2019 के लिए ये है नरेंद्र मोदी का प्लान, 25 फीसदी आबादी की खास चिंता

नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है, इसके लिए नीति आयोग की मदद से जो प्लान तैयार किया है उसका बंपर फायदा हो सकता है।

New Delhi, Dec 25: साल 2017 में बीजेपी ने कई कामयाबियां हासिल की हैं, राज्यों के चुनावों में सफलता से जहां देश में बीजेपी का परचम लहराया है, वहीं अब बीजेपी ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी भी शुरू कर दी है, हालांकि लोकसभा से पहले 2018 में कई राज्यों के चुनाव होने वाले हैं। इसी को देखते हुए नरेंद्र मोदी की सरकार ने ऐसा प्लान तैयार किया है जिस से वो अपना जनाधार बढ़ा सके। बीजेपी लगातार नए वोटबैंक तैयार कर रही है, वो राजनीति के परंपरागत तरीकों को छोड़ कर नए रास्ते बना रही है। इसी कड़ी में अब देश की 25 फीसदी आबादी को अपने साथ जोड़ने के लिए बजट में खास प्रावधान किए जा सकते हैं। जो मतदाता वर्ग अभी तक बीजेपी से दूर रहता था उसे लुभाने की कोशिश की जा रही है।

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सूत्रों के मुताबिक नरेंद्र मोदी की सरकार अगले आम बजट में एससी और एसटी के लिए आवंटन में भारी बढ़ोतरी करने वाली है। इस के जरिए आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इन जातियों में बीजेपी की पैठ बनाने की कोशिश की जाएगी। साथ ही गरीब तबके के लिए नए सिरे से नीतियों को बनाया जाएगा, जिस से उनको तुरंत लाभ मिल सके। इस पर नीति आयोग ने एक प्लान भी बनाया है, ये प्लान लागू हो गया तो अनुसूचित जातियों और जनजातियों की भलाई के लिए होने वाला खर्च बढ़ाया जाएगा। बता दें कि देश की लगभग 25 फीसदी आबादी एससी और एसटी की है। राजनीति में इनका अहम रोल है, जिस तरफ ये वोट करेंगे उसके जीतने की संभावना बढ़ जाती है।

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इस बार आम बजट फरवरी के महीने में पेश किए जाने की संभावना है। सभी विभागों को पहले से सूचित कर दिया गया है कि आवंटन बढ़ाने पर मुख्य जोर रहेगा। खाद्य और सार्वजनिक वितरण के मामले में एससी और एसटी के लिए पहले जीरो और 1.4 फीसदी का आवंटन होता था, इसे बढ़ा कर नए फॉर्मूले के तहत अब 8.30 फीसदी और 4.30 फीसदी किया गया है। इस तरह से देखें तो नरेंद्र मोदी ने अपनी रणनीति अभी से अमल में लानी शुरू कर दी है। लगभग डेढ़ साल का समय मोदी सरकार के पास है, इतने में वो एससी एसटी वर्ग में अपनी पैठ बना लेना चाहती है। जिस से उसे लोकसभा चुनाव में फायदा होगा।

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एससी और एसटी वर्ग के लिए बजट में आवंटन कई क्षेत्रों में बढ़ाया जाएगा। लगभग हर विभाग में इन वर्गों का आवंटन बढ़ाया जाएगा। इस योजना के लिए नीति आयोग ने 2001 की जनगणना को आधार बनाया है। बता दें कि चालू वित्त वर्ष में अनुसूचित जातियों के लिए कुल 52,400 करोड़ रुपये का आवंटन तय किया गया है, जो वित्त वर्ष 2016 के 30,600 करोड़ रुपये के मुकाबले कहीं ज्यादा है। साफ है कि मोदी सरकार अब वो दांव आजमाने जा रही है जिस पर हमेशा से क्षेत्रीय नेताओं का बोलबाला रहा है। पिछड़ों के नेता को तौर पर सामने आए कई नेताओं के लिए अब मुश्किल खड़ी हो सकती है। देखना होगा कि सरकार की ये रणनीति कितनी कारगर रहती है।