पाकिस्‍तान रोहिंग्‍या मुसलमानों को बना रहा है आतंकवादी, जानिए कैसे ?

भारत सरकार कह चुकी है कि रोहिंग्‍या मुसलमानों के संबंध पाकिस्‍तान के आतंकी संगठनों और आईएसआई से हैं। जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं।

New Delhi Sep 20 : कई लोगों को लगता होगा कि आखिर रोहिंग्‍या मुसलमानों का ताल्‍लुक पाकिस्‍तान और वहां के आतंकी संगठनों से कैसे हो सकता है। जबकि म्‍यांमार की कोई भी सीमा पाकिस्‍तान से नहीं लगती है। ये बात सच है कि म्‍यांमार की कोई भी सीमा पाकिस्‍तान से नहीं लगती है। फिर भी करीब तीन लाख रोहिंग्‍या मुसलमान पाकिस्‍तान के तटीय शहर कराची में दशकों से रह रहे हैं। कराची में ही सबसे ज्‍यादा रोहिंग्‍या मुसलमानों की मेजबानी होती है और यहीं से शुरू होती है उनके आतंकी बनने की दास्‍तान। पाकिस्‍तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के मुखिया मसूद अजहर ने भी कराची से ही बैठकर रोहिंग्‍या मुसलमानों के हक में आवाज उठाई है। उसने मुसलमानों से इस मसले पर एकजुट होने को कहा है।

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मसूद अजहर ने ओसामा बिन लादेन को शेर बताया। वो कहता है कि ओसामा लोगों की मदद के लिए आगे आया। उसने दुनिया के साम्राज्‍य को चुनौती दी। इसके साथ ही मसूद म्यांमार के बौद्ध नेता विराथू की आलोचना भी करता है। रोहिंग्‍या मुसलमानों को उनके खिलाफ भड़काता है। वो कहना है कि विराथू सिर्फ निहत्‍थे लोगों पर जुर्म कर रहा है। मसूद अहजर की ओर से इन मुसलमानों के समर्थन का मतलब आप बखूबी समझ सकते हैं। मसूद अहजर जैसे आतंकी सरगना इन मुसलमानों का इस्‍तेमाल आतंक के लिए करते हैं। इसके पीछे भी कई वजह हैं। इनकी कोई पहचान नहीं होती। इन्‍हें पाकिस्‍तान में अफगान शरणार्थियों की तरह पहचान पत्र नहीं दिए जाते। इन्‍हें कुछ हो जाए, कहीं पकड़े जाए किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। इनके जीवन में कंगाली ऐसी है कि चंद रूपयों के खातिर ये कुछ भी करने के लिए आसानी से तैयार हो जाते हैं।

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हालांकि ये सवाल उठते रहते हैं कि जब म्यांमार की पश्चिमी सीमा भारत और बांग्लादेश से लगती है, वहीं दूसरी ओर पूरब में थाईलैंड और लाओस है। पूर्वी और पश्चिमी इलाका चीन के बार्डर से घिरा हुआ तो फिर ये लोग पाकिस्‍तान के दक्षिण क्षेत्र में कैसे पहुंचे? इसका जवाब ये है कि ज्‍यादातर रोहिंग्‍या मुसलमान भारत और बांग्‍लादेश होते हुए कराची पहुंचते हैं। यहां ये लोग दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी समूह में शामिल हो जाते हैं। जबकि पाकिस्‍तान के आतंकी संगठनों की गिद्ध दृष्टि इन पर बनी रहती है। उन्‍हें ऐसे लोगों की तलाश रहती है, जिनकी किस्‍मत में भूख और बिना छत के मरना ही लिखा होता है। आतंकी सरगना इन मुसलमानों को यहां की नागरिकता दिलवाते हैं। उनके राशन कार्ड से लेकर दूसरे राष्‍ट्रीय पहचान पत्र बन जाते हैं। जैसे की भारत में बांग्‍लादेशियों ने बनवा रखे हैं।

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पाकिस्‍तान के आतंकी संगठन इनके दिमाग में जेहाद और इन पर होने वाले अत्‍याचारों का हवाला देकर इनका माइंडवॉश करते हैं। फिर इन्‍हें आतंकी की ट्रेनिंग देकर इन्‍हें वापस बांग्‍लादेश के रास्‍ते म्‍यांमार और भारत भेज दिया जाता है। ताकि दूसरी जगहों पर भी ये लोग अपना संगठन बनाकर बदला लेने के लिए लोगों को अपने साथ एकजुट कर सकें। म्‍यांमार में 25 अगस्‍त को जो कुछ हुआ वो इसी नफरत और आतंक का नमूना था। रोहिंग्‍या मुसलमान भारत के लिए भी खतरा हैं। ये लोग लगातार पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के भी संपर्क में हैं। कई रोहिंग्‍या मुसलमान इस वक्‍त कश्‍मीर में शरण लिए हुए हैं। जो वहां पर अवैध रूप से रह रहे हैं। ये लोग कश्‍मीर में आतंकी की हर उस गतिविधि में शामिल हैं जो पाकिस्‍तान की ओर से संचालित की जा रही है वो चाहें गोली चलाने को लेकर हो या फिर पत्‍थरबाजी। इन्‍हें जेहादी संगठनों का पूरा सपोर्ट है। जेहादी संगठनों के लिए रोहिंग्‍या मुसलमान आत्‍मघातियों की फैक्‍टरी है।