योगी सरकार की सालगिरह, लेकिन ‘प्राणशक्ति’ किसी ने निकाल ली

यदि CM योगी जैसे ईमानदार मुख्यमंत्री को २०१९ के चुनाव से पूर्व हटाने की सोच ली तो बंटाधार होना निश्चित है।

New Delhi, Mar 19 : योगी सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित ‘रंगारंग’ कार्यक्रम, में न तो कोई ‘रंग’ और न ही कोई उत्साह दिखा, प्राणशक्ति कहाँ गयी? उपचुनावों की हार का असर बड़े नेताओं के चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रहा था। ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने नेताओं के अंदर की ‘दम्भयुक्त’ प्राणशक्ति निकाल ली हो, आश्चर्य इस बात का हुआ कि आदरणीय CM योगी जी तो मौजूद थे लेकिन ‘सुपर-CM’ भ्रष्ट सुनील बंसल व उनके मुख्य दलाल भाजपा-प्रवक्ता विशालकाय-महिषी, Brown-Nose, ‘दुर्लोक कुवस्थी’ नदारत थे। 

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दुर्लोक जैसे, खनन के ठेकेदार पराजीवियों की तो साँसे ही फूली हुई हैं, दलाली की दुकान जो बंद होने वाली है, इसलिए इस उत्सव से ग़ायब थे। नेताओं के बड़े-२ वादे और उपलब्धियों में दिखाने के लिए ख़ास कुछ नहीं। किसानों की क़र्ज़ माफ़ी, गन्ना किसानों का भुगतान , बिजली की २४ घंटे आपूर्ति, दुरुस्त स्वास्थ्य सेवाएँ, टूटी सड़कों की मरम्मत, भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्यवाही, बूचडखाने बंद करना आदि सब कुछ आधा-अधूरा सा। बलात्कार, लूट, हत्या, के आँकड़े लगभग पूर्व जैसे ही, बालू/मौरंग/मिट्टी के आसमान छूते दाम, आज के विज्ञापन में २ लाख बेरोज़गार युवाओं को नौकरी दिए जाने का झूठ बोला गया है। 

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युवा पूछता है किसको मिली ये नौकरियाँ, BTC-TET-BEd अभ्यर्थी, शिक्षामित्र तक परेशान हैं।
दुःख इस बात का है कि ईमानदार CM योगी जी के भाषण में जो जोश हुआ करता था। yogi adityanathवह भी नदारद था, जिसे देखकर उत्तर प्रदेश की बड़ी कुर्सी पर नज़र गढ़ाए हुए कुछ नेता ज़रूर ख़ुश दिख रहे थे।  अर्थात एक ‘उप’ CM ख़ुश थे तो दूसरे ‘उप’ CM चुप थे। 

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रंगारंग कार्यक्रम में उद्घोषिका जी ताली बजाने के लिए बार-२ निवेदन करती दिखी लेकिन नेताओं के ताली बजाने की शक्ति/उत्साह नहीं दिखा। yogi adityanathआधे मंत्रीगण निरुत्साहवश सो रहे थे, कुछ दलबदलूओं पर ज़रूर कोई असर नहीं दिख रहा था। इस सबका कारण, प्रदेश में ख़स्ताहाल ग़रीब-बेरोज़गारों की स्थिति से लोगों का भाजपा से तेज़ी से मोह भंग हो रहा है, और यदि CM योगी जैसे ईमानदार मुख्यमंत्री को २०१९ के चुनाव से पूर्व हटाने की सोच ली तो बँटाधार होना निश्चित है।

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)