अपना रिज्यूम तैयार कर लो, असोचैम बता रहा है, कब बरसेंगी नौकरियां

केंद्र सरकार नौकरियों के सवाल पर फंस जाती है. असोचैम की एक स्टडी से पता चल रहा है कि नई नौकरियों की बौछार कब से हो सकती है।

New Delhi, Nov 20: केंद्र में मोदी सरकार के गठन के बाद से ही विरोधी लगातार सवाल दाग रहे हैं। जैसे जैसे सरकार का कार्यकाल आगे बढ़ रहा है वैसे वैसे सवालों की बौछार भी तेज होती जा रही है। विकास मॉडल को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि बेरोजगारों को नौकरी कब मिलेगी। इसी सवाल को आधार बना कर राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं। गुजरात में कांग्रेस आक्रामक हो कर मोदी के विकास मॉडल को चैलेंज कर रही है। तो अब कुछ सवालों के जवाब मिलने वाले हैं। जी हां असोचैम ने ये बताया है कि कब से नौकरियों की बारिश होने वाली है। तो अगर आप भी नौकरी तलाश रहे हैं तो अपना रिज्यूम ठीक करवा लीजिए. उसे झाड़ पोंछ कर हो जाइए तैयार।

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दरअसल मूडीज ने भारत की रेटिंग सुधारी है उसके बादग से ही देश के उद्योग जगत में उम्मीदे हैं। कॉरपोरेट जगत अपने बैलेंस शीट पर कर्जों का बोझ कम करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में क्या नौकरियों की बहार आ सकती है। इसी को लेकर असोचैम ने अनुमान लगाया है कि प्राइवेट सेक्टर में 2018-19 तक गिरावट रहने की उम्मीद है। ये गिरावट भर्तियों को लेकर होगी। इस से जाहिर हो रहा है कि अभी कुछ समय तक नौकरियों की बंपर ओपनिंग नहीं होने वाली है। जिसकी उम्मीद देश की जनता न जाने कब से कर रही है। इस अनुमान में एक अच्छी बात ये है कि 2018-19 के बाद नौकरियों की बहार आ सकती है। हालात बदले की उम्मीद जताई जा रही है।

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असोचैम की स्टडी के मुताबिक फिलहाल कंपनियों का ध्यान कर्ज घटाने, संगठित होने, गैर प्रमुख उद्योग से निकलने के साथ साथ बैलेंट शीट को हल्का और मजबूत बनाने पर है। ये आने वाली डेढ़ तिमाहियों तक जारी रह सकता है। कंपनियां मार्जिन में सुधार और कर्ज की लागत को कम करने पर फोकस कर रही है। इसलिए प्राइवेट सेक्टर में भर्तियों की उम्मीद करना फिलहाल ठीक नहीं है। वो अपनी लागत को कम करने पर भी ध्यान दे रही है। इस से मौजूदा वर्क फोर्स में भी कमी कर रही है। इस से बड़ी कंपनियों की वृद्धि दर भी प्रभावित होगी। स्टडी के मुताबिक नई भर्तियों की संभावना कम से कम दो तिमाहियों के लिए नहीं व्यक्त की जा सकती है।

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अब आपको बताते हैं कि इस स्टडी का उजला पक्ष क्या है। स्टडी के मुताबिक अगले वित्त वर्ष से चीजें सुधरेंगी। फिलहाल ज्यादातर कटौती दूरसंचार, वित्तीय आईटी, रियल्टी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में हो रही है। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि मूडीज की रेटिंग का असर उद्योग जगत पर निश्चित तौर पर होगा। अब व्यापार करने वाले भी आशान्वित हैं कि जल्द ही हालात सुधरेंगे। ऐसा होने पर नौकरियों निकलेगीं, जिस से बेरोजगारों को फायदा होगा। जो समस्याएं फिलहाल हैं वो 2018 के खत्म होने तक कम हो जाएंगी, 2018-19 वित्त वर्ष चालू वित्त वर्ष से बेहतर साबित होगा।  ये खबर केंद्र सरकार के लिए भी राहत की साबित हो सकती है, जो लगातार नौकरियों के सवाल पर घिरती दिखाई दे रही है। हालांकि अभी हालात बदलने में समय है।