सोनिया गांधी परेशान हैं, कांग्रेसियों को मना रही हैं कि राहुल गांधी को बॉस मान लें

सोनिया गांधी परेशान हैं इसलिए क्योंकि राहुल गांधी कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद भी कोई धमक नहीं पैदा कर पाए हैं, वो अध्यक्ष लगते ही नहीं है।

New Delhi, Feb 10: राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष तो बन गए हैं, लेकिन उनके अंदर अध्यक्ष वाली बात नहीं दिख रही है। जो रुतबा औऱ धमक सोनिया गांधी की हुआ करती थी, राहुल उस से कोसों दूर हैं, उनको देख कर यही लगता है कि वो अभी भी पार्टी के उपाध्यक्ष हैं, जो अपनी मां के साए में काम कर रहे हैं, जिम्मेदारी से बच रहे हैं, सत्ता से सवाल पूछना ही अध्यक्ष का काम नहीं है, विपक्ष को एकजुट करके सरकार पर हमला करना विपक्ष का काम है, खास तौर पर ऐसे समय में जब विपक्ष के नाम पर कुछ भी एक जगह नहीं है, बिखराव के इस सिलसिले को राहुल रोक नहीं पा रहे हैं। 2014 से 2019 आने वाला है, लेकिन राहुल अभी भी सियासी तौर पर गंभीर नहीं दिख रहे हैं।

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समस्या ये है कि राहुल गांधी गंभीर होने की कोशिश तो करते हैं, लेकिन उनकी बाव भंगिमाएं उनका साथ नहीं देती हैं, वो अभी भी धारा प्रवाह नहीं बोल पाते हैं, किसी ज्वलंत मुद्दे पर वो रटे रटाए सवाल पूछ लेते हैं, पढ़ी हुई स्क्रिप्ट के जरिए अमेरिका और खाड़ी देशों में जाकर मोदी सरकार पर हमला कर सकते हैं। बजट पर सवाल पूछा जाए तो वो खामोश हो जाते हैं, एक लफ्ज नहीं निकलता है, यही कारण है कि विपक्ष के तमाम दल राहुल को नेता मानने को तैयार नहीं है, यही वो कारण है जिसके चलते विपक्ष एकजुट नहीं हो पा रहा है. 2019 की तैयारियों में बीजेपी जहां आगे निकल गई है. वहीं विपक्ष अभी तक एकजुट होने की कोशिश कर रहा है,

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कहा जा सकता है कि विपक्ष की एकजुटता में राहुल गांधी सबसे बड़ा रोड़ा है, कोई भी दल उनके नेतृत्व में चुनाव में उतरने को तैयार नहीं है। यहीं पर सोनिया गांधी की याद आती है, शरद पवार जैसे क्षत्रप सोनिया को आगे ला कर विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। सोनिया के नाम पर विपक्षी दलों की बैठक भी हो जाती है, राहुल विपक्ष के दलों की बैठक बुलाते हैं तो नेता अपने प्रतिनिधियों को भेज देते हैं। ये बात सोनिया को भी पता है, इसलिए वो परेशान हैं, उनको समझ नहीं आ रहा है कि किस तरह से राहुल का भोकाल बनाया जाए। क्या किया जाए जिस से अध्यक्ष के तौर पर राहुल का रुतबा बढ़ सके।

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यही कारण है कि सोनिया गांधी ने कांग्रेस के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि राहुल उनके भी बॉस हैं, वो कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, लिहाजा वो सुप्रीम हैं। सोनिया ये कह कर शायद राहुल के लिए राह आसान करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अध्यक्ष बनने के बाद भी अपने लिए इज्जत और अपना असर पैदा करने में राहुल को ही काम करना होगा. सोनिया की अगर इज्जत विपक्ष में होती है तो इसका कारण ये है कि उन्होंने 10 साल तक यूपीए गठबंधन की सरकार के एकजुट रखा, उनके पीछे उनका काम है. लेकिन राहुल के पीछे हारे हुए चुनावों का जिन्न है, जो उनके कंधे पर बेताल की तरह सवार है, उतरने का नाम नहीं ले रहा है। अब ऐसे में सोनिया परेशान नहीं होंगी तो क्या करेंगी, आगे भी आसार बहुत अच्छे नहीं दिख रहे हैं।