यशवंत सिन्हा का कहा ‘ब्रह्मवाक्य’ है, मूडीज की क्या औकात उनके सामने

मूडीज ने भारत की रेटिंग में सुधार किया तो यशवंत सिन्हा उस से संतुष्ट नहीं है, बस इतना काफी है, मूडीज की क्या हैसियत है सिन्हा बाबू के सामने

New Delhi, Nov 19: इसे कैसे समझाया जाए, वैसे भी ये समझाने की नहीं समझने की बात है। बीजेपी के एक नेता हैं यशवंत सिन्हा, कभी अटल सरकार में वित्त मंत्री हुआ करते थे। फिलहाल बीजेपी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य हैं। इसी मंडली के सदस्य हैं लाल कृष्ण आडवाणी, अब शायद आप ये समझ गए होंगे कि इस मंडली की बीजेपी में क्या अहमियत है। कोई पूछ नहीं रहा है, किनारे लगा दिए गए हैं, इशारों में बात समझा दी गई है, लेकिन कोई समझना ना चाहे, तो क्या किया जा सकता है। आडवाणी समझ गए, लेकिन सिन्हा बाबू अब भी खुद को सबसे बड़ा वित्त विशेषज्ञ मानते हैं. उनकी कहीं बातें ब्रह्मवाक्य होती है, उन्होंने कह दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था को जीएसटी और नोटबंदी से झटका लगा है तो लगा है।

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यशवंत बाबू की बातों को भले ही उनका बेटा गलत ठहराए लेकिन उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है। वो न जाने किस बात की खुन्नस निकाल रहे हैं. अरुण जेटली से शायद उनका व्यक्तिगत आंकड़ा है. वो जेटली पर लगातार हमलावर हैं। अर्थव्यवस्था को लेकर दोनों नेताओं में घमासान चलता रहता है। इस से हम जैसे लोगों का मनोरंजन भी होता रहता है। लेकिन एक खबर ने सिन्हा बाबू को शांत करा दिया है। वो कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। दरअसल जीएसटी और नोटबंदी की तारीफ करते हुए अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत की रेटिंग को बढ़ा दिया है। इस सुधार के बाद जेटली को मौका मिला और उन्होंने फौरन तंज से बुझे तीर सिन्हा की तरफ फेंके।

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अरुण जेटली ने कहा कि जिन लोगों को भारत की रेटिंग में सुधार नहीं दिखाई दे रहा है वो अपने अंदर झांक कर देखें। ये करारा तंज था, यशवंत सिन्हा भी कहां चुप रहने वालों में से हैं। उन्होंने ट्वीट करके इसका जवाब दिया। सिन्हा ने लिखा कि मूडीज की रेटिंग पर संसद में मिड नाइट सेरेमनी करके जश्न मनाना चाहिए। साथ ही सिन्हा ने स्टैंडर्ड एंड पूअर्स का भी हवाला दिया कि उसे भाड़ में फेंको। यानि सिन्हा मूडीज की रेटिंग से भी संतुष्ट नहीं है। मूडीज की रेटिंग के खिलाफ वो स्टैंडर्ड एंड पूअर्स का हवाला दे रहे हैं, जिस ने एक दशक के निवेश में भारत को सबसे निचले पायदान पर रखा है। ये हुई ना बात, एक एजेंसी की रेटिंग पर पलटवार करने के लिए दूसरी एजेंसी के आंकड़ों का हवाला देना यशवंत जैसे अनुभवी वित्त विशेषज्ञ ही कर रहे हैं।

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वैसे सवाल ये भी उठता है कि मूडीज की रेटिंग को लेकर यशवंत सिन्हा तंज के अलावा कुछ और क्यों नहीं कह रही हैं। इसका कारण ये है कि 13 साल पहले जब मूडीज ने रेटिंग में सुधार किया था तो उस समय एनडीए की सरकार थी। ऐसे में यशवंत बाबू के पास ज्यादा कुछ कहने के लिए है नहीं। यशवंत के साथ साथ बीजेपी के शत्रु भी खामोश हैैं, वो तो वित्त विशेषज्ञ नहीं है इसलिए उनसे उम्मीद नहीं है, लेकिन जिस तरह से वो गाहे बगाहे मोदी सरकार पर हमला करते रहते हैं ये उम्मीद थी कि वो इस रेटिंग सुधार पर जरूर कुछ कह कर मोदी पर हमला करेंगे। केवल मूडीज ही नहीं, बल्कि ईज ऋफ डूइंग बिजनेस में भी भारत ने 30 पायदान की जम्प लगाई है। अगर अंतरराष्ट्रीय एजेंसी और वर्ल्ड बैंक भारत की नीतियों की तारीफ कर रहा है तो क्या वो गलत कर रहे हैं। यशवंत बाबू के मुताबिक तो वो भ्रम फैला रहे हैं। क्योंकि यशवंत बाबू जो कहें वो ब्ह्मवाक्य है पत्थर की लकीर है. उसे कोई काट नहीं सकता है, मूडीज की क्या हैसियत है।