आसान नहीं विजय रुपाणी की राह, चुनाव से बड़ी चुनौती है सरकार चलाना

गुजरात के सीएम विजय रुपाणी के सिर पर कांटों का ताज है, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके सामने कई मोर्चे खुल गए हैं, जिनसे निपटना आसान नहीं होगा।

New Delhi, Dec 27: गुजरात में एक नए युग की शुरूआत हो गई है। नरेंद्र मोदी के बाद ये विजय रुपाणी का समय है, जिन्होंने दोबारा गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है, चुनाव में कड़े मुकाबले के बाद बीजेपी ने गुजरात पर फिर से कब्जा कर लिया, इसी के साथ चुनौतियां का सिलसिला भी शुरू हो गया है। रुपाणी के सामने एक नहीं बल्कि कई चुनौतियां हैं, एक तरह से कहा जाए कि उनके सिर पर कांटों भरा ताज रखा गया है तो गलत नहीं होगा। साल 2017 खत्म होने वाला है, नए साल मं रुपाणी के सामने कौन कौन सी चुनौतियां होंगी इस बारे में हम आपको बता रहे हैं। सबसे पहले तो उनको बीजेपी के खिसके हुए जनाधार को वापस हासिल करना होगा।

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गुजरात चुनाव से ये साफ हो गया है कि राज्य के गांवों में बीजेपी का जनाधार तेजी से कम हो रहा है। ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस ने बीजेपी को पछाड़ दिया है, शहरी इलाकों में बीजेपी को मिुली सीटों के कारण ही पार्टी फिर से सत्ता में लौट आई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वो ग्रामीण इलाकों का भरोसा फिर से जीत सके, पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य में क्लीन स्वीप किया था। गुजरात के विकास मॉडल पर लोगों का भरोसा फिर से कायम करना विजय रुपाणी के लिए चुनौती होगा।इसके अलावा रुपाणी के सामने पाटीदारों की नाराजगी को दूर करना भी समस्या है। भले पाटीदारों की नाराजगी के बाद भी बीजेपी चुनाव जीत गई लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उनको फिर से मनाना होगा।

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हार्दिक पटेल पहले से ही कह रहे हैं कि वो बीजेपी के खिलाफ अपनी जंग जारी रखेंगे, चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस और हार्दिक पटेल का गठजोड़ बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी करता रहेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव पाटीदारों की नाराजगी बीजेपी को भारी पड़ सकती है। रुपाणी के साथ साथ नितिन पटेल को भी पाटीदार समाज को बीजेपी से जोड़ना होगा, राहत इस बात की है कि पाटीदारों ने बीजेपी को सबक तो सिखाया है लेकिन वो कांग्रेस के पक्ष में भी पूरी तरह से नहीं गए हैं। इसलिए 2019 से पहले बीजेपी के सामने ये चुनौती है, साथ ही पिछले लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की जिम्मेदारी भी रुपाणी पर है। 26 में से एक भी सीट कम आती है तो ये बीजेपी और मोदी की साख पर बट्टा लगने के बराबर होगा।

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मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के सामने अब एक ताकतवर विपक्ष मौजूद है, अभी तक गुजरात में विपक्ष के नाम पर कांग्रेस केवल खानापूर्ति करती थी, लेकिन इस बार राहुल गांधी ने कांग्रेस में नई जान फूंक दी है। जिस तरह से  चुनाव प्रचार के दौरान आक्रामक तरीके से बयानबाजी हुई उस से ये साफ है कि विधानसभा के अंदर भी कांग्रेस आक्रामक रहेगी। इस से निपटना रुपाणी के लिए चुनौती से कम नहीं होगा। 22 साल से राज कर रही बीजेपी को अब जनता की भारी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा, सत्ता विरोधी लहर लगातार मजबूत होती जा रही है, ऐसे में जनता को राहत देने के साथ साथ विकास को जमीन पर उतारना होगा, ऐसा नहीं हुआ तो अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपना ताज गंवा देगी, कांग्रेस ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। तो ये सारी चुनौतियां रुपाणी के सामने हैं, वो इन से कैसे निपटते हैं इसी पर 2019 में बीजेपी का भविष्य निर्भर करेगा।