‘मां गंगा ने मैक्रों को बुलाया तो मैं भी साथ हो लिया’

मैक्रों ने सिखाया है, आजकल बाहर कम जा रहा हूं तो दोस्तों को यहीं बुला रहा हूं, मज़ा आ रहा है।

New Delhi, Mar 13 : डियर अमित,
बोंजोर!!
हे हे हे. चौंक गए ना!! अरे छोटे, मैक्रों ने सिखाया है. आजकल बाहर कम जा रहा हूं तो दोस्तों को यहीं बुला रहा हूं. मज़ा आ रहा है. उन्हें घुमाने के चक्कर में अपने संसदीय क्षेत्र में भी जाना हो गया वरना तो भूल ही गया था कि मैं जीता कहां से था?? हे हे हे. मज़ाक कर रहा हूं.

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बस्स मां गंगा ने मैक्रों को बुलाया तो मैं भी साथ हो लिया. मैं तो जस्टिन ट्रूडो के साथ आगरा भी जानेवाला था लेकिन वो बीवी बच्चों के साथ ताजमहल देखने खुद ही चला गया. बाहर चाहे खबर जो हो लेकिन उसे भाव ना देने की असली वजह यही थी. वो मिला तो मैंने शिकायत भी कर दी कि ये क्या जस्टिन.. अकेले अकेले ताज घूम आए, तो तंज़ मारकर बोला कि मिस्टर पीएम वो रोमांटिक जगह है मुझे लगा कि आपका रोमांस से भला क्या लेनादेना?
फिर मैंने उसे पीएन ओक की किताब “ताजमहल हिंदू मंदिर है” दिखाई और समझाया कि मैं जिस कबीले से आता हूं वहां उसे मंदिर मानते हैं. तुम ले चलते तो मैं भी दर्शन कर लेता. यूपी वाले भोगी जी ने अभी वहां झाड़ू भी लगाई थी. चैक ही कर लेता कि ठीक से लगाई या फिर मेरी नकल करके फोटो खिंचवाने के लिए नाटक किया. 

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खैर, घूमने घुमाने का क्या है. फिर कर लेंगे. अभी तो एक साल और है. हां उसके बाद पता नहीं. वो किसी शायर ने लिखा है ना कि सैर कर दुनिया की ग़ाफिल ज़िंदगानी फिर कहां, ज़िंदगानी ग़र रही तो हुक्मरानी फिर कहां!!
असली शेर में जवानी था, मैंने हुक्मरानी जोड़ दिया. हे हे हे. बिलकुल वैसे ही जैसे योजना आयोग का नाम बदलकर नीति आयोग रख दिया था. करना तो उसे भी कुछ नहीं था, करना तो इसे भी कुछ नहीं है.
बाकी कल तुम लोगों ने कल नरेश को कबीला ज्वाइन कराया है. वो तो ठीक है. उसके संस्कार तो पहले ही ऐसे थे कि हम उसे रख लेते मगर ज़रा देखना कि ज़ुबान पर कंट्रोल रखे. थोड़ा अस्पष्ट बोलता है मगर मीडिया वाले समझ जाते हैं कि क्या बोल रहा है. यहां पहले ही बाबा और साध्वियों के बयानों से परेशान हैं. ऐसे बयान ना दे दे कि लुटिया ही डुबो दे वरना उसके लिए राज्यसभा की सीट का इंतज़ाम यहां भी ना हो पाएगा. 

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छोटे, ये शमी ने क्या कर दिया टीवी वाले बहुत दिखा रहे हैं? चलो अच्छा है किसान नहीं दिखा रहे.
अच्छा अमित सुना है ट्रंप और किम मिल रहे हैं. सही है यार. चुनाव ना होते तो अपन भी एक चक्कर पाकिस्तान का मार आते. आखिरी बार अच्छी बिरयानी उस शरीफ की नातिन के निकाह में खाई थी जो अब बदनाम हो गया है. हमारे तो समझ ही नहीं आया कि भाई किस बॉल पर आउट हो गया. कोई बता रहा था कि पनामा का मामला रहा. ये बॉल तो हमारी तरफ भी फेंकी गई थी ना मगर देखो हम कैसे बाउंसर को छोड़ बच गए. ये खेलने के चक्कर में फंस गया. वाकई शरीफ था!! हे हे हे.
अच्छा चलो अब लिखना बंद करता हूं. डोनाल्ड का फोन आ रहा है. यहां रात है मगर वहां तो दिन है ना. किम से क्या बात करे शायद इस बारे में सलाह लेना चाहता होगा. तुम आईटी सेल से कहलवा कर ज़रा ये बात फैलवा देना मेरे गोलमटोल गोयबल्स. बात सच हो या झूठ.. भक्तों पर रौब बना रहना चाहिए ना. बाकी तुम पर प्यार बहुत आता है.
तुम्हारा मोटाभाई
उड़ता उड़ेंद्र

(टीवी पत्रकार नितिन ठाकुर के फेसबुक वॉल से सभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)