राहुल गांधी के दौरे आखिर पिकनिक और डिजास्टर टूरिज्म में क्यों बदल जाते हैं ?

राहुल गांधी सियासी तौर पर अभी परिपक्व नहीं हुए हैं, किसी हादसे के बाद उस स्थान पर जाने पर सवाल खड़े हो जाते हैं, दौरे के पीछे की राजनीति सब देख लेते हैं।

New Delhi, Aug 19: कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी काफी कोशिश कर रहे हैं, वो वंशवाद की छाप से निकलने की जितनी कोशिश करते हैं उतना ही वो फंसते जाते हैं। कांग्रेस ने राहुल के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव के साथ साथ कई चुनाव लड़े हैं। जिनमें उनको हार का सामना करना पड़ा है। राजनीतिक विश्वसनीयता और क्रेडिबिलिटी की बात करें तो राहुल का स्कोर यहां पर ज्यादा नहीं है। इसके बाद भी कांग्रेस के नेता उनसे उम्मीद लगाए बैठे हैं। ये वही बात है कि जैसे कोई सेब के पेड़ से संतरे पैदा होने की उम्मीद करे। राहुल फेल हो रहे हैं ये बात कांग्रेसी मानने को तैयार नहीं है।

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डॉक्टर भी कहते हैं कि अगर बीमारी का पता नहीं चलेगा तो इलाज कैसे होगा, कांग्रेस भी अपनी बीमारी को समझने और उसे मानने से इंकार कर रही है। वो इसे छिपा रही है। जाहिर है ऐसे में उपाय कहां से कोई देगा। राहुल गांधी फ्रंट पर दिखाई देते हैं लेकिन उनके पीछे वंशवाद की छाया साथ चलती है। वो देश में, खास तौर पर बीजेपी शासित राज्यों में कोई हादसा होता है तो वहां पर पहुंच जाते हैं। लेकिन वहां जाकर भी वो कोई बहुत बड़ा सियासी फायदा नहीं उठा पाते हैं। दरअसल राहुल के हर दौरे पर सवाल खड़ा हो जाता है। गोरखपुर का ताजा मामला ले लेते हैं। यहां पर राहुल के दौरे पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

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इस से पहले गुजरात में बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए राहुल गांधी पहुंचे थे, जिसे मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने डिजास्टर टूरिज्म करार दिया था। आखिर ऐसा क्यों है कि राहुल के दौरे के पीछे छिपी राजनीति हर कोई देख लेता है। ये राहुल की सियासी हार है, कोई ये मानने को तैयार ही नहीं होता है कि राहुल किसी हादसे में लोगों का दुख दर्द बांटने के लिए गए। इसका कारण ये है कि राहुल हादसा होने के बाद ही जाते हैं, उस से पहले वो उस इलाके में कभी गए ही नहीं होते हैं। गोरखपुर का हादसा इसकी मिसाल है। यहां पर दिमागी बुखार से पिछले कई सालों से बच्चों की मौत हो रही है। उसके बाद भी राहुल एक बार भी यहां के लोगों का दुख दर्द जानने के लिए नहीं गए।

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अब गोरखपुर का मामला सियासी तौर पर गरमाया है तो राहुल वहां पर पहुंच गए। योगी आदित्यनाथ ने तो राहुल पर करारा हमला भी कर दिया, योगी ने कहा कि दिल्ली में बैठा कोई युवराज पूर्वी उत्तर प्रदेश का दर्द नहीं जान सकता है। वो गोरखपुर को सियासी पिकनिक स्पॉट नहीं बनने देंगे। सवाल जायज है, गोरखपुर और पूर्वी यूपी में इनसेफिलाइटिस का कहर कई सालों से लोग झेल रहे हैं। राहुल ने कितनी बार वहां जाकर लोगों से बात की, यूपीए सरकार के दौरान क्या राहुल ने कोई कदम उठाया इस बीमारी से लड़ने के लिए। वहीं दूसरी तरफ भले योगी पर सियासी हमला किया जा रहा हो, लेकिन ये बात सच है कि वो पिछले कई सालों से इस बीमारी से लड़ रहे हैं। ऐसे में राहुल का गोरखपुर जाना सवाल तो खड़े करेगा ही।