BJP को बर्दास्‍त नहीं रोहिंग्‍या मुसलमानों का समर्थन ! बेनजीर को भारी पड़ी हमदर्दी

रोहिंग्‍या मुसलमानों को लेकर देश के कई हिस्‍सों में बवाल मचा हुआ है। BJP ने इन मुसलमानों के समर्थन पर अपनी एक महिला नेता तक को पार्टी से निकाल दिया।

New Delhi Sep 17 : रोहिंग्‍या मुसलमानों को लेकर देश के कई हिस्‍सों में बवाल मचा हुआ है। दिल्‍ली में भी इन मुसलमानों के समर्थन में प्रदर्शन हो चुके हैं और कश्‍मीर में भी हिंसा हो चुकी है। लेकिन, भारतीय जनता पार्टी को इन रोहिंग्‍या मुसलमानों का समर्थन कतई बर्दास्‍त नहीं हैं। बीजेपी की एक महिला नेता ने इन मुसलमानों को समर्थन किया तो उसे पार्टी से बाहर का रास्‍ता दिखा गया है। दरसअल, असम की बीजेपी नेता बेनजीर अरफां ने ये काम पार्टी लाइन से हटकर किया। इसलिए उन पर ये कार्रवाई की गर्इ। दरअसल, मसले को सीधे शब्‍दों में समझेंगे तो विवाद की गुंजाइश कम ही नजर आएगी। लेकिन, कट्टरता और जातिवाद के नजरिए से देखेंगे तो आपको इस फैसले में कई खोट दिखाई पड़ेगी। पहले पूरा मसला समझ लीजिए।

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बात सीधी सी ये है कि भारत सरकार ने देश में रह रहे रोहिंग्‍या मुसलमानों को अवैध शरणार्थी करार दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि देश में मौजूद रोहिंग्‍या मुसलमान फौरन देश छोड़ दें। ये लोग देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं। इसमें तमाम लोग आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। देश के भीतर कुछ आतंकी हमलों में भी इन लोगों का नाम सामने आ चुका है। ऐसे में जरा आप ही बताइए और सोचिए कि चंद लोगों की खातिर पूरे देश की सुरक्षा को कैसे ताक पर रखा जा सकता है। वो भी जानते-बूझते हुए। असम बीजेपी की महिला नेता बेनजीर अरफां पर की गई कार्रवाई को भी इसी बात से जोड़कर देखा जा सकता है। बेनजीर ने रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में आयोजित एक मीटिंग में हिस्सा लिया था।  

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इसी वजह से उन्‍हें पार्टी से बाहर निकाला गया। कोई पार्टी इस बात की कैसे इजाजत दे सकती है कि अगर किसी का विरोध किया जा रहा है तो पार्टी का कोई नेता उसका समर्थन कैसे कर सकता है। हम भी इस बात के पक्षधर हैं कि रोहिंग्‍या मुसलमानों पर म्‍यांमार में जो अत्‍याचार हो रहे हैं वो बंद हों। लेकिन, यहां एक बात ये भी समझनी होंगी कि ये कार्रवाई एकतरफा नहीं है। रोहिंग्‍या के आतंकी संगठन लगातार म्‍यांमार के सुरक्षाबलों को अपना निशाना बना रहे हैं। जवाबी कार्रवाई में उनकी बस्‍ितयों को नुकसान पहुंच रहा है। सीधे शब्‍दों में समझिए तो गेहूं के साथ घुन भी पिस रहे हैं। म्‍यांमार में जो कुछ हो रहा है केंद्र सरकार की नजर उस पर भी है और देश के भीतर भी हो रहे प्रदर्शनों पर हैं।  

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रोहिंग्‍या मुसलमानों के साथ हमदर्दी रखने वाली बीजेपी की महिला नेता को लग सकता है कि उन्‍हें बलि का बकरा बनाया गया हो। लेकिन, उन्‍हें इस बात का भी स्‍पष्‍टीकरण देना चाहिए कि वो रोहिंग्या मुसलमानों के समर्थन में यूनाइटेड माइनॉरिटी पीपुल्‍स फोरम की ओर से आयोजित मीटिंग में हिस्‍सा लेने क्‍यों गई थीं ? क्‍या वो व्‍यक्तिगत तौर पर इस कार्यक्रम में हिस्‍सा लेने गई थीं ? या फिर पार्टी फोरम पर ? अगर वो व्‍यक्तिगत तौर पर इस कार्यक्रम में हिस्‍सा लेने गई थीं तो वो कह सकती थीं कि इसका पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। इन मुसलमानों की चिंता हर किसी को, लेकिन, उन आतंकी संगठनों को भी ये बात समझनी चाहिए जिनकी वजह से लाखों मुसलमान ना म्‍यामांर के हो पा रहे हैं और नाही उन्‍हें बांग्‍लादेश अपना रहा है।