‘बेटे’ के बाद ‘बाप’ का नंबर, पी चिदंबरम पर कसा कानून का शिकंजा ?

कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद अब पी चिदंबरम पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। माना जा रहा है कि उनकी गिरफ्तारी भी जल्‍द हो सकती है।

New Delhi Mar 01 : बड़ी पुरानी कहावत है “नौ सौ चूहे खाके बिल्‍ली हज को चली”। ये कहावत कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम पर एकदम सटीक बैठती है। पी चिदंबरम हमेशा मीडिया के सामने बैठकर बड़ी-बड़ी बातों का ज्ञान झाड़ा करते थे। केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी को अपने निशाने पर लेते थे। चाहें वो नोटबंदी का मामला हो या फिर देश की अर्थव्‍यवस्‍था से जुड़ा कोई और मसला। पी चिदंबरम साहब को मोदी सरकार के हर काम में बड़ा घोटाला नजर आता था। इस पर नेता जी तमाम हिंदी और अंग्रेजी अखबारों में लेख भी छापा करते थे। लेकिन, अब खुद ही घोटाले की जद में आ गए हैं। पी चिदंबरम का बेटा कार्ति चिदंबरम गिरफ्तार हो चुका है। सीबीआई उससे लगातार पूछताछ कर रही है। माना जा रहा है कि कार्ति से पूछताछ पूरी होने के बाद पी चिदंबरम पर भी सीबीआई का शिकंजा कस सकता है। आईएनएक्‍स मीडिया घोटाले में उनकी भी गिरफ्तारी हो सकती है।

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सीबीआई ने चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को बुधवार को ही एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने कार्ति को उस वक्‍त गिरफ्तार किया जब वो लंदन से वापस देश लौटा था। हिंदुस्‍तान की जमीन पर कदम रखते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया। कार्ति पर आरोप है कि उसने आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश में गैर-वाजिब मंजूरी देने के बदले बड़े पैमाने पर घूस ली। सीबीआई इस केस की लंबे समय से जांच कर रही थी। कई बार उससे पूछताछ भी की गई। लेकिन, कार्ति जांच एजेंसी को इस केस में सहयोग ही नहीं कर रहा था। जिसके बाद सीबीआई को उसे गिरफ्तार करना पड़ा। कार्ति के खिलाफ दो मामलों में जांच चल रही है। दोनों ही मामले साल 2007 के हैं। उस वक्‍त यूपीए की सरकार थी और पी चिदंबरम वित्‍त मंत्री हुआ करते थे। आरोप है कि चिदंबरम ने ही अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटे की मदद की थी। माना जा रहा है कि इस केस में सीबीआई अब पी चिदंबरम से भी जल्‍द ही पूछताछ कर सकती है।

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ये पूरा मामला है क्‍या और चिदंबरम से कैसे जुड़ा हुआ है जरा इसे भी समझ लीजिए। दरअसल, 2007 में जब चिदंबरम वित्‍त मंत्री थे उस दौरान आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रुपये की रकम दिलाने के लिए विदेशी निवेश से जुड़े FIPB की मंजूरी मिली थी। लेकिन, आईएनएक्‍स मीडिया को फॉरन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड की मंजूरी ऐसे ही नहीं दी गई। इसमें बड़े पैमाने पर घूस का खेल हुआ था। आरोप है कि कंपनी को जांच से बचाने के लिए कार्ति चिदंबरम ने दस लाख रुपए की घूस ली थी। उस दौरान इस कंपनी के मालिक कोई और नहीं बल्कि इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी ही थे। जो इस वक्‍त हत्‍या के मामले में जेल में बंद हैं। सू्त्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंद्राणी मुखर्जी ने ही सीबीआई को बयान दिया था कि कार्ति चिदंबरम ने एफआईपीबी क्लीयरेंस के लिए उनसे एक मिलियन डॉलर यानी करीब साढ़े छह करोड़ रुपये की मांग की थी।

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बताया जा रहा है कि इंद्राणी के इसी बयान को आधार बनाकर सीबीआई ने कार्ति चिदंबरम पर शिकंजा कसना शुरु कर दिया था। हालांकि इस केस को सबसे पहले बीजेपी के नेता और राज्‍यसभा सांसद सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने उछाला था। हालांकि सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने जिस वक्‍त इस केस का खुलासा किया था उस वक्‍त वो बीजेपी में नहीं थे। उस वक्‍त सुब्रमण्‍यम स्‍वामी जनता पार्टी के अध्‍यक्ष हुआ करते थे। स्‍वामी ने कार्ति चिदंबरम और दूसरी कंपनियों के बीच वित्‍तीय लेनदेन का खुलासा किया था। सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने आरोप लगाया था कि यूपीए वन की सरकार में वित्‍त मंत्री रहते हुए पी चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति चिदंबरम को एयरसेल मैक्सिस मर्जर से फायदा उठाने में मदद की थी। बेटे की कंपनियों के शेयर के दाम बढ़ाने के पी चिदंबरम ने ही दस्तावेजों को जानबूझकर रोका और अधिग्रहण प्रक्रिया को नियंत्रित किया था। ऐसी सूरत में अब पी चिदंबरम को भी सीबीआई का सामना करना पड़ सकता है।