गौरी लंकेश की हत्या पर हंगामा करने वालों पर बिफरी मालिनी अवस्थी, हिन्दी वालों को दिखाई ‘औकात’ !
गौरी लंकेश : हिंदी की हैसियत ही क्या है… वही भारतीय संस्कृति पर गर्व करनेवाले गंवार हम सब ! हमारी मौतें भला कोई मौतें हैं!
New Delhi, Sep 08 : 5 सिंतबर की रात बंगलुरु में वरिष्ठ महिला पत्रकार गौरी लंकेश को उनके घर के बाहर ही कुछ अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी, इस तरह से पत्रकार की हत्या पर मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में हंगामा मचा हुआ है। सोशल मीडिया के माध्यम से लोग अपनी भड़ास निकाल रहे हैं, तो कोई विचारधारा के खिलाफ लिखने वाली महिला पत्रकार की इस तरह से हत्या को लोकतंत्र की हत्या बता रहा है। लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने बिना किसी का नाम लिये हिन्दी भाषियों पर तंज कसा है, उन्होने फेसबुक के जरिये अपने मन की व्यथा को व्यक्त किया है। उन्होने लिखा है…
वास्तव में भारत को सबसे पहले, औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त कराना होगा।
आज भी, बड़ा आदमी वही, जो अंग्रेजी में बोले, लिखे!
जा रे हिन्दी भाषियों, तुम्हारी भी कोई वक़त है!
न तुम्हारे लिखने पर, न तुम्हारे ख़ामोश संघर्ष पर, न तुम्हारी हत्याओं पर!
यू पी बिहार में सच का पर्दाफ़ाश करने का जिगर रखने वाले कितने ही खामोश कर दिए,
क्यों, कोई उन पर लिखे, सवाल उठाए, आँसू बहाए, क्यों हो शोकसभा, और राजकीय सम्मान तो क़तई नही।
हिंदी की हैसियत ही क्या है…
वही भारतीय संस्कृति पर गर्व करनेवाले गंवार हम सब!
हमारी मौतें भला कोई मौतें हैं!
आज से पितृ पक्ष आरम्भ है। आज चीत्कार करने वालों ने संभवतः आप सबका नाम न सुना होगा, या आप सबकी अकाल हत्याओं को उस अखबार की एक खबर भर समझा हो, जो दो घंटे बाद कूड़ेदान में फेंक दिया जाता हो।
हिन्दी भाषी हैं ही क्या, क्या हैसियत है हमारी, कि हमारे लिए कोई आंदोलन छिड़ जाए!नमन राजेश वर्मा
नमन जगेन्द्र सिंह
नमन संदीप कोठारी
नमन संजय पाठक
नमन हेमंत यादव
नमन राजदेव रंजन
कई सदियां लगेगीं इस औपनिवेशिक संस्कृति का मुलम्मा उतरने में। …
अगले जनम में अंग्रेज़ी में बोलना, लिखना, बिछना,बिछाना!!
अंग्रेज़ी पत्रकार हिंदी से इतर सभी भाषाओं का झंडा ऊँचा रखते हैं। हिंदी पट्टी के बुद्धिजीवी भी शायद यह समझ न पाएँ..
हुवाँ हुवाँ करते रहिए!