लश्कर का ‘बिहारी अकाउंटेंट’ गिरफ्तार, टेरर फंडिंग मॉड्यूल का भंडाफोड़

पाकिस्‍तान के आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा की जड़े बिहार तक फैल गई हैं। यहां के एक युवक की गिरफ्तारी के बाद बड़े टेरर फंडिंग मॉडयूल का खुलासा हुआ है।

New Delhi Feb 05 :  देश की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये चिंता की बात है कि आंतकी संगठनों का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। पाकिस्‍तान के आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा ने अपनी जड़े बिहार, महाराष्‍ट्र और उत्‍तर प्रदेश तक में फैला ली हैं। तो वहीं ISIS कश्‍मीर तक पहुंच गया है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियां इन आतंकी संगठनों के हर मंसूबों पर पानी फेर रही हैं। इसी कड़ी में राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने लश्‍कर-ए-तैयबा के बड़े टेरर फंडिंग मॉडयूल का भंडाफोड़ किया है। जिसमें बिहार के रहने वाले एक आतंकी को भी गिरफ्तार किया गया है। जिसकी निशानदेही पर उत्‍तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है। टेरर फंडिंग के खिलाफ एनआईए की कार्रवाई लगातार जारी है। दरअसल, एनआईए ने रविवार को ही दिल्‍ली से लश्‍कर-ए-तैयबा के एक आतंकी को गिरफ्तार किया था। इस आतंकी का नाम महफूज आलम है। जो मूल रूप से बिहार का रहने वाला है।

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बिहार के गोपालगंज का रहने वाला महफूज आलम लश्‍कर के लिए बड़ी भूमिका निभा रहा था। खासतौर पर टेरर फंडिंग के मामले में। उसकी गिरफ्तारी के साथ ही टेरर फंडिंग के एक बड़े मॉड्यूल का खुलासा हो गया। महफूज आलम को एनआईए ने रविवार को ही स्‍पेशल कोर्ट में पेश किया। जिससे उसे दो दिन की रिमांड पर भेज दिया गया है। महफूज आलम की निशानदेही पर एनआईए की टीम देशभर में छापेमारी कर रही है। सबसे ज्‍यादा छापेमारी पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में की गई। मुजफ्फरनगर की छापेमारी में एनआईए को बड़ी मात्रा में नकदी, हथियार और दूसरे आपत्तिजनक दस्‍तावेज मिले हैं। इससे पहले एनआईए टेरर फंडिंग के आरोप में तीन आतंकियों को पहले से ही गिरफ्तार कर चुकी है। इस केस में महफूज आलम की ये चौथी गिरफ्तारी है। जो दिल्‍ली में ही सुरक्षा एजेंसी के हत्‍थे चढ़ गया।

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इससे पहले एनआईए ने टेरर फंडिंग केस में जिन तीन आतंकियों को अरेस्‍ट किया था उसमें महाराष्ट्र में औरंगाबाद का रहने वाला शेख अब्दुल नईम उर्फ सोहेल खान है। गोपालगंज का रहने वाला धन्नू राजा उर्फ बब्लू उर्फ बेदार बख्त है। जबकि तीसरा आरोपी कश्‍मीर के पुलवामा का रहने वाला तौसीफ अहमद मलिक है। दरअसल, टेरर फंडिंग की जांच कर रही एनआईए ने इस केस में सबसे पहले महाराष्‍ट्र से सोहेल खान उर्फ शेख अब्‍दुल नईम को उठाया था। सोहेल की निशानदेही पर 28 नवंबर 2017 को एनआईए ने बिहार के गोपालगंज से धून्‍न राजा उर्फ बबलू उर्फ बेदार बख्‍त को गिरफ्तार किया। बेदार बख्‍त ने बताया कि बिहार में इस वक्‍त लश्‍कर के लिए कुछ और लोग भी काम कर रहे हैं। एनआईए ने गोपालगंज और बिहार में सक्रिय आतंकियों की तलाश के लिए अपना नेटवर्क टाइट कर दिया और पैनी निगाह रखी जानी लगी।

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एनआईए के मुताबिक सोहेल खान भी कुछ दिनों बिहार के गोपालगंज में रहा था। इसी दौरान उसने अपना बैंक अकाउंट और पैन कार्ड भी बनवा लिया था। इसी केस की जांच में एनआईए को महफूज आलम के बारे में पता चला जो देश में लश्‍कर-ए-तैयबा के अकाउंटेंट के तौर पर काम कर रहा था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक महफूज आलम ही लश्‍कर के दूसरे आतंकियों को आर्थिक मदद पहुंचाता था। महफूज के पास पैसा हवाला और दूसरे रास्‍तों से पहुंचता था। महफूज ही विदेशों से पैसा इकट्ठा करने में भी सोहेल की मदद करता था। इन सब में मुजफ्फरनगर के हवाला कारोबारी उसकी मदद करते थे। जिनके यहां पर अब एनआईए ने छापा मारा है। मुजफ्फरनगर में एनआईए ने दो संदिग्‍ध हवाला कारोबारियों की दुकानों और दूसरे ठिकानों पर छापेमारी की है। जहां से 15 लाख रुपए कैश बरामद किया गया है। इसके अलावा नोटों को गिनने वाली मशीन, देसी पिस्‍तौल, लैपटॉप, चार मोबाइल फोन भी बरामद किया गया है। कई दस्‍तावेज भी बरामद किए गए हैं। इससे पहले भी एनआईए टेरर फंडिंग केस में कश्‍मीर के कई बड़े अलगाववादी नेताओं को भी गिरफ्तार कर चुकी है।