हाफिज सईद को सरकारी दामाद बनाने पर तुला पाकिस्‍तान, महंगा पड़ेगा ‘टेरर लव’

पाकिस्‍तान में आतंक का सरगना हाफिज सईद रिहा हो चुका है। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्‍बासी  उसे सरकारी दमाद बनाने पर तुले हुए हैं।  

New Delhi Dec 02 : पाकिस्‍तान का आतंकवाद प्रेम जगजाहिर है। पाकिस्‍तान की पूरी की पूरी सरकार आतंकी सरगनाओं पर अपनी जान छिड़कती है। अपने इस टेरर लव के लिए पाकिस्‍तान कोई भी कीमत चुकाने के लिए भी तैयार है लेकिन, समझने और मानने को तैयार नहीं है। अब पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्‍बासी भी लश्‍कर-ए-तैयबा के संस्‍थापक और जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद के समर्थन में खड़े दिखाई पड़ रहे हैं। शाहिद खाकन अब्‍बासी ने हाफिज सईद को लेकर भारत को खुली चुनौती दी है। शाहिद खाकन अब्‍बासी का कहना है कि हमारे पास हाफिज सईद के खिलाफ कोई सबूत नहीं है अगर भारत के खिलाफ सबूत हैं तो वो अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट में हाफिज के खिलाफ दरवाजा खटखटा सकता है। यानी एक तरह से देखा जाए तो पाकिस्‍तान की सरकार से साफ कह दिया है कि वो हाफिज सईद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी।

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ये हाल तब हैं। जब अमेरिका की सरकार ने लश्‍कर-ए-तैयबा के संस्‍थापक हाफिज सईद पर करोड़ों रुपए का ईनाम रखा हुआ है। पूरी दुनिया जानती है कि हाफिज सईद मुंबई हमले का मास्‍टरमाइंड है। इस आतंकी सरगना ने उस हमले को अंजाम दिलवाया था जिससे पूरी दुनिया दहल उठी थी। इस हमले में भारतीय नागरिकों के अलावा कई देशों के नागरिक मारे गए थे। लेकिन, पाकिस्‍तान की नजरों में हाफिज सईद किसी संत से कम नहीं है। शायद इसीलिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकन अब्बासी कहते हैं कि अगर भारत चाहता है मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और जमात-उद दावा के सरगना पर कार्रवाई हो तो उसे अंतरराष्‍ट्रीय फोरम का दरवाजा खटखटाना चाहिए। पाकिस्‍तान के पास उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। शाहिद खाकन अब्‍बासी का कहना है कि भारत शौक से हाफिज सईद के खिलाफ अंतररराष्‍ट्रीय कोर्ट में मुकदमा कर सकता है।

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इतना ही नहीं, शाहिद खाकन अब्‍बासी ये भी कहते हैं कि हमारे पास हाफिज सईद के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री ने ये बातें अभी हाल ही में ‘ब्लूमबर्ग’ को दिए इंटरव्यू में कहीं। उनका कहना है कि हाफिज सईद छोड़ा ही इसीलिए गया है कि उसके खिलाफ कोई सबूत ही नहीं थे। शाहिद खाकन अब्बासी का कहना है कि ‘कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने हाफिज को ये कहकर रिहा किया है कि उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। देश के कानून हैं, आपको पता है।’ यानी पाकिस्‍तान की सरकार की नजर में हाफिज आतंकी सरगना नहीं बल्कि संत है। लेकिन, शायद पाकिस्‍तान ये भूल गया कि उसे आने वाले दिनों में आतंक का ये प्रेम बहुत भारी पड़ सकता है। दरअसल, आतंकवाद पर पाकिस्‍तान ने हमेशा से डबल स्‍टैंडर्ड ही अपनाया है। एक ओर वो कहता है कि हम आतंकवाद से लड़ रहे हैं। जबकि दूसरी ओर वो खुद ही आतंकवाद को बढ़ावा देता है।

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हिंदुस्‍तान की सरकार कई बार हाफिज सईद के खिलाफ पाकिस्‍तान की सरकार को पुख्‍ता सबूत सौंप चुकी है। अगर सिर्फ उन्‍हीं सबूतों को आधार बनाकर हाफिज के खिलाफ कार्रवाई की जाए तो दुनिया की कोई भी ताकत उसे कानूनी शिकंजे से बचा नहीं सकती है। लेकिन, पाक सरकार ने हमेशा से हाफिज को बचाने की ही कोशिश की है। एक बार फिर रिहाई के बाद हाफिज सईद को सरकारी दामाद बनाने की कोशिश की जा रही है। उसे बचाने का प्रयास किया जा रहा है। सिर्फ इसलिए क्‍योंकि पाकिस्‍तान कश्‍मीर में आतंकवाद को जिंदा रखना चाहता है। पिछले कुछ महीनों में इंडियन आर्मी ने कश्‍मीर में बड़े पैमाने पर आतंकवाद का सफाया किया है। जिसमें सबसे ज्‍यादा नुकसान लश्‍कर और हिजबुल मुजाहिद्दीन को हुआ है। कश्‍मीर में आतंक की पौध नष्‍ट होते देख पाकिस्‍तान ने ही आतंक के इस माली को नजरबंदी से बाहर निकलवाया है, क्‍योंकि पाकिस्‍तान में कानून से ज्‍यादा आतंक की चलती है।