पुलवामा अटैक : जैश-ए-मोहम्मद ने पहली बार नाबालिग को बनाया फिदायीन हमलावर
पुलवामा अटैक को दो आतंकियों ने अंजाम दिया था। खासबात ये है कि इसमें एक नाबालिग आतंकी भी शामिल था। दो ही फिदायीन हमलावर थे।
New Delhi Jan 01: पुलवामा में सीआरपीएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले को पाकिस्तानी आतंकियों ने नहीं बल्कि स्थानीय आतंकियों ने ही अंजाम दिया था। जैश-ए-मोहम्मद के दो फिदायीन हमलावरों ने पुलवामा अटैक को अंजाम दिया। खासबात ये है कि दोनों ही आतंकी फिदायीन हमलावर थे। इसके साथ ही दो आतंकियों में एक आतंकी नाबालिग था। पुलवामा अटैक ने देश की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ाकर रख दी है। क्योंकि माना जा रहा है कि जैश-ए-मोहम्मद ने पहली बार लोकल फिदायीन हमलावरों की मदद से अटैक कराया है। उसमें भी उसने नाबालिग आतंकी का इस्तेमाल किया। ये ट्रेंड काफी खतरनाक है। जो नाबालिग आतंकी पुलवामा अटैक में मारा गया है वो एक पुलिसवाले का बेटा था।
पुलवामा अटैक में शामिल दो आतंकियों में से एक की उम्र महज 16 साल थी। जो दसवीं का छात्र था। इस नाबालिग आतंकी का नाम फरदीन अहमद खांदे था। जो मूल रूप से त्राल का रहने वाला था। फरदीन अहमद खांदे के पिता जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। वो राज्य के आईजी की सिक्योरिटी में तैनात हैं। जहां बाप देश और राज्य की हिफाजत के लिए लड़ रहा है। वहीं उसका बेटा आतंकवाद की राह पर चल रहा था। जानकारी के मुताबिक शनिवार-रविवार की रात करीब सवा दो बजे फरदीन अहमद खांदे ने अपने साथी मंजूर अहमद बाबा के साथ मिलकर पुलवामा में सीआरपीएफ कैंप पर हमला बोला था। इस हमले और एनकाउंटर में पांच जवान शहीद हो गए हैं।
सुरक्षाबलों ने पुलवामा अटैक में शामिल दोनों ही आतंकियों को मार गिराया है। इसके साथ ही पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुछ दिनों पहले ही फरदीन अहमद खांदे जैश-ए-मोहम्मद ज्वाइन किया था। लोकल आतंकियों ने ही फरदीन को कश्मीर में ही ट्रेनिंग दी थी। उसे त्राल के जंगलों में तपाया गया था। जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने फरदीन का माइंड वॉश कर दिया था। उसके दिमाग में सिर्फ और सिर्फ सुरक्षाबलों के खिलाफ नफरत भर दी गई थी। जेहाद के नाम पर उसे फिदायीन हमलावर बना दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि फरदीन अहमद खांदे काफी उतावला लड़का था। जैश-ए-मोहम्मद उसके इसी उतावलेपन का फायदा उठाना चाहता था।
फरदीन अहमद खांदे और मंजूर बाबा को पुलवामा में सीआरपीएफ कैंप पर हमले के लिए तैयार किया गया। दोनों को पता था कि अगर वो पुलवामा अटैक को अंजाम देंगे तो वो किसी भी सूरत में बच नहीं सकते हैं। दोनों मरने की नियत से ही कैंप में दाखिल हुए थे। लेकिन, कश्मीर के लोकल आतंकियों के इस ट्रेंड ने सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। घाटी में खुफिया तंत्र को और भी सक्रिय कर दिया है। डर इस बात का है कि कहीं इस तरह के और नाबालिगों ने हथियार ना उठा लिए हों। जिन्हें जैश-ए-मोहम्मद अपने निजी फायदे के लिए फिदायीन के तौर पर इस्तेमाल कर सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक घुसपैठ में नाकाम आतंकियों के आकाओं ने अब लोकल आतंकियों को ही फिदायीन बनाना शुरु कर दिया है।