मायावती ने फिर अलापा EVM का राग, हवाई जहाज के जमाने में बैलगाड़ी की मांग

बीएसपी सुप्रीमो मायावती को लगता है कि बीजेपी हर चुनाव ईवीएम में गड़बड़ी कर के ही जीत रही है। इसलिए चुनाव ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर से हों।

New Delhi Dec 02 : जब मायावती उत्‍तर प्रदेश की मुख्‍यमंत्री बनी थीं उस वक्‍त भी देश में ईवीएम से चुनाव हुआ करते थे। जब अखिलेश यादव यूपी के सीएम बने उस वक्‍त भी वोटिंग ईवीएम से ही हुई थी। जब अरविंद केजरीवाल दिल्‍ली में भारी मतों से जीत कर इतिहास रचा था उस वक्‍त भी चुनाव में ईवीएम का ही इस्‍तेमाल किया गया था। केंद्र में जब दो बार यूपीए की सरकार रही वो भी ईवीएम से ही चुनकर केंद्र में पहुंची थी। लेकिन, उस वक्‍त ना तो कोई इलेक्‍ट्रानिक वोटिंग मशीन पर सवाल खड़े करता था और ना ही चुनाव आयोग पर। लेकिन, जब से देश में नरेंद्र मोदी की आंधी चली है। केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी है यूपी में योगी आदित्‍यनाथ सत्‍ता में आएं हैं सभी को ईवीएम खटकने लगी है। जो लोग ईवीएम के जरिए सत्‍ता में पहुंचे उन्‍हें अब इसमें गड़बड़ी नजर आती है। चाहें वो मायावती हों, अखिलेख यादव हों या फिर अरविंद केजरीवाल ही क्‍यों ना हों।

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अभी एक दिसंबर को ही यूपी में नगर निगम चुनाव के नतीजे सामने आए थे। जिसमें बीजेपी ने अपनी जीत का परचम लहराया था। बीएसपी दूसरे नंबर पर रही है। मायावती ने इन चुनावों में भी अपनी कमियों को तलाशने की बजाए अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर भी फोड़ा है।  BSP की मुखिया मायावती ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। इससे पहले उन्‍होंने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भी बीजेपी पर ईवीएम में छेडखानी का आरोप लगाया था। इसके बाद इसी साल जब यूपी में विधानसभा चुनाव हुए तो उसमें भी बीजेपी पर यही आरोप लगाया गया। एक बार फिर मायावती ने अपने आरोप दोहराए हैं। इतना ही नहीं मायावती ने भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर 2019 के लोकसभा चुनाव बैलट पेपर पर होते हैं तो बीजेपी का सफाया तय है।

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मायावती ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी ईमानदार है और लोकतंत्र में विश्वास करती है तो उसे इलेक्‍ट्रानिक वोटिंग मशीन यानी EVM बंद कर देनी चाहिए और बैलट पेपर के जरिए चुनाव कराने जाने चाहिए। उन्‍होंने कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि जनता उनके साथ है तो उसे बैलेट पेपर से चुनाव कराने चाहिए। मायावती ने कहा कि मैं इस बात की गांरटी देती हूं कि अगर 2019 के चुनाव में बैलट पेपर्स का इस्तेमाल किया गया तो BJP सत्ता में नहीं आएगी। अखिलेश यादव को भी यही लगता है कि बीजेपी ने ईवीएम में गड़बड़ी कर चुनाव जीता है। जाहिर है नेताओं के इस तरह के बयान आम जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा करने वाले हैं। चुनाव आयोग इससे पहले सभी राजनैतिक दलों को खुलेआम चुनौती दे चुका है कि चाहें जो आकर उसके सामने ईवीएम में गड़बड़ी साबित करके दिखाए।

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लेकिन, ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाने वाले वो चाहें मायावती हो या फिर अरविंद केजरीवाल किसी ने भी चुनाव आयोग में जाकर इसे साबित करने की हिम्‍मत नहीं जुटाई। यानी अगर आप कुछ साबित नहीं कर सकते तो फिर कोरी बयानबाजी कर राजनीति करने से क्‍या मतलब है। लेकिन, अफसोस यहां सिर्फ राजनीति ही हो रही है। वो भी उस ईवीएम पर जो पूरी तरह फुलप्रूफ है। दिलचस्‍प बात ये है कि जो नेता उसी ईवीएम से चुनाव जीतता है तब उसकी नजरों में इसमें कोई गड़बड़ी नहीं होती है, लेकिन, हारते ही उसे ईवीएम में गड़बड़ी नजर आने लगती है। मायावती सरीखे नेताओं को अपनी पार्टी और खुद की ग्राउंड रिएलिटी चेक करनी चाहिए। ताकि वो अपनी गलतियों को सुधार सकें। कोरी बयानबाजी का फायदा ना तो मायावती को मिलने वाला है और ना ही अखिलेश यादव को। क्‍योंकि ये पब्लिक है सब जानती है। उसे सब पता है कि गड़बड़ी कहां हैं। मशीन में है या फिर खुराफाती दिमाग में है।