“भारत में आतंकवाद की ब्रांच है ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड”

देश में अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लेकर विवाद शुरु हो गया है। कई लोगों ने इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।

New Delhi Feb 12 : इस बात में कोई शक नहीं है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड खुद को भारतीय कानून से भी ऊपर समझता है। ये बात यूं ही हवा में नहीं कही जा रही है। जिस वक्‍त ट्रिपल तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चल रहा था उस वक्‍त ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में कोई दखल नहीं दे सकता है। देश की किसी भी अदालत को इस मामले में दखल देने का अधिकार नहीं है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने AIMPLB को फौरन ही अर्श से फर्श पर ला पटका था। लेकिन, अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने राम मंदिर के मसले पर जो रुख अपनाया है इसके बाद इस संगठन को ही प्रतिबंध करने की मांग उठने लगी है। इतना ही नहीं AIMPLB पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि उसके फैसले आतंकी संगठनों की तरह हैं। कहा जा रहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सऊदी और पाकिस्‍तान में सक्रिय आतंकी संगठनों की एक ब्रांच है।

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लेकर ये आरोप किसी और ने नहीं बल्कि उत्‍तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने लगाए हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से पाकिस्‍तान और सऊदी अरब के आतंकी संगठन भारत में मुसमलानों को लेकर अपना फैसला सुनाते हैं उसी तरह पर्सनल लॉ बोर्ड के भी फैसले हैं। वसीम रिजवी का कहना है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इन्‍हीं आतंकी संगठनों की ब्रांच की तरह ही काम कर रही है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश के सांप्रदायिक माहौल को खराब करने की कोशिश में है। वसीम रिजवी ने केंद्र की मोदी सरकार से मांग की है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भंग कर देना चाहिए। इस पर पाबंदी लगा देनी चाहिए। दरअसल AIMPLB को लेकर विवाद उस वक्‍त खडा हुआ जब बोर्ड ने राम मंदिर पर सुलह की कोशिश कर रहे अपने ही एग्‍जीक्‍युटिव मेंबर मौलाना सलमान नदवी को बर्खास्‍त कर दिया।

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दूसरी ओर राम मंदिर पर सुलह का फॉर्मूला सुझाने वाले मौलाना सलमान नदवी ने भी AIMPLB से बर्खास्‍तगी के बाद कहा कि वो खुद बोर्ड से अलग हुए हैं। मौलाना नदवी का कहना है कि वो लड़ाई-झगड़े के पक्ष में नहीं हैं। वो चाहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम एकता और अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए मस्जिद को कहीं और शिफ्ट किया जाए। वसीम रिजवी की तरह मौलाना नदवी ने भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर करारा वार किया और कहा कि बोर्ड में कट्टरपंथी लोगों का कब्‍जा है। उन्‍होंने कहा कि मैं तो शरीयत के हिसाब से फैसला चाहता हूं। मौलाना नदवी का दावा है कि शरीयत में मस्जिद को शिफ्ट करने का विकल्‍प है। नदवी कहते हैं मैं तो हिंदू-मुस्लिम एकता की बात कर रहा हूं। लेकिन, ये बातें बोर्ड के दूसरे सदस्‍यों को रास ही नहीं आ रही हैं। हम चाहते हैं कि अयोध्‍या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का मसला आपसी सहमति से निपट जाए।

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नदवी ने कहा है कि मैं सबसे पहले अयोध्या जाऊंगा और राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को सुलझाने के अपने फार्मूले पर काम करता रहूंगा। मैं अयोध्‍या में साधु-संतों से मिलकर बात करूंगा। दरसअल, इस वक्‍त आध्‍यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ने अदालत के बाहर इस मसले को सुलझाने की पहल कर रखी है। वो लगातार हर पक्षकार से मुलाकात कर रहे हैं। इसी क्रम में अभी गुरुवार को भी बंगलौर में नदवी ने श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात की थी। जहां पर उन्‍होंने इस विवाद को सुलझाने के लिए तीन फार्मूले रखे थे। इसी फार्मूले में मस्जिद को भी शिफ्ट किए जाने की बात थी। इससे पहले उत्‍तर प्रदेश शिया सेंट्रल बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी भी श्रीश्री रविशंकर से मुलाकात कर ये कह चुके हैं कि मंदिर वहीं बनना चाहिए। जबकि मस्जिद को दूसरी किसी मुस्लिम बाहुल्‍य इलाके में शिफ्ट किया जा सकता है। वसीम रिजवी के उस बयान का भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया था। इस मामले में सुलह की कोशिशों में सबसे बड़ा रोडा AIMPLB और सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड ही है।