जूनियर गांधी क्यों नहीं चाहते हैं कि फिर से शुरु हो महात्मा गांधी की हत्या की जांच ?
महात्मा गांधी की हत्या की फिर से जांच शुरु करने के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। लेकिन, इससे किसी को क्या आपत्ति हो सकती है ?
New Delhi Oct 30 : अगर महात्मा गांधी की हत्या पर किसी को शक है तो उसकी दोबारा जांच पर किसी को कोई आपत्ति क्यों हो सकती है। जाहिर है देश भी जानना चाहता है कि क्या इतिहास में दर्ज वो बातें सही हैं जो हमें बचपन से पढाई जा रही हैं। या फिर हकीकत कुछ और है जिसे इतिहास में दर्ज ही नहीं होने दिया गया। महात्मा गांधी की हत्या पर विवाद नहीं होना चाहिए लेकिन, अगर दोबारा जांच होती है तो वो जरूरी होनी चाहिए। लेकिन, जूनियर गांधी को ये ठीक नहीं लग रहा है। महात्मा गांधी की हत्या के केस की जांच फिर से शुरु होने के विरोध में उनके परपोते तुषार गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। तुषार गांधी ने उस याचिका का विरोध किया है जिसमें 70 साल पुराने इस केस को दोबारा से खोलकर जांच कराने की मांग की गई है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ये जानना चाहता है कि तुषार गांधी किस हैसियत से इस याचिका का विरोध कर रहे हैं।
इस केस में तुषार गांधी के केस की वकालत वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह कर रही हैं। उनका कहना है कि अगर इस केस में अदालत आगे बढ़ती है और नोटिस जारी करती है तो उस स्थिति में वो अदालत को समझा सकेंगी। इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एसए बोबडे और न्यायमूर्ति एमएम शांतानागौदर की पीठ में चल रही है। सुप्रीम कोर्ट की ये पीठ ये भी जानना चाहती है कि आखिर तुषार गांधी किस हैसियत से इस याचिका का विरोध कर रहे हैं और नहीं चाहते हैं कि महात्मा गांधी की हत्या के केस की दोबारा से जांच हो। सुप्रीम कोर्ट का साफ तौर पर कहना है कि इस मामले में बहुत सारे किंतु-परंतु हैं। लेकिन, अदालत न्यायमित्र अमरेंद्र शरण की रिपोर्ट का इंतजार करेगी। एमिकस क्यूरी अमेंद्र शरण ने अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए अदालत से चार हफ्तों का वक्त मांगा है। अमेंद्र शरण को राष्ट्रीय अभिलेखागार से मिलने वाले दस्तावेजों का इंतजार है।
दरअसल, मुंबई के रहने वाले पंकज फडणवीस ने महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है। पंकज फडणवीस अभिनव भारत के न्यासी और शोधकर्ता हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए इसे चार हफ्ते बाद के लिए लिस्टेड किया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में मदद के लिए अभी छह अक्टूबर को ही सीनियर एडवोकेट अमरेंद्र शरण को न्यायमित्र नियुक्त किया था। इसी याचिका के बाद अब तुषार गांधी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। लेकिन, याचिकाकर्ता ने ही उन पर सवाल खड़े कर दिए हैं और पूछ लिया है कि तुषार गांधी किस हैसियत से इस केस की जांच दोबारा से नहीं कराना चाहते हैं। तुषार के पास इस केस में सिवाए सेंटीमेंटल अटैचमेंट के कोई दूसरी दलील नहीं नजर आ रही है। हालांकि न्यायमित्र की रिपोर्ट के बाद ही अदालत अपना अगला फैसला सुनाएगी।
लेकिन, एक बात तो है कि अगर महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा नए सिरे से जांच शुरु होती है तो ये मामला राजनैतिक भूचाल ला सकता है। क्योंकि पंकज फडणवीस ने अपनी रिसर्च के आधार पर ये दावा किया है कि महात्मा गांधी की मौत नाथूराम गोड़से की गोली से नहीं हुई थी। जबकि दूसरी पिस्तौल से चलाई गई गोली से हुई थी। पंकज ने डॉक्युमेंट्री साक्ष्यों के आधार पर ये दावा किया है कि महात्मा गांधी की हत्या एक संदिग्ध व्यक्ति ने की थी। जिसने उन पर चौथी गोली चलाई थी। इसी आधार पर उन्होंने आरोप लगाया है कि महात्मा गांधी के असली हत्यारों को आजतक पकड़ा ही नहीं गया। इतिहास में दर्ज बातों के मुताबिक महात्मा गांधी पर तीन गोलियां चलाई गई थीं। जिससे उनकी मौत हुई। लेकिन, पंकज फडणवीस का कहना है कि गांधी पर चौथी गोली भी चलाई गई थी। इसी गोली से उनकी मौत हुई थी। सवाल यही है कि अगर ये गोली चली थी तो इसे किसने चलाई थी ?