आज बेटे के खिलाफ सियासत का ‘हाइड्रोजन बम’ फोड़ेंगे मुलायम सिंह यादव ?
हर किसी की नजर इस वक्त मुलायम सिंह यादव की 11 बजे होने वाली प्रेस कांफ्रेंस पर टिकी हुई है। उनसे आज बहुत बड़े एलान की उम्मीद की जा रही है।
New Delhi Sep 25 : समाजवादी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। मुलायम परिवार में भी घमासान जारी है। रोज-रोज की तकरार से मुलायम सिंह यादव भी तंग आ चुके हैं और अखिलेश यादव भी आजिज आ गए हैं। मुलायम सिंह यादव ने आज सुबह 11 बजे लोहिया ट्रस्ट में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है। माना जा रहा है कि इस प्रेस कांफ्रेंस में मुलायम सियासत का हाइड्रोजन बम फोड़ सकते हैं। वो भी अपने बेटे के खिलाफ। यकीन मानिए अगर 11 बजे से पहले मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव में समझौता नहीं हुआ तो यकीनन मुलायम नई पार्टी का एलान कर बेटे से अलग रास्ता अख्तियार कर सकते हैं। ये फैसला समाजवादी पार्टी के भविष्य के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होगा। जरा सोचिए जिस पार्टी को मुलायम ने अपने खून पसीने से सींचा हैं उसके खिलाफ नई पार्टी के गठन का फैसला कितना कष्टकारी होगा।
लेकिन, मुलायम सिंह यादव खून के इस घूंट को पीने को मजबूर हैं। दरअसल, अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में बनती नहीं हैं। अखिलेश राम गोपाल यादव के बताए मार्ग पर चल रहे हैं। जो रास्ता मुलायम को पसंद नहीं। मुलायम बेटे से ज्यादा अपने भाई शिवपाल यादव पर भरोसा करते हैं। ऐसे में समझौते के लिए तो हर कोई तैयार है लेकिन, झुकना कोई नहीं चाहता है। शिवपाल यादव कह चुके हैं कि उन्हें कुछ नहीं चाहिए वो सिर्फ नेता जी को उनका सम्मान वापस दिलाना चाहते हैं। बेटे अखिलेश यादव ने जिस वक्त समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पद पर कब्जा किया था उस वक्त उन्होंने कहा था कि वो इस कुर्सी को उत्तर प्रदेश की फतेह के साथ नेता जी को तोहफे में देंगे। लेकिन, सपा की यूपी विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई थी।
ना तो अखिलेश यादव सत्ता में आ पाए और ना ही उन्होंने मुलायम सिंह यादव को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष का पद वापस किया। पता नहीं अखिलेश यादव की नियत बदल गई या फिर बदलवा दी गई। वो इस पद को छोड़ने को ही राजी नहीं हैं। परिवार में तकरार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी गुरुवार को ही मुलायम सिंह यादव ने लोहिया ट्रस्ट की मीटिंग बुलाई थी। लेकिन, अखिलेश यादव के गुट ने इस मीटिंग का ही बहिष्कार कर दिया। खुद अखिलेश यादव भी इस मीटिंग में नहीं पहुंचे। इसके बाद रामगोपाल यादव को लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से भी हटा दिया गया। मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल यादव को लोहिया ट्रस्ट का नया सचिव बना दिया। जाहिर नेता जी का ये फैसला अखिलेश को कतई रास नहीं आया होगा।
वहीं दूसरी ओर शनिवार को अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी का राज्य स्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में ना तो मुलायम सिंह यादव पहुंचे और ना ही शिवपाल यादव। इसी कार्यक्रम में अखिलेश यादव ने कार्यकर्ताओं से फर्जी समाजवादियों से बचने की नसीहत दी थी। जाहिर है अखिलेश का निशाना शिवपाल की ओर रहा होगा। इसके साथ ही वो ये भी कहते हुए नजर आए कि मुलायम सिंह यादव का आशीर्वाद उन पर बना रहेगा। लेकिन, मुलायम के तल्ख और सख्त तेवरों को देखकर तो नहीं लगता है कि नेता जी का आशीर्वाद बेटे पर रहेगा, वो भी तब जब उनका बेटा ही उनके भाई को फर्जी समाजवादी करार दे रहा हो। अखिलेश के इस बयान को आग में घी डालने वाला भी माना जा सकता है। देखिए और थोड़ी देर इंतजार कीजिए कि ये घी इस आग की लपटों को कितना उठा पाती है।