नरेंद्र मोदी को सबसे बड़ी मदद मिलेगी नीतीश कुमार से, बिहार के निकलेगी 2019 की राह

नीतीश कुमार इन दिनों परदे के पीछे से सक्रिय हैं, लालू यादव को सजा के एलान के बाद से ही वो अपनी जमीन को मजबूत करने में लगे हैं।

New Delhi, Jan 10: देश की राजनीति में तेजी से परिवर्तन हो रहा है, 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए परदे के पीछे का खेल जोर पकड़ रहा है। अगर अचानक बदलाव की बात करं तो ये बिहार से शुरू हुआ था. विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के हाथों हार का सामना करने वाली भाजपा आज बिहार की सत्ता में है। नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस का साथ छोड़कर फिर से भाजपा और एनडीए का दामन पकड़ लिया था, इस से हर कोई हैरान रह गया था, वही नीतीश अब भाजपा के लिए या फिर कहें कि पीएम मोदी के लिए चाणक्य बनते जा रहे हैं। इस से हैरान होने की कोई जरूरत नहीं है. अमित शाह भाजपा के चाणक्य कहे जाते होंगे लेकिन अब नीतीश जो कर रहे हैं वो मोदी के लिए राहत हो सकता है।

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार पिछले कई दिनों से चुपचाप अपना काम कर रहे हैं, दरअसल बिहार इस समय विपक्ष मुक्त हो गया है, लालू प्रसाद यादव जेल में हैं, कांग्रेस बिना लालू यादव के कुछ नहीं है, ऐसे में भाजपा और जेडीयू के पास पूरा मौका है कि वो इन दोनों पार्टियों के वोटबैंक में सेंध लगा सके। नीतीश इसी कोशिश में लगे हुए हैं, दरअसल लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत का दारोमदार बिहार और उत्तर प्रदेश पर है, दोनों राज्यों में कुल मिलाकर 120 लोकसभा सीटें हैं, पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए ने इनमें से 106 सीटें जीती थीं। ऐसे में पुराना करिश्मा दोहराने की चुनौती है, यूपी में योगी आदित्यनाथ इसे मिशन की तरह ले रहे हैं, वहीं बिहार की जिम्मेदारी नीतीश की है।

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सबसे खास बात ये है कि अगर लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए कमाल करती है तो इसका श्रेय नीतीश को मिलेगा, पिछली बार नीतीश एनडीए के साथ नहीं थे, उसके बाद भी 33 सीटें मिली थी। ऐसे में नीतीश ये बात जान रहे हैं कि थोड़ी और मेहनत से वो राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा मुकाम हासिल कर सकते हैं। ये किसी से छिपा नहीं है कि नीतीश की महत्वकांक्षा राष्ट्रीय राजनीति में अपना कद बड़ा करने की है। ऐसे में उनकी रणनीति अपनी महत्वकांक्षा को पूरा करने की हो सकती है, हालांकि प्रधानमंत्री पद के लिए फिलहाल तो कोई वैकेंसी नहीं है। मगर नीतीश को इस बात का अंदाजा है कि बिहार में हमेशा के लिए मुख्यमंत्री नहीं रह सकते हैं। लिहाजा वो अपने लिए नई जमीन तैयार कर रहे हैं।

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बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव नेपथ्य में चले गए हों, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान आरजेडी एक ताकत के रूप में नीतीश कुमार के सामने होगी, यहीं से नीतीश की साइलेंट रणनीति शुरू हो रही है, वो जान रहे हैं कि बिहार में अगली बार सीएम बनने के लिए उनको काफी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं, उसके उलट लोकसभा चुनाव में कमाल का प्रदर्शन करके वो केंद्र की राजनीति के दरवाजे खोल सकते हैं। नीतीश का भविष्य केंद्र की राजनीति में ज्यादा सुरक्षित रहेगा। बिहार में नई पीढ़ी के नेताओं को जिम्मेदारी देने का समय आ गया है। जेडीयू में नीतीश के अलावा कोई ऐसा नेता फिलहाल नहीं दिख रहा है जो लोकप्रिय होने के साथ जनता से जुड़ा हुआ हो। अपने भविष्य को संवारने में नीतीश मोदी की भी मदद कर रहे हैं, इस से भाजपा को क्या एतराज हो सकता है।