लालू यादव के पास गिरवी रखी हुई है ‘बिहार कांग्रेस’ ?

क्‍या बिहार में राष्‍ट्रीय पार्टी कांग्रेस ने खुद को आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के यहां पर गिरवी रख दिया गया है ? जानिए क्‍यों उठ रहे हैं इस तरह के सवाल

New Delhi Oct 23 : किसी जमाने में बिहार के भीतर कांग्रेस पार्टी की अच्‍छी पोजीशन हुआ करती थी। आजादी के बाद शुरुआत के तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने फुल मैजोरिटी के साथ यहां पर सरकार बनाई। 1972 और 1980 में भी बिहार में कांग्रेस का ही दबदबा रहा। हालांकि 1977 में जनता पार्टी ने कांग्रेस से सत्‍ता हथिया ली थी। लेकिन, बाद में भी कभी गठबंधन कर तो कभी अकेले अपने दम पर कांग्रेस सत्‍ता में बनी रही। 1980 और 1985 में भी कांग्रेस की सरकार रही। बाद में लालू यादव ने बिहार की सियासत पर अपनी धाक जमा ली थी। 12 वीं विधानसभा में कांग्रेस पार्टी लालू के साथ गठबंधन कर यहां सत्‍तासीन हुई थी। लेकिन, धीरे-धीरे बिहार में कांग्रेस का ग्राफ गिरता चला गया। विधानसभा में उसकी सीटें घटती चली गईं।

Advertisement

लेकिन, 2015 में महागठबंधन की सरकार में कांग्रेस ने एक बार फिर बेहतर प्रदर्शन किया और 27 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल कर ली। लेकिन, दो साल के भीतर ही यहां पर कांग्रेस पंगु नजर आ रही है। बिहार के उप मुख्‍यमंत्री और बीजेपी के फायरब्रांड नेता सुशील मोदी तो कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने खुद को लालू यादव के यहां पर गिरवी रख दिया है। सुशील मोदी दावा करते हैं कि लालू यादव बिहार में अपनी पार्टी के अलावा कांग्रेस पार्टी के भी फैसले लेते हैं। वो जैसा कहते हैं कांग्रेस में वैसा ही होता है। तो क्‍या ये बात सच है कि कांग्रेस हाईकमान ने बिहार कांग्रेस को लालू यादव के यहां पर गिरवी रख दिया है? क्‍या ये बात भी सच है कि बिहार कांग्रेस के सारे फैसले लालू यादव ही लेते हैं ?  

Advertisement

अगर ये बात सच नहीं है तो फिर सुशील मोदी इस तरह की बातें क्‍यों कर रहे हैं ? लालू यादव और कांग्रेस पार्टी सुशील मोदी की बातों को कोरी बकवास करार दे सकती है। लेकिन, ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्‍योंकि जब लालू यादव और उनके परिवार पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे थे और नीतीश कुमार तेजस्‍वी यादव के इस्‍तीफे पर अड़े थे तब एक बार भी कांग्रेस हाईकमान ने लालू को समझाने की कोशिश नहीं की थी। ये बात खुद नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि अगर राहुल गांधी चाहते और वो लालू यादव से बात कर तेजस्‍वी यादव का इस्‍तीफा दिलवा देते तो आज की तारीख में बिहार में गठबंधन बरकरार होता। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। लालू ने जैसा चाहा वैसा किया और कांग्रेस ने भी वहीं किया जो लालू ने चाहा।

Advertisement

सुशील मोदी तो ये भी कहते हैं कि जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी उस वक्‍त भी मंत्रियों के बंटवारे पर भी अंतिम मुहर लालू यादव ने ही लगाई थी। कांग्रेस पर लालू का प्रभाव उस वक्‍त भी साफ तौर पर दिख रहा था और आज भी दिख रहा है। कांग्रेस पर लालू का प्रभाव कम होने की बजाए बढ़ा है। यही वजह है कि बिहार कांग्रेस दो धड़े में बंट गई है। एक ओर बिहार के पूर्व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अशोक चौधरी हैं तो दूसरी ओर अखिलेश प्रसाद सिंह जैसे नेता हैं। हर कोई ये बात जानता है कि अखिलेश प्रसाद सिंह आरजेडी में रह चुके हैं और इस वक्‍त बिहार कांग्रेस के अध्‍यक्ष पद की रेस में वो सबसे आगे हैं। सुशील मोदी कहते हैं कि मौजूदा कार्यवाहक अध्‍यक्ष कौकब चौधरी पर भी लालू का प्रभाव है। यानी पूरी की पूरी बिहार कांग्रेस इस वक्‍त लालू यादव के पास गिरवी रखी हुई है ? इस सवाल का जवाब बिहार की जनता को खुद ही तलाश लेना चाहिए।