रिपोर्टर ने पूछा – मांगेगे माफी ? नरेश अग्रवाल ने पलटकर पूछा -तुम बड़े हो या मैं ?

नरेश अग्रवाल ने कल बीजेपी में शामिल होते वक्त कहा था कि उनका टिकट फिल्म में डांस करने वाली के नाम पर काट दिया गया।

New Delhi, Mar 13 : बीजेपी के नए नवेले नेता नरेश अग्रवाल ने जया बच्चन पर अपनी टिप्पणी के लिए खेद भी जताया तो ठसक के साथ, सिर्फ खेद जताया. माफी नहीं मांगी .जया बच्चन के बारे में उनके बयान के बाद कल से ही बीजेपी की किरकिरी हो रही है . नरेश अग्रवाल की चौतरफा निंदा हो रही है . सोशल मीडिया पर लगातार उन्हें थोक भाव में लानतें भेजी जा रही है . शायद इसी का असर था कि आज सुबह -सुबह नरेश अग्रवाल टीवी कैमरों के सामने आए।

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आते ही बोले – ‘ मेरे बयान से किसी को अगर कष्ट हुआ है तो मुझे उसका खेद है ‘
तभी एक रिपोर्टर ने पूछा – ‘ आप मानते हैं कि आपने जो बोला था , वो गलत था ? ‘
सीधा जवाब देने या अपनी गलती मानने की बजाय नरेश अग्रवाल ने टेढ़े अंदाज में उस रिपोर्टर से सवाल किया – ‘ तुम मुझसे बड़े हो या छोटे ? ‘
रिपोर्टर की दबी सी आवाज आई – ‘सर , छोटे तो हैं लेकिन सवाल तो है ..‘
नरेश अग्रवाल दूसरी तरफ पलटे और किसी और के सवाल का जवाब देने लगे . किसी दूसरे रिपोर्टर ने भी इस पर एतराज नहीं किया . जबकि एतराज तो उसी समय होना चाहिए था कि सर जी , उस रिपोर्टर के सवाल का जवाब तो दीजिए . अपनी उम्र का हवाला देकर उसके छोटे होने का सर्टिफिकेट मत दीजिए . सवाल उम्र नहीं देखता . जवाब मांगता है . उम्र में होंगे बड़े आप . सीधा सा सवाल था कि आपने जो बोला वो गलत था या नहीं ? जवाब हां या ना में भी हो सकता था . अगर आपको अपने कहे पर खेद था तो मान लेते . बड़े होने का धौंस देकर सवाल को क्यों दफन कर रहे हैं . कई रिपोर्टर थे . कई कैमरे थे . सबको जल्दी बाइट चाहिए थी . सो नरेश अग्रवाल के इस तेवर का विरोध करके कौन इस पचड़े में पड़े . लोकल रिपोर्टर्स को नरेश अग्रवाल की बदतमीजियों का भी अंदाजा होगा , लिहाजा किसी ने ध्यान भी नहीं दिया .

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तभी एक रिपोर्टर सटीक सवाल पूछा – ‘ आपने तो व्हिसकी में विष्णु और रम में राम कहा था , अब तो आपको राम की राजनीति करनी है ? ‘
नरेश अग्रवाल ने जवाब दिया – देखिए जो चीज कहीं लिखी थी , मैंने बोल दिया . अब मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता . नई पारी शुरु करना चाहता हूं . आप सबका सहयोग भी चाहता हूं .
फिर एक दूसरे रिपोर्टर ने सवाल पूछा – आप अपने बयान के लिए माफी मांगेगे ?
माफी को खेद के लिफाफे में लपेटकर बयान देने वाले नरेश अग्रवाल इस सवाल पर फिर चिढ़े . उरिपोर्टर से तल्ख लहजे में पूछा – आपको खेद शब्द का मतलब आप समझते हो ? बात यहीं खत्म हो गई . नरेश अग्रवाल ने माफी नहीं मांगी . जबकि कल से उनसे माफी की मांग की जा रही है . उन्होंने रिपोर्टर से खेद का मतलब पूछा था . रिपोर्टर तो उनके ताव के आगे हड़बड़ा गया लेकिन उन्हें बताया जाना चाहिए था कि खेद का मतलब होता है – अफसोस . अफसोस और माफी में फर्क है . माफी अफसोस से एक कदम आगे की स्वीकारोक्ति है . इसमें झुकने का बोध है . खेद में भूल सुधार का . नरेश अग्रवाल इतने अज्ञानी तो हैं नहीं कि उन्हें खेद और माफी का मतलब न पता हो . उनकी जगह कोई समझदार नेता होता तो पहले तो ऐसी टिप्पणी करता नहीं और अगर करता तो चौतरफा फजीहत देखकर माफी तो तुरंत मांग लेता . नरेश अग्रवाल ने माफी नहीं मांगी . हां , उन्होंने अपनी नई पारी शुरु करने में पत्रकारों से सहयोग जरुर मांगा . ये भी कहा कि मैं भी हिन्दू हूं और राम मेरे भी भगवान . रम में राम बताने वाले नरेश अग्रवाल अब भगवान बताकर राम भक्तों का गुस्सा कम करके डैमेज कंट्रोल कर रहे हैं .

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नरेश अग्रवाल ने कल बीजेपी में शामिल होते वक्त कहा था कि उनका टिकट फिल्म में डांस करने वाली के नाम पर काट दिया गया . मंच पर उनकी मौजूदगी में ही तुरंत बीजेपी नेता संबिद पात्रा उनके बयान को रफू किया और अपनी पार्टी में सबका सम्मान करने वाला बयान देकर पैबंद लगा दिया . लेकिन बात वहां खत्म नहीं हुई . कैमरों ने नरेश की टिप्पणी को घर -घर तक पहुंचा दिया . शोर मचा . विवाद हुआ . सोशल मीडिया पर नरेश अग्रवाल की फजीहत होने लगी . लोग सवाल पूछने लगे कि जया बच्चन अगर नाचने वाली हैं तो हेमा मालिनी , रुपा गांगुली , स्मृति इरानी और किरण खेर क्या हैं ? बीजेपी नेताओं को भी समझ में आ गया कि नरेश अग्रवाल ने पहले ही सेल्फ गोल कर लिया है . उनके पुराने बयान पहले ही गले की हड्‍डी बने थे , तब तक नया बयान दे दिया .
फिर क्या था सुषमा स्वराज से लेकर स्मृति इरानी और रुपा गांगुली तक ट्वीट करके नरेश अग्रवाल के बयान की निंदा की . जया बच्चन को फिल्मी दुनिया का गौरव बताया . इतना होने के बाद भी नरेश अग्रवाल ने माफी नहीं मांगी . इसी से समझिए कि किस मिट्टी के बने हैं नरेश अग्रवाल .

(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार नरेश अग्रवाल के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)