2019 में अब कोई नहीं रोक सकता मोदी का विजय रथ

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में जीत के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताकत कई गुना बढ़ गई है। 2019 में उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता।

New Delhi Dec 19 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताकत अब और भी बढ़ गई है। बीजेपी ने गुजरात के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश का चुनाव भी जीत लिया है। पूरे देश में इस वक्‍त एक भी नेता ऐसा नहीं दिख रहा है कि जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सके। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्‍हें चुनौती दे सके। दोनों ही राज्‍यों की जीत का सेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिर पर ही बांधा जा रहा है। जबकि कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी अपनी हार को स्‍वीकार चुके हैं। गुजरात और हिमाचल के नतीजों से साफ है कि देश की कोई भी ताकत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को अब नहीं रोक पाएगी। 2024 तक मोदी को केंद्र की सत्‍ता से हिला पाना मुश्किल होगा। इतना ही नहीं मोदी कांग्रेस के सफाए का कारण भी बन रहे हैं।

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दरअसल, पिछले 15 सालों में पहली बार ऐसा रहा था जब गुजरात का विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी के बिना लड़ा जा रहा था। प्रधानमंत्री बनने की वजह से 2014 में उन्‍होंने गुजरात मुख्‍यमंत्री का पद छोड़ दिया था। कांग्रेस को लग रहा था कि वो गुजरात में मोदी की गैरमौजूदगी का फायदा उठा लेगी। लेकिन, ऐसा हो ना सका। प्रधानमंत्री का दबदबा कायम रहा। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कई राज्‍यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। जिसमें छत्‍तीसगढ़, मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान, कर्नाटक, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं। कांग्रेस पार्टी और बीजेपी विरोधियों के पास एक और मौका है जिसमें वो 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनी ताकत को आजमा सकते हैं। एक बार फिर उन्‍हें पता चल जाएगा कि कौन कितने पानी में है।

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हालांकि हर राज्‍य में मोदी के विरोधियों की कमी नहीं है। एनडीए का खेमा भी मोदी विरोधियों से भरा पड़ा है। लेकिन, इन सब के बाद भी कोई भी नेता उनके मुकाबले पर खड़ा नहीं हो पा रहा है। माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को एक बार फिर अपनी रणनीति बनानी होगी। लेकिन, विपक्ष का पूरा का पूरा कुनबा भी इकट्टठा हो जाए तब भी प्रधानमंत्री का बाल भी बांका होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। इस वक्‍त देश में जो बड़े नेता 2019 को लेकर मोदी के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं उसमें कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी के अलावा आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव, जेडीयू के बागी नेता शरद यादव, दिल्‍ली में अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और लेफ्ट पार्टियों के नेता शामिल हैं।

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महाराष्‍ट्र में शरद पवार का ढुलमुल रवैया है। जबकि एनडीए में शामिल होने के बाद भी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ विपक्ष जैसा बर्ताव करते हैं। लेकिन, इन सभी नेताओं की भीड़ कोमोदी के सामने दगे कारतूसों की संज्ञा भी दी जा सकती है। इसमें एक भी नेता का नाम ऐसा नहीं लगता है जो 2019 में मोदी का मुकाबला कर सके। हो सकता है कि मोदी के खिलाफ विपक्ष कोई नए मोर्चे का गठन करे। लेकिन, इस बात की कोई गारंटी नहीं कि उसमें प्रधानमंत्री पद को लेकर ही आम सहमति बन जाए। अगर ये दल यूपीए के छाते तले आते हैं तो सभी को राहुल गांधी की उम्‍मीदवारी का समर्थन करना होगा और राहुल गांधी कितने मजबूत हैं ये हर कोई देख ही रहा है। देखना दिलचस्‍प होगा कि विपक्ष की आगे की रणनीति क्‍या होगी।