ऐसी ही एकजुटता अगर साल भर पहले होती, तो यूपी विधानसभा का दृश्य कुछ और होता

यूपी : उपचुनावों और आम चुनाव में महज साल भर का अंतर रह जाने से लोग और खासतौर से विपक्ष इन उपचुनावों के प्रति उदासीन हो जाए।

New Delhi, Mar 15 : सुल्तानपुर रेलवेस्टेशन पर सुहेलदेव एक्सप्रेस के इंतजार में हूं। ट्रेन तकरीबन एक घंटे विलंब से आने की सूचना है। बैठे बैठे बेगम अख्तर की गजल की लाइन याद आ रही है, ‘उल्टी हो गई सब तदबीरें…
गोरखपुर और फूलपुर में संभावित हार को टालने के लिए क्या कुछ नहीं किया। यूपी के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री बनने के ठीक छह महीने पहले सांसदी छोड़ी। चुनाव आयोग के साथ सांठ गांठ कर उसके ठीक छह महीने बाद उपचुनाव की तिथि निर्धारित करवाई। गरज यह कि उपचुनावों और आम चुनाव में महज साल भर का अंतर रह जाने से लोग और खासतौर से विपक्ष इन उपचुनावों के प्रति उदासीन हो जाए।

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यही नहीं, अयोध्या में दीवाली और मथुरा- वृंदावन में होली मनाई। उपचुनावों से पहले सरकारी बैंकों का हजारों करोड़ कर्जा डकार कर बैठे भ्रष्ट लेकिन सत्ता के करीबी पूंजीपतियों से उत्तर प्रदेश में फर्जी निवेश के सब्जबाग दिखाये, yogi adityanathउपचुनावों से ठीक पहले सभी तरह की संवैधानिक मर्यादाओं को धता बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं हिन्दू हूं, ईद नहीं मनाता।

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त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत तथा नागालैंड और मेघालय में जोड़-तोड़कर सरकार बनाने के मद में चूर चुनावी राजनीति के स्वघोषित चाणक्य अमित शाह और उनकी टीम, उनके पन्ना प्रमुख, पूरी प्रदेश सरकार, केंद्रीय मंत्री गोरखपुर और फूलपुर में डेरा डाले रहे। yogi mauryaलेकिन आसन्न हार को, जिसका एहसास हमें फरवरी के अंत में अपने इलाहाबाद प्रवास में होने लगा था, मोदी- योगी और शाह तथा पांडेय की टीम टाल नहीं सकी क्योंकि मतदाता चार सालों के मोदी सरकार और एक साल के योगी सरकार के किए धरे का हिसाब बराबर करने को उद्धत थे।

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पिछले एक साल में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों पर बढ़े जुल्म ज्यादती और हमलों के मद्देनज़र दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक लामबंद हो रहे थे। उनका ही दबाव था कि मायावती और अखिलेश यादव की बसपा और सपा भाजपा को एकजुट चुनौती देने पर राजी हुईं। नतीजा सामने है। इसी तरह की एकजुटता अगर साल भर पहले हो गई होती तो यूपी विधानसभा में दृश्य कुछ और या कहें उल्टा होता। हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि अगर यह एकजुटता ईमानदारी और सह अस्तित्व के आधार पर कायम रही और इसमें कांग्रेस और अजित सिंह का लोकदल भी शामिल हो गया तो लोकसभा के अगले आम चुनाव में यूपी में भारतीय जुमला पार्टी को एक तिहाई-चौथाई सीटों के भी लाले पड़ सकते हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्ता के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)