। जयहिंद !