रोहिंग्‍या मुसलमानों को देश की सुरक्षा से जोड़कर देखिए, हिंदू-मुस्लिम के नजरिए से नहीं

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्‍पष्‍ट कर दिया है कि रोहिंग्‍या मुसलमानों से देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा है। जिससे समझौता नहीं किया जा सकता है।

New Delhi Sep 18 : रोहिंग्‍या मुसलमानों को लेकर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर चुकी है। मोदी सरकार का स्‍पष्‍ट तौर पर कहना है कि रोहिंग्‍या मुसलमान देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं। रोहिंग्‍या शरणार्थियों के तार पाकिस्‍तान के आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। वो उनके लिए काम कर रहे हैं। इस सूरत में इन लोगों को किसी भी कीमत पर देश में पनाह नहीं दी जा सकती है। रोहिंग्‍या मुसलमानों को लेकर इस वक्‍त दुनिया के कई देशों में बवाल मचा हुआ है। लेकिन, हमें इस मसले को देश की सुरक्षा से जोड़कर ही देखना चाहिए ना कि हिंदू और मुस्लिम के नजरिए ये इस समस्‍या को देखा जाना चाहिए। मानवता के नजरिए से देखेंगे तो इसमें कोई शक नहीं हैं कि इन मुसलमानों की बड़ी आबादी बहुत परेशान है। लेकिन, परेशान लोगों की भीड़ में कौन आतंकी है ये कैसे पता चल सकता है ?

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रोहिंग्‍या मुसलमानों की समस्‍या का स्‍थायी समाधान निकलना चाहिए। वो किस देश के नागरिक हैं ये तय होना चाहिए। चाहें वो बर्मा में रहें, म्‍यांमार में रहें या फिर बांग्‍लादेश में रहे। भारत को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन, देश के भीतर उन्‍हें रहने की इजाजत नहीं दी सकती है। अब इस खबर को जरा दूसरे नजरिए से समझिए और जवाब दीजिए। रोहिंग्‍या मुसलमानों के हक में दिल्‍ली से लेकर कश्‍मीर तक में बवाल हो रहा है। तमाम संगठन मोदी सरकार के खिलाफ प्‍ले कार्ड्स लेकर नारेबाजी करते हुए दिखाई दे जाते हैं। कहतें हैं इन पर अत्‍याचार हो रहा है। नहीं होना चाहिए। हर कोई चाहता है कि रोहिंग्‍या मुसलमानों या किसी पर भी कोई जुल्‍म ना हो। लेकिन, रोहिंग्‍या मुसलमानों का समर्थन करने वाले संगठनों से एक छोटा और बिलकुल सीधा सवाल है कि क्‍या उन्‍होंने सड़क पर बेसहारा पड़े किसी अजनबी मुसलमान को अपने घर में पनाह दी है ?

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हम सौ फीसदी दावे के साथ ये बात कह सकते हैं कि रोहिंग्‍या के पक्ष में प्रदर्शन करने वाले एक भी संगठन के पदाधिकारी ने किसी भी अनाथ और अनजान मुसलमान को अपने घर में शरण नहीं दी होगी। इसलिए कि उन्‍हें अपनी घर की सुरक्षा की चिंता सताती है। उन्‍हें इस बात का डर रहता है कि कहीं घर का शरणार्थी घर में ही सेंधमारी ना कर दे। रोहिंग्‍या के समर्थकों से हाथ जोड़कर निवेदन है कि जिस तरह आप अपने घर को सुरक्षित रखना चाहते हैं उसी तरह ये देश में भी सवा सौ करोड़ हिंदुस्‍तानियों का घर है। जिसे सुरक्षित रखने की जिम्‍मेदारी हम सभी पर है। इसमें हिंदू भी शामिल हैं और मुसलमान भी। सिख भी हैं और ईसाई भी। मानवता के नाम पर दहशतगर्दी की घुसपैठ नहीं कराई जा सकती है।

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दूसरा बड़ा सवाल इन संगठनों से एक और भी है कि अगर मान लिया जाए कि भारत सरकार रोहिंग्‍या मुसलमानों को देश में शरण देने को तैयार हो जाती है तो कौन सा संगठन और कौन सा नेता इस बात की गारंटी लेगा कि इसमें शामिल सभी लोग सिर्फ इंसान हैं आतंकी नहीं ? है कोई जो ये दावा कर सके कि नहीं रोहिंग्‍या मुसलमानों की भीड़ में कोई आतंकी नहीं है ? है कोई जो ये बता सके कि इन का कनेक्‍शन पाकिस्‍तान के आतंकी संगठनों से नहीं है ? है कोई जो ये कह सके कि हां मैं गारंटी लेता हूं ये लोग दंगा-फसाद नहीं करेंगे ? एक भी शख्‍स सामने नहीं आएगा। इनकी गारंटी लेने के लिए। भारत रोहिंग्‍या मुसलमानों पर कोई अत्‍याचार नहीं कर रहा है। देश का लोकतंत्र देखिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दो रोहिंग्‍या मुसलमानों ने ही लगाई है। इनके दर्द और तकलीफ का हल निकलना चाहिए। लेकिन, इनके दर्द और तकलीफ से देश के भीतर नासूर नहीं पाला जा सकता है। बात कड़वी है लेकिन, सच्‍ची है।