राजपथ पर ऐसा क्या हुआ, जो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद रो पड़े
एयरफोर्स के शहीद कमांडो ज्योति प्रकाश निराला को मरणोपरांत अशोक चक्र दिया गया, इस मौके पर राष्ट्रपति कोविंद उनकी कहानी सुनकर भावुक हो गए।
New Delhi, Jan 26: पूरे देश में देशभक्ति हिलोरें मार रही है, 26 जनवरी हर्ष और उल्लास से मनाया जा रहा है, आज ही के दिन भारत में संविधान लागू हुआ था. एक प्रक्रिया पूरी हुई थी, बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को लागू करके भारत ने अपनी कुछ रीतियों को स्थापित किया था। 26 जनवरी को दिल्ली के राजपथ पर पूरे देश की झांकियां निकलती हैं, हर राज्य की खासियत उसकी झांकी से पता चलती है। इस मौके पर देश के वीरों का सम्मान भी किया जाता है, राष्ट्रपति सेना के जवानों को शौर्य मेडल देते हैं, इस बार 26 जनवरी के मौके पर इंडियन एयरफोर्स के गरुण कमांडों ज्योति प्रकाश निराला को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है, उनको मरणोपरांत ये सम्मान दिया गया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनकी पत्नी को ये सम्मान दिया, बता दें कि शांति के दिया जाने वाले ये देश का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान है। ज्योति प्रकाश निराला जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उनकी शौर्य गाथा को सुनकर रामनाथ कोविंद भी भावुक हो गए, उनकी आंखें भी इस कमांडों की अदम्य वीरता की कहानी सुनकर नम हो गई थीं। सभी ने देखा कि देश के राष्ट्रपति अपनी आंखों में आी नमी को पोंछ रहे थे। बता दें कि एयरफोर्स के स्पेशल दस्ते के कमांडो ने घाटी में आतंकवादियों से लड़ाई के दौरान अपूर्व साहस और शौर्य का परिचय देते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था। ज्योति प्रकाश निराला पिछले साल नवंबर को बांदीपोरा जिले के चंदरनगर गांव में गरुड़ की टुकड़ी और राष्ट्रीय राइफल द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किए गए एक आक्रामक अभियान का हिस्सा थे।
खूफिया जानकारी मिली थी कि गांव के किसी घर में आतंकवादी छिपे हुए हैं। गरुड़ कमांडों की टुकड़ी ने उस घर के चारों ओर घेर लिया। ज्योति प्रकाश निराला ने खुद को आतंकवादियों के ठिकाने के पास पोजिशन किया जिस से आतंकी बच कर भाग ना जाए। इंतजार किया जा रहा था कि आतंकी घर से बाहर निकलें, लेकिन उसी समय जवानों ने देखा कि 6 आतंकी घर से भागने की कोशिश कर रहे हैं। आतंकियों ने जवानों पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। साथ ही हथगोले भी फेंकने शुरू कर दिए। इसके जवाब में कमांडोंज की तरफ से भी फायरिंग शुरू हुी। ज्योति प्रकाश निराला ने लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया और दो को घायल कर दिया।
इस दौरान ज्योति प्रकाश निराला को भी गोलियां लग गई थीं। वो घायल हो गए थे, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने आतंकियों पर गोलियां चलानी बंद नहीं की। वो लगातार आतंकियों पर गोली चलाते रहे, गंभीर रूप से घायल होने के कारण वो लड़ते लड़ते शहीद हो गए. इस ऑपरेशन में सबी 6 आतंकियों को मार गिराया गया था। अकेले जयोति प्रकाश निराला ने 3 आतंकियों को मौत के घाट उतारा था। उनके इसी अदम्य शौर्य और साहस के लिए उनको मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया, राजपथ पर राष्ट्रपति ने उनकी पत्नी को अशोक चक्र दिया, इस दौरान उनकी वीरता की कहानी सुनकर प्रेसिडेंट कोविंद भी भावुक हो गए। ज्योति प्रकाश निराला ने अपने साहस से वीरता की एक अमिट कहानी लिखी है, आने वाली पीढ़ियां हमेशा इस पर गर्व करेंगी।
#AshokaChakra awarded to Late Air Force Commando JP Nirala, who lost his life in Bandipora encounter. President Kovind presents award to JP Nirala's mother and wife. #RepublicDay pic.twitter.com/S6E7pJysdP
— ANI (@ANI) January 26, 2018