शिवसेना के ‘पप्‍पू’ बने आदित्‍य ठाकरे, कहा-अकेले लड़ेंगे 2019 का चुनाव

जो हाल कांग्रेस में राहुल गांधी का है। कुछ उसी राह पर अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्‍य ठाकरे चलते हुए नजर आ रहे हैं। जानिए कैसे।

New Delhi Dec 15 : सियासत में विरासत और विरासत में सियासत का फार्मूला काफी पुराना रहा है। कांग्रेस की सियासी विरासत को राहुल गांधी संभाल रहे हैं। तो वहीं बिहार में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की सियासी विरासत को उनके बेेटे तेजस्‍वी यादव संभालेंगे। विरासत का ये वायरस श्‍ािवसेना में भी समाया हुआ है। बाला साहेब ठाकरे के बाद उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने पूरी पार्टी पर कब्‍जा कर लिया था। अब वो अपने बेटे आदित्‍य ठाकरे को राजनीति के लिए तैयार कर रहे हैं। लेकिन, आदित्‍य ठाकरे की शुरुआती राजनैतिक डगर राहुल गांधी के रास्‍ते पर चलती हुई नजर आ रही है। अभी तक उनके पिता उद्धव ठाकरे ही बीजेपी पर निशाना साधते थे। लेकिन, आदित्‍य ठाकरे ने अपने पिता से दो कदम आगे बढ़कर बयानबाजी शुरु कर दी है।

Advertisement

शिवसेना के इस युवा नेता और युवा सेना के अध्‍यक्ष आदित्‍य ठाकरे का कहना है कि उनकी पार्टी जल्‍द ही बीजेपी से अलग होगी। सीधे शब्‍दों में कहें तो आदित्य ठाकरे ने बीजेपी से अलग होने का ऐलान कर दिया है। वो भी एक साल के वक्‍त के साथ। आदित्‍य ठाकरे ने इस बात के संकेत दिए हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव शिवसेना अपने दम पर लड़ेगी। वो भारतीय जनता पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। यानी एक साल के भीतर शिवसेना बीजेपी से अलग हो सकती है। दरअसल, बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन उस वक्‍त से चला आ रहा है जब शिवसेना की कमान बाला साहेब ठाकरे के हाथों हुआ करती थी। बाला साहेब ठाकरे के वक्‍त में शिवसेना और बीजेपी के बीच कोई खटपट नहीं होती थी।

Advertisement

लेकिन, जब से उद्धव ठाकरे ने कमान संभाली है। हालात बदले हुए हैं। खासतौर पर से जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का फैसला लिया था उस वक्‍त से शिवसेना या कहें उद्धव ठाकरे मोदी से काफी चिढ़े हुए हैं। एनडीए में शामिल होने के बाद भी उन्‍होंने नोटबंदी के खिलाफ ममता बनर्जी के विरोध का समर्थन किया था। इसके बाद शिवसेना और बीजेपी ने बीएमसी का चुनाव भी अलग-अलग ही लड़ा था। सबसे खास बात ये है कि बीजेपी ने कभी भी अपनी ओर से ये कोशिश नहीं की कि शिवसेना उससे दूर जाए। इन दिनों शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता होगा जब उद्धव ठाकरे या उनके बेटे आदित्‍य ठाकरे बीजेपी पर हमला ना करते हों। लेकिन, बीजेपी के नेता शिवसेना पर चुप ही रहते हैं। शिवसेना बीजेपी को महीनों से सरकार से अलग होने की धमकी दे रही है लेकिन, कभी अलग नहीं होती है।

Advertisement

इस बार भी आदित्‍य ठाकरे का जो बयान सामने आया है उससे भी यही संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी और शिवसेना का ये गठबंधन अभी साल भर खिचेंगा। हालांकि तनातनी ऐसी चल रही हे कि कभी भी दोनों के बीच का गठबंधन टूट सकता है। आदित्‍य ठाकरे को अभी राजनीति में आए जुमा-जुमा चार दिन हुए हैं और वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इसे शिवसेना का बड़बोलापन भी कह सकते हैं। लेकिन, शिवसेना को इस वक्‍त ये लग रहा है कि उसे अभी बीजेपी का विरोध करने में ही फायदा मिलेगा। जबकि पिछले कुछ चुनाव के नतीजे शिवसेना को उसकी औकात दिखा चुके हैं। फिर भी शिवसेना के हाईकमान को बातें समझ में नहीं आ रही हैं। क्‍यों इसका जवाब या तो खुद उद्धव ठाकरे दे सकते हैं या फिर उनके बेटे आदित्‍य ठाकरे को देना चाहिए। फिलहाल तो इन दोनों ही नेताओं ने अपने कार्यकर्ताओं को अकेले चुनाव की तैयारी करने को कह दिया है।