भारत-बांग्लादेश सीमा पर चल रहा है रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ का धंधा

रोहिंग्‍या मुसलमानों की बढ़ती घुसपैठ केंद्र की मोदी सरकार के लिए चुनौती बनती जा रही है। घुसपैठ में पूरा का पूरा नेक्‍सेस काम कर रहा है। जानिए कैसे ?  

New Delhi Oct 19 : रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर देश की राजनीति गरमाई हुई है। केंद्र की मोदी सरकार कह चुकी है कि रोहिंग्‍या मुसलमान देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक हैं। इन लोगों को किसी भी कीमत पर भारत में शरण नहीं दी जा सकती है। मोदी सरकार ने रोहिंग्‍या मुसलमानों को अवैध शरणार्थी करार दिया है। वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट इन लोगों को फौरी राहत दे चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगली सुनवाई तक किसी भी रोहिंग्‍या मुसलमान को देश से बाहर ना निकाला जाए। लेकिन, नए शरणार्थी देश में आ सकते हैं ऐसा कतई नहीं कहा गया है। दूसरी ओर भारत-बांग्‍लादेश की सीमा पर इनकी घुसपैठ बढ़ गई है। जो सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है।

Advertisement

जानकारी के मुताबिक भारत और बांग्‍लादेश की सीमा पर करीब डेढ सौ से ज्‍यादा ऐसे जगह चिन्हित की गई है जहां से रोहिंग्‍या मुसलमानों की घुसपैठ हो रही है। रोहिंग्‍या मुसलमानों की बढ़ती घुसपैठ बीएसएफ के जवानों के लिए भी चुनौती बनती जा रही है। बताया जा रहा है कि बांग्‍लादेश और भारत में रोहिंग्‍या मुसलमानों की घुसपैठ कराने का पूरा का पूरा नेक्‍सेस काम कर रहा है। जो लोगों से आठ से दस हजार रूपए वसूल कर उन्‍हें बांग्‍लादेश से कोलकाता पहुंचा रहा है। ये नेक्‍सेस तीन से चार ग्रुप में काम कर रहा है। पहला ग्रुप म्‍यांमार में सक्रिय है। जो रोहिंग्‍या मुसलमानों को बांग्‍लादेश भेज रहा है। दूसरा ग्रुप बांग्‍लादेश का है। जो इन मुसलमानों को बार्डर पार कराता है।

Advertisement

तीसरा ग्रुप पश्चिम बंगाल में सक्रिय है जो बांग्‍लादेश के रास्‍ते घुसपैठ करने वाले रोहिंग्‍या मुसलमानों को कोलकाता की घनी बस्तियों तक पहुंचाता है। रोहिंग्‍या मुसलमानों को पहले भारत और बांग्‍लादेश से सटी सीमा पर बने गांवों में रखा जाता है। इसके बाद बांग्‍लादेश का ग्रुप 150 चिन्हित जगहों में से किसी एक रास्‍ते को चुनता है और इन शरणार्थियों की भारत में घुसपैठ करा देता है। रोहिंग्‍या मुसलमानों की घुसपैठ में सक्रिय दलाल अपने शिकार को पहले ये ही बता देते हैं कि अगर बीएसएफ या फिर भारत की कोई दूसरी सुरक्षा एजेंसी उन्‍हें पकड़ती है तो वो उनकी कोई मदद नहीं करेंगे। उन्‍हें खुद ही निपटना होगा। या तो जेल जाना होगा या फिर वापस बांग्‍लादेश  में दाखिल होना होगा।

Advertisement

बांग्‍लादेश से भारत में घुसपैठ के लिए रोहिंग्‍या मुसलमान बार्डर पर बने नालों और खेतों का इस्‍तेमाल करते हैं। इसके अलावा घने जंगलों वाले रास्‍तों का भी इस्‍तेमाल घुसपैठ के लिए खूब किया जा रहा है। खासतौर पर ये दलाल रोहिंग्‍या मुसलमानों की घुसपैठ उस वक्‍त कराते हैं जब बार्डर पर बीएसएफ के जवानों की ड्यूटी बदल रही होती है। ड्यूटी बदलते वक्‍त सैनिकों की काम सुपर्दी में करीब आधे घंटे का वक्‍त लगता है। ये लोग उसी आधे घंटे में घुसपैठ की कोशिश करते हैं। हर किसी के साथ छोटा बच्‍चा जरूर होता है ताकि पकड़ने जाने की सूरत में मानवीयता का हवाला देकर ये सुरक्षा एजेंसियों के चंगुल से बच सकें। घुसपैठ का ये जोखिम सिर्फ रोहिंग्‍या मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि देश के लिए भी बहुत खतरनाक है।