‘खुदगर्ज मीडिया क्लास’ को जरा इन किसानों की भी बात समझनी चाहिये
महाराष्ट्र के करीब तीस हज़ार किसान सैकड़ो मील पैदल चलकर मुंबई में इकट्ठा हुए हैं। इनमें कई किसानों के पांव खून से लथपथ हैं।
New Delhi, Mar 12 : महाराष्ट्र में हजारों किसान आंदोलन कर रहे हैं, वो प्रदेश के कोने-कोने से मुंबई पहुंचे हैं, वो मुंबई बासियों से समर्थन और सहयोग मांग रहे हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस किसान आंदोलन को भी राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं, तो कुछ लोग खुलकर इन अन्नदाताओं के समर्थन में हैं। वरिष्ठ पत्रकार राकेश कायस्थ ने भी किसानों के समर्थन में फेसबुक पर कुछ लिखा है, उन्होने इस आंदोलन को मिलने वाले मीडिया कवरेज पर सवाल उठाये हैं। आइये आपको बताते हैं कि उन्होने क्या लिखा है।
महाराष्ट्र के करीब तीस हज़ार किसान सैकड़ो मील पैदल चलकर मुंबई में इकट्ठा हुए हैं। इनमें कई किसानों के पांव खून से लथपथ हैं। प्रदर्शनकारियों में महिला किसान की भी भागीदारी अच्छी खासी है। ख़बर हमेशा की तरह तथाकथित मेन स्ट्रीम मीडिया से गायब है।
किसानों का प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण हैं और वे मुंबई वासियों से समर्थन मांग रहे हैं। सभ्यता का तकाजा है कि मुंबई का नागरिक समाज थोड़ी मेहनत करके इन किसानों तक पहुंचे और यह समझने की कोशिश करे ये लोग आखिर कह क्या रहे हैं।
किसानों से मिलने पर ही आपको अंदाज़ा होगा कि ये लोग कर्ज के बोझ से दबकर फांसी लगाने वालों के सगे संबंधी हैं या किराये के प्रदर्शनकारी।
राष्ट्र का निर्माण साझा सुख और साझा दुखो से होता है। इससे पहले कि बहुत देर हो जाये खुदगर्ज मिडिल क्लास को यह बात समझनी होगी।