मुंबई में ‘आग’ से खेल रही है BMC, सबसे ऊंची इमारत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

कमला मिल्‍स कंपाउंड हादसे को देखते हुए अब मुंबई की सबसे ऊंची इमारत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। जानिए क्‍या है पूरा मामला ?

New Delhi Jan 21 : बीते दिनों मुंबई के लोअर परेल की कमला मिल कम्पाउंड के एक रेस्टोरेंट में लगी भीषण आग लग गई थी। इस हादसे में 14 लोग जिंदा जल गए थे। हादसे के बाद महाराष्‍ट्र सरकार भी नींद टूटी और मुंबई महानगर पालिका यानी बीएमसी भी नींद से जागी। बीएमसी ने मुंबई में ऐसे व्‍यवसासिक परिसरों को सील करना शुरु किया जिनके पास अग्नि सुरक्षा का प्रमाण पत्र नहीं था। लेकिन, हर कोई जानता है कि हादसे सिर्फ व्‍यवसायिक परिसरों में ही नहीं होते। जरा सी चूक कहीं पर भी आग को हवा दे सकती है। मुंबई में ऐसे हजारों परिसर और आवासीय सोसाइटियां हैं जहां अग्नि सुरक्षा को लेकर कोई बंदोबस्त नहीं है। मुंबई में बड़ी-बड़ी इमारतें तो खूब हैं लेकिन, बहुतेरी बिल्डिंगों में ना तो इमरजेंसी एग्जिट का कोई बंदोबस्‍त है और ना ही आग को बुझाने का इंतजाम। ऐसे में अब मुंबई की सबसे ऊंची इमारत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दरख्‍वास्‍त लगाई गई है। ताकि वहां सुरक्षा के बंदोबस्‍त हो सके।

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मुंबई की एक गैर सरकारी संस्था जनहित मंच ने व्यावसायिक और आवासीय परिसरों में अग्नि सुरक्षा बंदोबस्त को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ताकि महाराष्‍ट्र सरकार और बीएमसी के कानों पर जू रेंग सके और हजारों लाखों लोगों की जिदंगी सुरक्षित हो सके। दरअसल मुंबई में सबसे बड़ी इमारत पैलेस रॉयल बिल्डिंग में अग्नि सुरक्षा की अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। इसी मसले को लेकर गैर सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जिस पर 22 जनवरी को सुनवाई होगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बिल्डिंग के निर्माण पर फिलहाल रोक लगा रखी है। याचिकाकर्ता का आरोप हैं कि मुंबई महानगर पालिका और महाराष्‍ट्र सरकार ने जहां केवल 43 मंजिला इमारत के निर्माण को मंजूरी दी थी वहां अब तक 52 मंजिलों का निर्माण किया जा चुका है। सबसे भयानक बात ये हैं कि बिल्डिंग में अग्नि-सुरक्षा को लेकर भारी कोताही बरती गई और सरकारी नियमों का उल्लंघन किया गया।

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सुप्रीम कोर्ट ने इससे पूर्व इस मामले की सुनवाई करते हुए इमारत के निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दे दिए थे। मुंबई महानगर पालिका और महाराष्ट्र सरकार के भ्रष्ट अफसरों और राजनीतिक आश्रय के बाद बिल्डर ने नियमों को ताक पर रख कर ना केवल मंजिलों का अतिरिक्त निर्माण किया बल्कि बिल्डिंग के अग्निसुरक्षा वाले हिस्सों को भी बेच दिया। सुप्रीम कोर्ट इस गड़बड़ी को लाखों लोगों की जिदंगी से खिलवाड़ बता चुका है। याचिकाकर्ता के वकीलों का कहना है कि अगर अब भी सरकार और बीएमसी ने कमला मिल कंपाउंड हादसे से सबक नहीं लिया तो मुंबई में हजारों लोगों की जिदंगी खतरे में पड़ सकती है। बात सिर्फ मुंबई की सबसे ऊंची इमारत पैलेस रॉयल बिल्डिंग की नहीं है शहर में जितनी भी ऊंची इमारतें हैं चाहें वो व्‍यावसयिक हों या फिर आवासीय हों, सभी का नए सिरे से सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। ताकि सुरक्षा मानकों का पालन कड़ाई से हो सके।

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तमाम संगठनों की रिपोर्ट ये दावा कर चुकी है कि मुंबई की बहुतेरी इमारतों में सुरक्षा मापदंड ठीक नहीं है। बहुत सी बिल्डिंगों में नियमों के विरुद्ध काम हुआ है। फिर भी ना तो महाराष्‍ट्र सरकार दोषी लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है और ना ही बीएमसी। लेकिन, कमला मिल कंपाउंड हादसे के बाद मुंबई में कई ऐसे संगठन सक्रिय हो गए हैं जो मुंबईकरों की सुरक्षा के लिए अब अदालतों का रुख कर रहे हैं। इस तरह के संगठनों को महाराष्‍ट्र सरकार और बीएमसी की बजाए अदालत पर ही भरोसा है। बहरहाल, इस वक्‍त सभी की निगाहें मुंबई की सबसे बड़ी इमारत के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई है। 22 जनवरी के दिन पता चलेगा कि इस बिल्डिंग का क्‍या होगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला कुछ भी हो लेकिन, हर किसी की कोशिश और ख्‍वाहिश यही है कि कमला मिल कंपाउंड जैसा हादसा कहीं पर भी ना हो। हर बिल्डिंग, हर इमारत में सुरक्षा के पुख्‍ता बंदोबस्‍त हों। खासतौर पर आग से निपटने के।