विराट कोहली क्या क्रिकेट के मोदी बन गए हैं, BCCI उनकी भक्ति में डूबी

क्या विराट कोहली के आगे BCCI ने सरेंडर कर दिया है, क्या वो कोहली की भक्ति कर रही है, सफलता के कई दावेदार होते हैं, लेकिन असफलता हमेशा अनाथ होती है।

New Delhi, Jan 21: हिंदुस्तान में तीन चीजें ऐसी हैं जो लोगों को जोड़ के रखती हैं, जिनके अंदर इतनी ताकत हैं कि वो पूरे देश को एक सूत्र में पिरो सकती हैं। राजनीति, क्रिकेट और सिनेमा, राजनीति हर किसी का पसंदीदा टाइमपास है, क्रिकेट के मैच के दौरान पूरा देश टीवी के सामने जम जाता है, तो वहीं बड़े सितारों की फिल्मों के लिए घंटों लाइन में लग कर टिकट लिया जाता है। अक्सर सिनेमा और राजनीति की बात होती है, कहा जाता है कि कला को राजनीति से दूर रखा जाए, लेकिन क्रिकेट के बारे में कोई बात नहीं करता है, क्या भारत में क्रिकेट को संचालित करने वाली संस्था  BCCI में राजनीति नहीं होती है, दुनिया के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड में क्या क्या होता है इसके बारे में समय समय पर खबरें बाहर आती रही हैं।

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फिलहाल बीसीसीआई पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि वो विरा कोहली की भक्ति में चूर है, ये आरोप लगाया है कि रामचंद्र गुहा ने, जो एक मशहूर इतिहासकार हैं, जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासनिक समिति के सदस्य भी थे, उन्होंने क्रिकेट के खेल में मैदान के बाहर होने वाले खेल को लेकर एक लेख लिया है। टीम इंडिया फिलहाल साउथ अफ्रीका के दौरे पर है, जहां वो लगातार दो टेस्ट मैच हार चुकी है, हार के लिए विराट कोहली के फैसलों को जिम्मेदार माना जा रहा है। इसी को लेकर गुहा ने लिखा है कि BCCI ने विराट कोहली की भक्ति के मामले में मोदी के भक्तों को भी पीछे छोड़ दिया है। गुहा ने ये भी लिखा है कि रवि शास्त्री एक कमजोर कोच हैं, टीम प्रबंधन, कोच और सपोर्ट स्टाफ हर फैसले से पहले कोहली से पूछते हैं। यही कारण है कि विदेशी जमीन पर टीम इंडिया जीत हासिल नहीं कर पाती है।

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सबसे अहम बात जो रामचंद्र गुहा ने कही है वो ये है कि BCCI के अधिकारी कोहली की भक्ति में इस तरह से डूबे हुए हैं जितने मोदी मंत्रिमंडल के मंत्री भी नहीं है। नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी कभी भी बयान आ जाते हैं, लेकिन विराट कोहली कुछ भी फैसला लें, उनको समर्थन मिलता रहता है, भले ही इन फैसलों से टीम का नुकसान ही क्यों ना हो। रामचंद्र गुहा ने लिखा है कि रवि शास्त्री एक कमजोर कोच की तरह दिख रहे हैं, घरेलू जमीन पर उनकी कमियां छिप गई थीं, लेकिन जैसे ही विदेश में मैच हुआ उनकी पोल खुल गई। इसी के साथ गुहा ने कोच चुनने वाली सलाहकार समिति पर भी सवाल खड़े किए हैं, उन्होंने लिखा है कि तेंदुलकर, गांगुली और लक्ष्मण वाली समिति ने विराट कोहली की जिद के आगे घुटने टेक दिए. कुंबले को हटाकर शास्त्री को इसलिए कोच बनाया गया क्योंकि कोहली चाहते थे।

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रांमचंद्र गुहा के ये लेख भारतीय क्रिकेट के अंदर की बातों को सामने ला रहा है, विराट कोहली को ये समझना होगा कि वो भले ही बहुत बड़े खिलाड़ी हैं, लेकिन वो खेल से बड़े नहीं हैं. साउथ अफ्रीका में अभी तक खेले दोनों मैच में टीम इंडिया के चयन को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं, कोहली ने दूसरे मैच में भुवनेश्वर कुमार को बाहर बिठा दया, अजिंक्य रहाणे को अभी तक मौका ही नहीं मिला है, रोहित शर्मा को लगातार मौका मिल रहा है, शिखर धवन को पहले टेस्ट में खराब प्रदर्शन करने पर बाहर कर दिया। इन फैसलों से पूर्व क्रिकेटर भी हैरान हैं. गावस्कर ने तो यहां तक कहा कि काश धोनी टेस्ट क्रिकेट से सन्यास ना लेते, उनके जैसे शख्स की टीम को जरूरत है। इसके अलावा कोहली मैच के दौरान प्रेस वार्ता में पत्रकारों से भी उलझ पड़ते हैं। अक्रामक होना अच्छी बात है लेकिन उस अक्रामकता का क्या फायदा जिसके लिए शर्मिंदा होना पड़ा।