जान कर हैरत होगी लेकिन, अब कोई नहीं छुएगा मायावती के पैर ?

आप भी ये सोचकर हैरान हो रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्‍या हुआ कि अब कोई भी व्‍यक्ति मायावती के पैर तक नहीं छू पाएगा। लेकिन, ये हकीकत है।

New Delhi Feb 18 : एक जमाने में बहुजन समाज पार्टी यानी बीएसपी उत्‍तर प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी। लेकिन, आज मायावती की यही पार्टी अपने सबसे बुरे हालात से गुजर रही है। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर पार्टी के बुरे हालात से गुजरने का और पैर छूने का आपस में क्‍या ताल्‍लुक है। है जनाब, सौ फीसदी ताल्‍लुक है। दोनों का आपस में गहरा नाता है। दरसअल, बहुजन समाज पार्टी की ओर से ये फरमान जारी किया गया है कि पार्टी के भीतर अब कोई भी पैर नहीं छुएगा। ना मायावती के और ना ही दूसरे किसी नेता के। यानी अभिवादन के इस तरीके पर पार्टी ने पाबंदी लगा दी है। जबकि एक वक्‍त था जब उत्‍तर प्रदेश के तमाम बड़े नेता और ब्‍यूरोक्रेट मायावती के चरणों में पड़े रहते थे। उनके पैर छूने की होड़ मचती थी। लेकिन, आने वाले दिनों में बीएसपी के भीतर ये परपंरा पूरी तरह विलुप्‍त हो जाएगी। क्‍योंकि अब पार्टी ने इस कल्‍चर को खत्‍म करने का मन बना लिया है।

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दरअसल, 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद से ही मायावती संगठन में बदलाव की कोशिशों में जुटी हुई हैं। मायावती संगठन के काम और इसके तौर-तरीकों में भी बदलाव चाहती हैं। मायावती ने संगठनात्मक ढांचों में बदलाव के बाद अब पार्टी के भीतर अभिवादन के तरीके में भी बड़ा बदलाव किया है। मायावती अपने संगठन में समानता का भाव लाना चाहती हैं। वो नहीं चाहते हैं कि कार्यकर्ताओं और बड़े नेताओं के बीच भेदभाव या फिर बड़े छोटे की दीवार हो। संगठन में इसी समानता के भाव को लाने के लिए अभिवादन के दौरान किसी भी कार्यकर्ता के पैर छूने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। बीएसपी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मायावती ने इस संबंध में अपने सभी जोनल कोऑर्डिनेटर्स और पार्टी पदाधिकारियों को निर्देश भेज दिया है। मायावती के नए निर्देश के मुताबिक पैर छूने की बजाए दूसरे अभिवादनों का इस्‍तेमाल करना होगा।

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जिसमें सबसे ज्‍यादा फोकस ‘जय भीम’ पर करने को कहा गया है। दरअसल, जय भीम बीएसपी का नारा भी है। मायावती चाहती हैं कि जब भी बीएसपी के नेता और कार्यकर्ता आपस में मिले तो वो ‘जय भीम’ कहकर ही एक दूसरे का संबोधन करें। इसके अलावा कार्यकर्ता नमस्‍कार, सलाम और आदाब से भी एक दूसरे का अभिवादन कर सकते हैं। मायावती ने अपने सभी जोनल कोऑर्डिनेटर्स और पार्टी पदाधिकारियों को इस बात के निर्देश दिए हैं कि वो इस निर्देश को बूथ स्‍तर तक लेकर जाएं। ताकि निर्देश पर अमल अच्‍छी तरह से हो सके। दरअसल, मायावती ने अभी से साल 2019के लोकसभा चुनावों की तैयारियां शुरु कर दी हैं। इन्‍हीं तैयारियों को ध्‍यान में रखते हुए ही संगठनात्‍मक बदलाव किए जा रहे हैं। 2017 के चुनाव में करारी शिकस्‍त के बाद बीएसपी अपनी बूथ कमेटियों को भी भंग कर चुकी है। जिन्‍हें अब नए सिरे से गठित किया जा रहा है।

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मायावती ने अपने सभी जोनल कोऑर्डिनेटर्स और पार्टी पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वो इस बात को देखें कि बूथ लेवल कमेटियों में कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही है। इसके साथ ही इसमें स्‍थानीय लोगो को ज्‍यादा से ज्‍यादा से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा है। माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए मायावती ने अपना पूरा का पूरा फोकस दलितों के साथ-साथ अति पिछड़ा वर्ग और मुसलमानों पर केंद्रित कर दिया है। इसी के चलते पार्टी में पैर छूने की परंपरा पर रोक लगा दी गई है। 2019 में ये देखना काफी दिलचस्‍प होगा कि क्‍या मायावती का ये नया फार्मूला उन पर सीटों की बौछार करा पाएगा या फिर हालात 2017 से भी ज्‍यादा बुरे होंगे। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी को सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी। बीएसपी का वोट परसेंटेज घटकर कांग्रेस के बराबर जा पहुंचा था। कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ सात सीट मिली थीं। लेकिन, दोनों ही दलों को वोट 22-22 फीसदी ही मिले थे।