राम मंदिर पर ‘सुलह’ का फार्मूला देने वाले मौलाना नदवी पर गिरी गाज

अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सुलह का फार्मूला देना ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एग्‍जीक्‍यूटिव मेंबर मौलाना नदवी को भारी पड़ गया है।

New Delhi Feb 11 : एक ओर राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। दूसरी ओर अदालत के बाहर इस विवाद को सुलझाने की कोशिश हो रही है। लेकिन, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुलह की इन कोशिशों में पलीता लगा दिया है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सुलह का फार्मूला पेश करने वाले मौलाना नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बाहर का रास्‍ता दिखा है। उन्‍हें पर्सनल लॉ बोर्ड से ही बर्खास्‍त कर बाहर निकाल दिया गया है। मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एग्‍जीक्‍युटिव मेंबर थे। अभी हाल ही में उन्‍होंने आध्‍यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात की थी। बंगलुरु में हुई इस मीटिंग में ही मौलाना नदवी ने सुलह का फार्मूला दिया था। जो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को नागवार गुजरा। AIMPLB ने मौलाना नदवी के फार्मूले को भी खारिज कर दिया है।

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दरअसल, अभी गुरुवार को ही मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी ने बंगलुरु में श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात की थी। इसी मीटिंग में मौलाना नदवी ने राम मंदिर निर्माण और बाबरी मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट किए जाने को लेकर तीन सुझाव दिए थे। जैसे ही मौलाना नदवी का बयान सामने आया था। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भड़क उठा था। पर्सनल लॉ बोर्ड मौलाना नदवी के सुझावों से काफी नाराज था। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए 4 सदस्यीय एक कमेटी का भी गठन कर दिया गया था। इसके साथ ही ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुक्रवार को हैदराबाद में बोर्ड मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में मौलाना नदवी के फार्मूले को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद अब रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से एलान किया गया कि उन्‍होंने मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी को बोर्ड से बर्खास्‍त कर दिया है।

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AIMPLB के सदस्य कासिम इलियास ने मौलाना नदवी को बोर्ड से बर्खास्‍त किए जाने की जानकारी देते हुए कहा कि कमेटी समिति ने ऐलान किया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अपने पुराने रुख पर कायम रहेगा। मस्जिद को ना तो गिफ्ट किया जा सकेगा और ना ही बेचा जा सकेगा। इतना ही नहीं इसे शिफ्ट भी नहीं किया जा सकता। कासिम इलियास ने बताया कि मौलाना नदवी बोर्ड के इस एकमत रुख के खिलाफ गए, इसलिए उन्‍हें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से ही बर्खास्‍त कर बाहर निकाल दिया गया है। उधर, मौलाना नदवी का कहना है कि वो इस विवाद को सुलझाने के लिए हमेशा कोशिश करते रहेंगे। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से अपनी बर्खास्‍तगी से पहले मौलाना नदवी ने कहा था कि उन्‍होंने श्रीश्री रविशंकर से 20 फरवरी को अयोध्या में दोनों पक्षों की मीटिंग का अनुरोध किया है। श्रीश्री रविशंकर ने इस वक्‍त इस विवाद को लेकर आउट आफ कोर्ट सेटेलमेंट की पहल की हुई है।

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उधर, मौलाना सैयद सलमान हुसैनी नदवी का कहना है कि वो शुक्रवार को हैदराबाद की मीटिंग में भी गए थे। जहां पर बोर्ड के दूसरे सदस्‍यों ने उन्‍हें अपमानित किया। मौलाना नदवी ने कमाल फारूकी और एसक्यूआर इलयास पर अपमान करने का आरोप लगाया था। उनका कहना है कि इस वक्‍त ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में तानाशाही चल रही है। जो ठीक नहीं। हम तो शांति और सौहार्द की कोशिशों में जुटे हैं। इससे पहले शिया सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड भी इस पक्ष में आ चुका है कि मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है लेकिन, मंदिर को दूसरी जगह पर नहीं बनाया जा सकता है। लेकिन, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शिया वक्‍फ बोर्ड की भी आलोचना की थी। उसका कहना था कि शिया वक्‍फ बोर्ड पर इस केस में पक्षकार ही नहीं है तो फिर वो ऐसा बयान कैसे दे सकता है। सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड अदालत के बाहर किसी भी तरह के समझौते के खिलाफ है।