‘मरघट’ के द्वार पर खड़ी देश की शिक्षा व्यवस्था- Surya Pratap Singh

शिक्षा : लाख कोशिशों के बावजूद नक़ल माफ़िया का फिर भी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में क्या प्रभाव कम हो गया ? यह तो रिज़ल्ट आने पर ही पता चलेगा।

New Delhi, Mar 30 : ‘मरघट’ के द्वार पर खड़ी देश की शिक्षा व्यवस्था, शिक्षा-व्यवस्था का माँस नोच-२ कर खाते नक़ल माफ़िया-रूपी गिद्ध, उल्लू, कौएँ। सरकारों को निहारते हतप्रभ ! आत्मग्लानि की विवशता में झुलस रहे देश के बुद्धिजीवी शिक्षाविद, ‘नक़ल माफ़िया’ की दीमक से कैसे निबटा जाए, चट कर गया है सारे Ecucation System को, बद-से-बदतर होती जा रही है व्यवस्था, When would sliding stop ?

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CBSE पेपर लीक ने भारत में एजुकेशन सिस्टम पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है, लगता है कि नक़ल माफ़िया एक दिन ‘नक़ल करना व कराना’ को अधिकार समझ RTE में सम्मिलित करा देगा। उत्तर प्रदेश में नक़ल माफ़िया के व्यापक प्रभाव को कौन नहीं जानता, बोर्ड परीक्षाओं से विश्वास उठ सा गया है। लाख कोशिशों के बावजूद नक़ल माफ़िया का फिर भी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में क्या प्रभाव कम हो गया ? यह तो रिज़ल्ट आने पर ही पता चलेगा, यदि परिणाम २०-२५% से अधिक गया तो यह कहना मुश्किल होगा कि नक़ल माफ़िया अपने नक़ल कराने के प्रयासों में असफल रहा। फिर भी सरकार ने जो प्रयास किया वह सराहनीय है। अधिकांश शिक्षण संस्थाएँ नेतागणों/नौकरशाहों/प्रभावशाली पूँजीपतियों के हैं।

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नक़ल व पेपर लीक से अधिकांश मेधावी व genuine छात्रों के साथ अन्याय होता है, यू॰पी॰ बोर्ड में तो ये सब सामान्य बात है लेकिन CBSC जैसे प्रतिष्ठित संस्था में भी नक़ल माफ़िया घुस गया है , यह न केवल आश्चर्यजनक है अपितु अविश्वसनीय भी है। जो बच्चे पूरे साल मेहनत से पढ़ते हैं, उनका क्या दोष है? यह तो व्यवस्था का दोष है। लगता है अब इस देश/ प्रदेश के Education System में न ‘एजुकेशन’ है और न ही कोई ‘सिस्टम’, शिक्षण संस्थाओं में सही पढ़ाई न होने के कारण ही ‘ट्यूशन सेंटर’ चलते हैं और ये ही आगे चलकर ‘फ़ेल-को-पास’ की गारंटी लेकर नक़ल का अड्डा बन जाते हैं। यूपी बोर्ड के स्कूलों में तो न टीचर्स पढ़ाना चाहते हैं और न ही बच्चे पढ़ना चाहते हैं, इसीलिए बड़ी-२ फ़ीस लेने वाले प्राइवट अकडेमी(Academies) का धंधा फल-फूल रहा है।

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हर बात, हर प्रोग्राम के पीछे ‘वोट-की-राजनीति’ व प्रतीकों से अलग हटकर सरकारों को Education System के Total Revamp/Restructuring पर काम करना चाहिए। ताकि अच्छी शिक्षा के लिए छात्र अमेरिका/यूरोप की ओर न भागें, अच्छी शिक्षा ही अच्छे राष्ट्र की पहचान होती है, तो फिर शिक्षा के लिए बजट का इतना कम Allocation क्यों होता है, चाहे कोई भी सरकार हो, जो होता भी है उसकी बंदरबाँट हो जाती है। प्रदेशों में शिक्षा विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार की बात करना तो अब बेकार की बात है। जनपदों में शिक्षा विभाग के कार्यालय-शिक्षा भवन भ्रष्टाचार के अड्डे हैं। क्या कोई सरकार कुछ कर पाएगी ? या केवल कोरे भाषण और उल्ज़लुल बातें, चिढ़ाने के सिवाय कुछ और नहीं, माल-निवाला पाने की होड़ में डूबा असहाय लोकतंत्र। देश के एक शिक्षा मंत्री की qualification थी। intermediate/B.Com, Part 1 और दूसरे की B.Com, लो कल्लो बात, कोई योग्य शिक्षाविद ऐसा नहीं मिलता जो देश का शिक्षा मंत्री बन सके, उत्तर प्रदेश में एक समय पूर्व सरकार में कक्षा ६ पास माध्यमिक शिक्षा मंत्री था।
सत्ता-की-हड्डी पाने की लगी होड़ में लड़ते कुत्ते से,
भूख, तृषा, दीनभाव मानस की छाती फाड़े जाता है ।।

(रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)