बीजेपी के इस दांव का तोड़ राहुल गांधी के पास नहीं, इस साल भी चुनावों में मिलेगी मात

मध्य प्रदेश में बीजेपी का मुकाबला नए तेवर वाले राहुल गांधी से होगा, भाजपा ने ऐसी रणनीति तैयार की है, जिसका तोड़ राहुल के पास भी नहीं होगा।

New Delhi, Jan 14: लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद से ही बीजेपी एक मिशन पर है, भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस मुक्त भारत का लक्ष्य तय किया है, इस में काफी हद तक सफलता भी मिली है. कई राज्यों की सत्ता भाजपा ने कांग्रेस से छीनी है, पिछले साल चुनावों में भाजपा ने बाजी मारी, कांग्रेस के खाते में केवल पंजाब की सत्ता आई, उसी तरह से इस साल भी कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, इनमें तीन राज्य ऐसे हैं जो भाजपा के गढ़ माने जाते हैं, ये हैं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान, इन तीनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने कांग्रेस चुनौती पेश कर सकती है। खास तौर पर गुजरात में राहुल गांधी ने जिस तरह से हिंदुत्व के सहारे भाजपा को मात देने की कोशिश की थी, उसको देखते हुए भाजपा ने नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

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खास तौर पर मध्य प्रदेश को लेकर भाजपा खासा सक्रिय है, भाजपा के साथ साथ आरएसएस भी सक्रिय हो गया है. संघ और भाजपा का पूरा फोकस इस बात पर है कि हिंदुत्व का सहारा लेने वाले राहुल गांधी के खिलाफ किस तरह से रणनीति बनाई जाए, इसके साथ ही दलित और आदिवासियों को साधने की कोशिश भी की जा रही है। संघ का मानना है कि दलित और आदिवासियों को अपने साथ जोड़े बिना कांग्रेस मुक्त भारत की कल्पना साकार नहीं हो सकती है। राहुल जिस तरह से सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं उस से संघ और भाजपा ने अपनी रणनीति बदल ली है, मध्य प्रदेश में भाजपा के नेताओं, विधायकों और मंत्रियों को निर्देश दिए गए हैं वो मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ के साथ जनता के बीच जाएंगे।

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दरअसल बीजेपी जनता को हिंदुत्व के साथ जोड़ने के लिए जड़ों की तरफ लौट रही है, पारंपरिक तौर पर मकर संक्रांति तिल और गुड़ के साथ ही मनाया जाता है। राहुल गांधी ने गुजरात में मंदिरों के चक्कर लगाकर भाजपा को परेशानी में डाला था। राहुल के साथ भाजपा का अगला मुकाबला मध्य प्रदेश में ही होगा, कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, लिहाजा वहां पर राहुल पर दबाव ज्यादा होगा। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार काफी लंबे समय से है, सत्ता विरोधी लहर का अंदाजा पार्टी को है, इसलिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसका असर चुनाव तक दिखने लगेगा। साथ ही भाजपा ने सकारात्मक प्रचार पर मुहर लगाई है, लंबे समय से सत्ता में रहने के दौरान विकास के कौन कौन से काम किए हैं, इसे जनता के बीच लेकर जाने की रणनीति बनाई गई है, इस से पहले कि कांग्रेस प्रचार शुरू करे, भाजपा अपनी बिसात बिछा लेना चाहती है।

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मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी खासा सक्रिय है, संघ को भाजपा का थिंक टैंक माना जाता है, इसलिए संघ के कार्यकर्ता अभी से प्रचार में जुट गए हैं, भाजपा का बूथ मैनेजमेंट कमाल का होता है, लिहाजा संघ की उपस्थिति में भाजपा का प्रचार शुरू हो गया है। एक एक वोटर तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है। गरीब तबके के साथ तिल और गुड़ खाने की योजना इसी का हिस्सा है। इसके साथ ही राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गरीब तबके को साधने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, जो काफी लोकप्रिय हुई हैं, शिवराज सरकार के दौरान आयोजित की गई पंचायतें भी काफी लोकप्रिय हुई हैं। बता दें कि शिवराज चौहान ने नाई, रजक और मोची समाज की पंचायतें लगाई थीं। इसका फायदा पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिला था। शिवराज चौहान पर भले ही कांग्रेस हमला करे, लेकिन वो संघ के मुताबिक लोकप्रिय नेता हैं, मध्य प्रदेश की जनता नाराज हो सकती है लेकिन उसके सामने विकल्प नहीं है, कांग्रेस को जनता विकल्प के तौर पर स्वीकार करेगी इस में संदेह है।