राम मंदिर : श्रीश्री रविशंकर के फार्मूले में कुछ मुसलमानों ने लगाया पलीता

आध्‍यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर इन दिनों राम मंदिर पर अपनी ओर से मध्‍यस्‍थता करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, उनकी कोशिशों में पलीता लग गया है।

New Delhi Feb 09 : राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अदालत में इस केस में तारीख पे तारीखें लग रही हैं। वहीं दूसरी ओर आध्‍यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर इस विवाद में आउट आफ कोर्ट सेटेलमेंट की कोशिशों में जुटे हुए हैं। वो चाहते हैं कि ये विवाद अदालत के बाहर ही आम सहमति से सुलझा लिया जाए। जिसके लिए वो इस केस से जुड़े हर पक्षकार से मुलाकात भी कर रहे हैं। राम मंदिर पर मध्‍यस्‍थता को लेकर जहां एक ओर श्रीश्री रविशंकर को तमाम लोगों का समर्थन भी मिल रहा है वहीं दूसरी ओर ऐसे भी मुसलमान हैं जो उनकी इस पहल में पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। कई लोग इस बात को लेकर ही सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर श्रीश्री रविशंकर किस हैसियत से राम मंदिर और बाबरी मजिस्‍द विध्‍वंस मामले में समझौते की कोशिश कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि वो तो इस केस में पक्षकार तक नहीं हैं।

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सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि कुछ हिंदू संगठन भी श्रीश्री रविशंकर की इस पहल का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा उन्‍हें मान्‍य होगा। लेकिन, राम मंदिर पर श्रीश्री रविशंकर को अपनी राजनीति नहीं चमकानी चाहिए। बहरहाल इन सब के बीच आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने एक बार फिर मध्‍यस्‍थता की कोशिशों को आगे बढ़ा दिया है। गुरुवार को उन्‍होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रमुख सदस्यों से मुलाकात की। इसके अलावा वो सुन्‍नी वक्‍फ बोर्उ के सदस्‍यों से भी मिले। इस मुलाकात के बाद ऑर्ट आफ लीविंग की ओर से दावा किया जा रहा है कि श्रीश्री रविशंकर से मिलने के बाद सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड और ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों ने श्रीश्री की इस पहल का समर्थन किया है। आर्ट आफ लीविंग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद को बाहर कहीं दूसरी जगह ले जाए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। उनका कहना है कि कई मुस्लिम उनका समर्थन कर रहे हैं।

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जबकि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद में पक्षकार जफरयाब जिलानी का कहना है कि उनकी ओर से इस तरह के किसी भी समझौते का ना तो स्‍वागत किया गया है और ना ही उसका समर्थन किया गया। जफरयाब जिलानी ने दो टूक शब्‍दों में कह दिया कि हमें श्रीश्री रविशंकर का फार्मूला पंसद नहीं। वहीं दूसरी ओर इस केस के दूसरे पक्षकार हाजी महबूब ने भी इस फार्मूले को गलत ठहराया है। हाजी महबूब का कहना है कि वो जमीन हमारी है। हम उस पर अपना दावा कैसे छोड़े दें। बेशक हम वहां पर मस्जिद ना बनवाएं लेकिन, जमीन तो हमें ही चाहिए। इस बीच श्रीश्री रविशंकर की पहल का दो केंद्रीय मंत्रियों ने भी समर्थन किया है। अश्विनी चौबे और साध्‍वी निरंजन ज्‍योति ने श्रीश्री रविशंकर की पहल की कोशिशों की तारीफ की है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का कहना है कि अगर कोई शांति से अदालत के बाहर इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहा है, तो उसकी तारीफ होनी चाहिए।

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दरसअल, गुरुवार से इस केस की रेगुलर सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने वाली थी। लेकिन, दस्‍तावेजों के ट्रांसलेशन के कारण एक बार फिर इस मामले की सुनवाई टालनी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते के अंदर मामले से जुड़े कागजात लाने को कहा है। खासतौर पर पुराने कागजातों को ट्रांसलेट कराकर। इसके लिए अदालत ने सभी पक्षकारों को कुछ और दिनों की मोहलत दे दी है। राम मंदिर और मस्जिद विवाद की अगली सुनवाई अब 14 मार्च को होगी। सुप्रीम कोर्ट का साफ तौर पर कहना है कि वो इस केस की सुनवाई एक जमीनी विवाद के तौर पर ही करेगा। सप्रीम कोर्ट का कहना है कि उनके लिए ये मसला सिर्फ जमीन विवाद का है। इसे धार्मिक और राजनैतिक ना बनाया जाए। इन सबके बीच संघ और बीजेपी के नेता लगातार ये दावा कर रहे हैं कि राम मंदिर वहीं बनेगा। इस पर भी ओवैसी बवाल खड़ा कर चुके हैं। ओवैसी ने अभी हाल में ये कहा था कि जब ये मामला कोर्ट में लंबित है तो फिर बीजेपी और संघ के नेता मंदिर निर्माण की तारीख कैसे दे सकते हैं।