रिटायर्ड को रोज़गार, युवा रहे बेरोज़गार
भारतीय रेल ने सिविल डिपार्टमेंट के लिए 4000 से अधिक की वैकेंसी का विज्ञापन निकाला है। नौजवानों के लिए नहीं, जो रिटायर्ड हो गए हैं उनके लिए।
New Delhi Oct 26 : भारतीय रेल ने उत्तर रेलवे के सिविल डिपार्टमेंट के लिए 4000 से अधिक की वैकेंसी का विज्ञापन निकाला है। नौजवानों के लिए नहीं,जो रिटायर हो गए हैं उनके लिए। अधिकतम आयु सीमा 62 साल रखी गई है। इन सबको दैनिक भत्ते पर रखा जाएगा और विज्ञापन में कहा गया है कि 14 सितंबर 2018 तक के लिए रखे जाएंगे। इस दौरान योग्य व्यक्ति मिल जाएगा तो इन्हें कार्यमुक्त भी किया जा सकता है। नौजवानों के लिए स्किल इंडिया का नारा देने वाली सरकार अब रिटार्यर्ड लोगों के लिए SCHEME OF RE-ENGAGEMENT ले आई है।
4,690 पदों के लिए रिटार्यड लोग रखे जाने हैं। इनमें से 4434 ट्रैकमैन रखे जाएंगे। 62 जूनियर इंजीनियर चाहिए, वेल्डर के लिए 34 पद हैं, ब्लैकस्मिथ के लिए 33 पद हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर 10 अगस्त से 20 अगस्त के बीच रेलवे अप्रेंटिस की डिग्री लेकर बैठे नौजवानों ने धरना-प्रदर्शन दिया था। इन्हीं से बातचीत के दौरान पता चला कि 2012-13, 2014-15 बैच के नौजवान नौकरी के इंतज़ार में बैठे हैं। इनके लिए बहाली नहीं आ रही है। इन लोगों की अधिकतम आयु सीमा 36 होती है, उसके बाद नौकरी नहीं मिलेगी। किसी भी सरकार को सबसे पहले क्या करना चाहिए, रिटायर लोगों को भरना चाहिए या नौजवानों को, उम्र किसकी बीत रही है, नौजवान की या रिटार्यड की?
भले एक साल के लिए सेवानिवृत्त लोगों को रखा जाएगा लेकिन क्या इसी दौरान और इसी प्रक्रिया के तहत डिग्री लेकर बैठे नौजवानों को नहीं रखा जा सकता था? इनमें से जो नौजवान योग्य होता, उसकी पक्की हो जाती और नहीं होता तो कार्यमुक्त कर दिया जाता। इस दौरान नौजवान को ट्रेनिंग भी मिल जाती। क्या सरकार ने 4000 से अधिक पदों पर रिटायर्ड लोगों के रखने के साथ-साथ नौजवानों को रखने के लिए भी कोई प्रक्रिया शुरू कर चुकी है? कब तक करेगी? रेलवे के यूनियन इस बारे में सरकार से लगातार पत्राचार कर रहे हैं मगर कोई समाधान नहीं निकल रहा है। सवाल पूछा जाना चाहिए कि इन पदों को लंबे समय तक ख़ाली क्यों रखा गया जिन पर रिटायर्ड लोगों को रखकर तत्परता का भरम पैदा किया जा रहा है।
21 अगस्त के टाइम्स आफ इंडिया की एक रिपोर्ट है। यूपी सरकार ने आदेश दिया है कि 2, 067 सरकारी स्कूलों के लिए 12, 037 शिक्षक रखे जाने हैं। इसके लिए रिटार्यड शिक्षक भी रखे जाएंगे। यूपी लोक सेवा आयोग की नियुक्ति की प्रक्रिया जटिल है और देरी होती है इसलिए रिटायर्ड शिक्षक रखे जाने हैं। एक हकीकत यह भी है कि योगी सरकार के आने के बाद लंबे समय तक यूपी लोक सेवा आयोग का गठन नहीं हुआ था। अगर सरकार को नौजवानों की चिंता होती तो आयोग को चालू कर बहाली शुरू की जा सकती थी। (वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं।)