कमाल है भाई : शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे कहते हैं 2019 में बीजेपी जीतेगी 800 सीटें

भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच तनातनी जारी है। उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर बीजेपी पर कटाक्ष किया है। जानिए क्‍या कहा जूनियर ठाकरे ने।

New Delhi Nov 10 : भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता शिवसेना को रास नहीं आ रही है। कहने को तो शिवसेना एनडीए का हिस्‍सा है। लेकिन, उद्धव ठाकरे बीजेपी के ऐसे दोस्‍त हैं जिनके रहते भारतीय जनता पार्टी को दुश्‍मनों की कोई जरूरत नहीं है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सरीखे नेताओं को महानता का चोला ओड़ने की आदत हो गई है। उन्‍हें लगता है कि वो जो कहेंगे जनता उसी पर विश्‍वास करेगी। लेकिन, शायद उद्धव ठाकरे ये भूल जाते हैं कि जनता सबसे ज्‍यादा समझदार होती है। वो सबको देखती है, परखती है। एैवई नहीं किसी पर भी यकीन कर लेती है। दरअसल, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर बीजेपी पर कटाक्ष किया है। उनका कहना है कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 800 सीटें भी जीत ले तो इसमें कोई भी आश्‍चर्य की बात नहीं होगी। बीजेपी के सहयोगी दल होने के बाद भी वो उस पर ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हैं।

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अब जरा उद्धव ठाकरे से कोई पूछे कि भाई बीजेपी 2014 के लोकसभा चुनाव में बंपर वोटों से चुनाव जीती। देश की जनता ने नरेंद्र मोदी और बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिया। जिस वक्‍त देश में लोकसभा के चुनाव हो रहे थे उस वक्‍त को यूपीए की सरकार थी ना। अगर ईवीएम में कोई गड़बड़ी हो सकती थी तो ये काम यूपीए सरकार अपने पक्ष में भी करवा सकती थी। लेकिन, केंद्र में सरकार यूपीए की और वोट पड़े बीजेपी को। जनतंत्र का सीधा फंडा सिर्फ उद्धव ठाकरे को ही चौंका सकता है। राजनीति का सीधा फार्मूला है कि अगर सरकारें अच्‍छा काम करती रहीं तो जनता उसे सिर आंखों बिठाती रहेगी। लेकिन, धोखा, लूट, फरेब और घोटाला किया तो वही जनता अर्श से फर्श में उतारने में भी वक्‍त नहीं लगाती। जैसा देश की जनता ने यूपीए सरकार के साथ किया। यूपी में अखिलेश यादव की सरकार के साथ किया। उत्‍तराखंड में कांग्रेस की सरकार के साथ। मणिपुर में किया।

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लेकिन, दिक्‍कत इस बात की है कि उद्धव ठाकरे सरीखे नेता इस हकीकत को समझने और मानने की बजाए ये कुतर्क करते हैं कि बीजेपी ईवीएम में छेड़खानी करके चुनाव जीत रही है। अगर ऐसा होता तो पंजाब में भी बीजेपी की ही सरकार बननी चाहिए थी ना। गोवा में भी तो पूर्ण बहुमत आना चाहिए था। वहां पर ये कथित फर्जीवाड़ा क्‍यों काम नहीं आया। उद्धव ठाकरे कहते हैं कि मध्‍यप्रदेश में VVPAT मशीन की टेस्टिंग हुई तो उसमें बीजेपी की पर्ची निकली। जबकि वोट किसी और पार्टी को दिया गया था। शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में उद्धव ठाकरे लिखते हैं कि 2019 में मोदी लहर नहीं दोहराई जाएगी और ना ही शरद पवार के प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा होगा। उद्धव ठाकरे कहते हैं कि बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए 350सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन, पुरानी सीटों पर जीत बरकरार रहेगी अभी तो यही सवाल बना हुआ है।

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ये बातें विपक्ष के खेमे से आती तो कोई बात नहीं थी। लेकिन, शिवसेना को इस तरह की बात करने का ना तो कोई नैतिक हक और ना ही उन्‍हें ये शोभा देता है। लेकिन, उद्धव ठाकरे ने नैतिकता और शोभा दोनों को ही ताक पर रखा हुआ है। अगर शिवसेना को बीजेपी से इतनी ही दिक्‍कत है तो वो एनडीए से बाहर क्‍यों नहीं निकल जाती। महाराष्‍ट्र में गठबंधन क्‍यों नहीं तोड़ देती। उद्धव ठाकरे सत्‍ता में दखल भी चाहते हैं और बीजेपी को हड़काना भी चाहते हैं। अगर उद्धव ठाकरे में दम है तो उन्‍हें बीजेपी की थाली में छेद करने की बजाए सामने से वार करना चाहिए। बीजेपी शिवसेना को लेकर गठबंधन धर्म निभाते हुए हमेशा शांत रही है। नहीं तो महाराष्‍ट्र और मुंबई की जनता ने बीएमसी चुनाव में ही शिवसेना और उद्धव ठाकरे को उनकी औकात दिखा दी थी। पिछले एक डेढ़ साल से लगातार शिवसेना का जनाधार घटा है। लेकिन, उद्धव ठाकरे के चापलूसों का गणित कहता है कि बीजेपी पर वार से उसका ग्राफ बढ़ रहा है।